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Tokyo Olympics : नीरज ने फोन पर कहा, पापा हरियाणवी में बात करो, हिचक तोड़ बोले लट्ठ गाड़ दिया

पानीपत के नीरज चोपड़ा ने देश का नाम रोशन कर दिया। पिता सतीश ने नीरज का हालचाल जानने को फोन किया। सतीश ने कहा- कैसे हो बेटा। नीरज ने कहा- पापा पहले की तरह हरियाणवी में बात करो। फिर पिता बोले- लट्ठ गाड दिया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 09:58 AM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 09:58 AM (IST)
Tokyo Olympics : नीरज ने फोन पर कहा, पापा हरियाणवी में बात करो, हिचक तोड़ बोले लट्ठ गाड़ दिया
नीरज से फोन पर बात करते पिता सतीश।

मतलौडा (पानीपत), संवाद सहयोगी। उधर से फोन पर नीरज की आवाज आ रही थी, हेलो पापा। इधर से पिता सतीश चोपड़ा खामोश थे। पूरा देश जिस बेटे के सम्मान में खड़ा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद फोन कर रहे हैं, हरियाणा के गृहमंत्री खुशी से नाच रहे हैं... उस बेटे से अब किस तरह बात की जाए, मन में यही तूफान चल रहा था। तभी दोबारा आवाज आई, हेलो पापा। एक झटके से कल्पना की दुनिया से वापस लौटे और बोले, कैसे हो नीरज बेटा।

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नीरज के लिए इस तरह आवाज सुनना अटपटा था, क्योंकि इससे पहले कभी पिता ने ऐसे बात नहीं की थी। स्वर्ण विजयी बेटा तुरंत समझ गया और एक सेकेंड में ही पिता की हिचक को तोड़ दिया। फोन पर ही कहा, पापा खुलकर बात करो। जैसे पहले किया करते थे। हरियाणवी में बोलो। ...और मुस्कुराते चेहरे से सतीश बोले, शाबाश नीरज। ल_ गाड दिया। जवाब में नीरज ने कहा, मैं तो न्यूए ल_ गाड़ूंगा। इस बीच, बधाई देने वालों की घर में भीड़ बढ़ रही थी। सतीश ने यह कहकर फोन रख दिया, बेटा बाद में बात करते हैं। दस से पंद्रह सेकेंड की इस बातचीत में पिता की आंखें नम हो गईं। मन ही मन में सोच रहे होंगे, बेटा कितना समझदार हो गया है।

नीरज चोपड़ा ने कहा था, अब सब कुछ झोंकने का वक्त आ गया

नीरज चोपड़ा जितना भाला फेंकने में तेज हैं, इंस्टाग्राम पर भी दिलकश तस्वीरें पोस्ट करते हैं। वैसे बता दें कि नीरज ने टोक्यो में जाने से पहले कहा था कि सब कुछ झोंक देने का वक्त आ गया है। सच में उन्होंने सब कुछ झोंक दिया। देश के लिए स्वर्ण पदक जीत ही लिया।

फोन बंद रहता था, मां से बात करते थे

नीरज ने अभ्यास में खुद को इतना झोंक दिया था कि अपना फोन बंद रखते थे। परिवार में केवल मां से बात करने के लिए फोन करते। कई महीनों से परिवार के सभी सदस्यों से बात नहीं हो सकी। जीत के बाद भी रात तक परिवार से बात नहीं हुई। परिवार के सदस्य भी देर रात तक बधाइयां लेते रहे पर बेटे से बात नहीं कर सके।


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