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Tokyo Olympics: पानीपत के शिवाजी स्टेडियम की मिट्टी में है जान, यहीं से निकले हैं नीरज चोपड़ा

Tokyo Olympics में गोल्ड मेडल जीतने वाले जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा पानीपत के शिवाजी स्टेडियम से निकले हैं। उनके दोनों पहले गुरु के अलावा कई नामचीन थ्रोअर भी यहीं से हैं। बड़ौली गांव के कृष्ण मिटान ने सबसे पहले जैवलिन थ्रो का अभ्यास शुरू किया था।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 07:00 PM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 07:00 PM (IST)
Tokyo Olympics: पानीपत के शिवाजी स्टेडियम की मिट्टी में है जान, यहीं से निकले हैं नीरज चोपड़ा
सीमित संसाधनों के बावजूद शिवाजी स्टेडियम से निकले कई खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है।

विजय गाहल्याण, पानीपत। शिवाजी स्टेडियम भले ही बदहाल हो, लेकिन इसकी मिट्टी में जान है। यहां से सीमित संसाधनों के बीच देश को ट्रैक एंड फील्ड में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले स्टार भाला फेंक नीरज चोपड़ा और उनके दोनों पहले गुरु के अलावा कई नामचीन थ्रोअर निकले हैं। जिन्होंने प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है।

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1994 में बड़ौली गांव के किसान इंद्र सिंह मिटान के बेटे कृष्ण मिटान ने पहली बार स्टेडियम में जैवलिन का अभ्यास किया तो अन्य खेलों के खिलाड़ी हैरत में पड़ गए। ये खेल पहले देखा नहीं था। कइयों ने मजाक भी उड़ाया। कृष्ण का सपना था कि इसी खेल के दम पर प्रदेश का नाम रोशन करना है और गरीबी को हराकर सरकारी नौकरी भी पानी है। उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते। जूनियर एशियन चैंपियनशिप 1998 में सिंगापुर में होनी थी। पिता इंद्र सिंह की मौत होने के कारण चैंपियनशिप में नहीं खेल पाए। उन्होंने 1999 में खेल कोटे से रेलवे में टीसी (टिकट चेकर) की नौकरी पा ली। अब वह पानीपत रेलवे स्टेशन पर डिप्टी इंस्पेक्टर हैं। उन्होंने ही बिंझौल के जयवीर सिंह उर्फ मोनू और माडल टाउन के जितेंद्र जागलान को जैवलिन थ्रो का अभ्यास कराया। बाद में दोनों ने 2011 में नीरज चोपड़ा को ट्रेनिंग कराई। अब नतीजा सबके सामने हैं।

स्टेडियम के ये हैं स्टार जैवलिन थ्रोअर


स्टेडियम से जैवलिन का अभ्यास करने वाले बिंझौल गांव के प्रविंद्र ढौंचक ने राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते। वह खेल कोटे से रेलवे में टीसी हैं। जयवीर सिंह पटियाला में इंडिया कैंप के कोच हैं। 2010 में विक्रांत खेल कोटे से हरियाणा पुलिस में सिपाही की पद पर भर्ती हुए। सेक्टर-18 के सन्नी सरदार, आट्टा गांव के विजय गाहल्याण और धर्मगढ़ गांव के अरुण कुमार ने राज्य व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते।

सुविधा मिले तो और जीत सकते हैं पदक

शिवाजी स्टेडियम के एथलीट रहे और अब हरियाणा एथलेटिक्स के प्रदेश महासचिव राजकुमार मिटान ने बताया कि 20 साल पहले शिवाजी स्टेडियम के मैदान अच्छे नहीं थे। आज भी वहीं हालात हैं। अगर मैदान सुधार दिए जाए और खेल के सामान की व्यवस्था की जाए तो जिले के जैवलिन थ्रोअर राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में और ज्यादा पदक जीत सकते हैं।

अभी भी जैवलिन का अभाव है


मॉडल टाउन के जितेंद्र जागलान ने बताया कि एक दशक पहले स्टेडियम में जैवलिन का अभाव था। अभी भी हालात ये ही हैं। 800 ग्राम की एक ही जैवलिन है। वह भी अच्छी क्वालिटी की नहीं है। खेल विभाग अच्छी जैवलिन मुहैया कराए तो नतीजे भी अच्छे आएंगे।

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