राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान: इस बार स्कूलों में नहीं, डोर टू डोर जाकर विद्यार्थियों को खिलाई जाएंगी एलबेंडाजोल की गोलिया
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। इस बार डोर टू डोर जाकर स्कूली विद्यार्थियों को एलबेंडाजोल की गोलिया खिलाई जाएंगी। हर वर्ष राष्ट्रीय कृमि दिवस कार्यक्रम में स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित किया जाता कार्यक्रम।
जागरण संवाददाता, कैथल। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 12 से 22 सितंबर तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान चलाया जाना है। इस बार इस अभियान के तहत स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित न कर स्कूली विद्यार्थियों को डोर-टू-डोर जाकर एलबेंडाजोल की गोलियां खिलाई जाएंगी। इस अभियान के तहत जिले में चार लाख 36 हजार स्कूल बच्चों को यह गोलियां दी जाएंगी। इसके साथ ही 20 से 24 वर्ष की आयु वाली महिलाओं को भी यह गोलियां खिलाई जाएंगी। इस कार्यक्रम में आशा वर्कर, आंगनबाड़ी वर्कर और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी सहयोग करेंगे।
एक से 19 वर्ष के बच्चों को खिलाई जाएंगी गोलियां :
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत जिले में एक वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को एलबेंडाजोल की गोलियां खिलाई जाएंगी। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग से एएनएम कार्यकर्ता, एमपीएचडब्ल्यू घर-घर दस्तक देकर एलबेंडाजोल की गोलियां देंगे। बता दें कि बच्चों में पेट में कीड़े अधिक होने के कारण पेट दर्द की शिकायत अधिक रहती है। जिस कारण स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग द्वारा यह संयुक्त अभियान चलाया जाता है।
पेट दर्द की शिकायत के कारण बच्चे करते हैं अधिक छुट्टियां :
बता दें कि पेट दर्द की शिकायत के बच्चे करते हैं। इसी शिकायत के कारण वह छुट्टियां अधिक लेते हैं और उनकी पढ़ाई भी काफी बाधिकत होती है। इसी समस्या को दूर करने के लिए बच्चों को एलबेंडाजोल की गोलियां खिलाने का कार्य किया जाता है।
यह हैं कृमि नियंत्रण के फायदे :
रोग प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि
स्वास्थ्य और पोषण में सुधार
एनीमिया में नियंत्रण
समुदाय में कृमि व्यापकता में कमी
सीखने की क्षमता और कक्षा में उपस्थिति में सुधार
वयस्क होने पर काम करने की क्षमता और आय में बढ़ोतरी
कृमि : लक्षण एवं संचरण चक्र
कृमि ऐसे परजीवी हैं जो मनुष्य के आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए मानव शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते हैं। डब्लयूएचओ के अनुसार के अनुसार दुनिया भर में 150 करोड़ से अधिक लोग, या दुनिया की आबादी का 24 फीसद कृमि परजीवी से संक्रमित हैं।
बच्चों पर कृमि के दुष्प्रभाव
कृमि पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालते हैं, जिसके कारण एनीमिया, कुपोषण, और मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा होती है।
संक्रमित बच्चे अक्सर स्कूल जाने के लिए बहुत थके हुए या बीमार होते हैं
वयस्क होने पर आर्थिक विकास के लिए, कृमि गंभीर खतरे पैदा करते हैं - हुक वर्म के गंभीर संक्रमण से आय में 43% तक की कमी आने का अनुमान है।
अध्ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से कृमि मुक्ति के साथ स्कूलों में अनुपस्थिति 25 फीसद कम हो जाती है।4
स्वास्थ्य विभाग के आदेशों के अनुसार 12 से 22 सितंबर तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा। इसके लिए विभाग द्वारा तैयारियां की जा रही है। इसको लेकर कर्मचारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
डा. संदीप जैन, नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान।