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शोधार्थियों ने फिल्मी संगीत की बारीकी समझाई, डीसी बोली संगीत की अपनी दुनिया

किसी ने गाकर, किसी ने गुनगुना कर तो किसी ने पढ़कर संगीत की बारीकी समझाई। शोधार्थियों ने अपने शोध संगीत की बारीकियों को सबके सामने रखा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 10:04 AM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 10:04 AM (IST)
शोधार्थियों ने फिल्मी संगीत की बारीकी समझाई, डीसी बोली संगीत की अपनी दुनिया
शोधार्थियों ने फिल्मी संगीत की बारीकी समझाई, डीसी बोली संगीत की अपनी दुनिया

जागरण संवाददाता, पानीपत : किसी ने गाकर, किसी ने गुनगुना कर तो किसी ने पढ़कर संगीत की बारीकी समझाई। शोधार्थियों ने अपने शोध संगीत की बारीकियों को सबके सामने रखा। मुख्यातिथि डीसी सुमेधा कटारिया भी खुद को रोक नहीं पाई। उन्होंने संगीत की अपनी अलग दुनिया बताई। शनिवार को मौका रहा सेक्टर-18 स्थित देशबंधु गुप्ता राजकीय कॉलेज में संगीत के प्रचार प्रसार में फिल्मी संगीत के योगदान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का। जिसका आयोजन संगीत विभाग और उच्चत्तर शिक्षा विभाग के सहयोग से किया गया। सेमिनार में तीन सत्र चलाए गए। सबसे पहले पुलमावा में शहीद जवानों श्रद्धांजलि दी।

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मुख्यातिथि डीसी सुमेधा कटारिया ने कहा कि संगीत भक्ति, ज्ञान और चेतना का प्रतीक है। सुर इंसान बना देता है, सुर रहमान मिला देता है, संगीत की अपनी दुनिया होती है। उन्होंने शोधार्थियों को शुभकामनाएं दी।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में संगीत विभाग की अध्यक्षा डॉ. शुचि सुमिता ने चित्रपट संगीत पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने संगीत को जन साधारण का मनोरंजन व मानवीय चेतना का वाहक बताया और चित्रपट संगीत का महत्व समझाया। राजकीय कॉलेज साहा के सेवानिवृत प्राचार्य डॉ. अमृतपाल ने शास्त्रीय संगीत के इतिहास के साथ संगीत का सफरनामा अपने दिलकश सुरों में पिरोया। दर्शकों ने सफरनामा का पूरा लुत्फ उठाया।

इसके साथ डॉ. दिनकर शर्मा व डॉ. मीरा कश्यप की पुस्तक संगीत शिक्षण का विमोचन किया। तकनीकी सत्र-1 में राजकीय कन्या कॉलेज गुरुग्राम के प्राचार्य डॉ. लोकेश शर्मा ने शास्त्रीय संगीत में विभिन्न गायकों, संगीतकारों व कलाकारों के योगदान पर संगीतात्मक वार्ता दी।

तकनीकी सत्र-2 की अध्यक्षता डॉ. सरिता कुमार व डॉ. अंजू शर्मा ने की। जिसमें 111 शोधार्थियों ने अपने शोध प्रस्तुत किए। डॉ. नर्मदा शंकर, डॉ. मीरा कश्यप, डॉ. स्वाति शर्मा ने साहित्य, मनोभाव और संगीत की उपयोगिता पर अपने शोध पत्रों सार्वजनिक प्रस्तुति दी। डॉ. नर¨सह जांगड़ा ने सबका आभार व्यक्त किया। मंच संचालन देवेंद्र प्राणनाथ ने किया।

इस मौके पर डॉ. अमृतपाल, एसडी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुपम अरोड़ा, रेलवे के स्टेशन अधीक्षक धीरज कपूर, डॉ. रामपाल सैनी संजू अबरोल व डॉ. श्रीराम शर्मा मौजूद रहे। संगीत सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, मन की बात कहने का भी है जरिया

कॉलेज प्राचार्या डॉ. अनुराधा पुनिया ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि संगीत व्यक्ति के मनोरंजन का ही साधन नहीं है, बल्कि वह अपने मन की बात भी कह सकता है। सामान्यत व्यक्ति मानसिक रूप से थकावट आन पर तरोताजा होने के लिए संगीत सुनता है। प्रत्येक व्यक्ति का अलग संगीत पसंद है।


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