कभी दुबले शरीर पर कस्ते थे तंज, सुमित कुश्ती का नेशनल चैंपियन बना, तो वही दोस्त लेने लगे टिप्स
सुमित ने हाल में शिवाजी स्टेडियम में अंडर-23 कुश्ती प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि पिता पहलवान नहीं हैं लेकिन उनका सपना था कि मैं कामयाब पहलवान बंनु। वह रोज छह घंटे अभ्यास करते है। उनका लक्ष्य ओलिंपिक में पदक जीतना है।
पानीपत, जागरण संवाददाता। आदियाना गांव के 21 वर्षीय सुमित दहिया बचपन में दुबले-पतले थे। कमजोर शरीर पर दोस्त तंज कसते थे। किसान पिता रणबीर ने ठान लिया था कि बेटे को ताकतवर बनाएगा। बेटे को गांव में कुश्ती का अभ्यास कराया और फिर दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में भेज दिया। सुमित ने मिट्टी की नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक और अंडर-23 में नेशनल में रजत पदक जीता। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जो दोस्त मजाक उड़ाते हैं। अब कहते हैं कि सुमित उनका दोस्त हैं और शानदार पहलवान हैं।
अंडर-23 कुश्ती प्रतियोगिता में हासिल किया पहला स्थान
सुमित ने हाल में शिवाजी स्टेडियम में अंडर-23 कुश्ती प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि पिता पहलवान नहीं हैं, लेकिन उनका सपना था कि बेटा (मैं) कामयाब पहलवान बने। वह रोज छह घंटे अभ्यास कर रहा है। उनका लक्ष्य ओलिंपिक में पदक जीतना है। राह आसान नहीं है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं है।
रवि दहिया के ओलिंपिक में पदक जीतने से बढ़ा हौसला
सुमित ने बताया कि बचपन में रवि दहिया भी उन्हीं की तरह कमजोर शरीर के थे। रवि ने कुश्ती में कड़ा अभ्यास किया और ओलिंपिक में पदक जीत लिया है । इससे उनका व छत्रसाल में अभ्यास करने वाले अन्य पहलवानों का हौसला बढ़ा है । वे भी अब ओलिंपिक की तैयारी कर रहे हैं। लक्ष्य सिर्फ ओलिंपिक में भागीदारी का नहीं है। बल्कि स्वर्ण पदक जीतने का है ।
सीनियर पहलवानों से सीखने का मौका मिला
सुमित बताते हैं कि छत्रसाल स्टेडियम के पहलवान सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, रवि दहिया और बजरंग पूनिया ने ओलिंपिक में पदक जीते हैं। उन्हें से युवा पहलवान सीख लेकर कड़ा अभ्यास कर रहे हैं। समय-समय पर स्टार पहलवान उनका मार्गदर्शन भी करते हैं। तकनीक में भी सुधार कराते हैं। इसका पहलवानों का फायदा हो रहा है। वे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में पदक भी जीत रहे हैं।