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मनरेगा मजदूरों के चूल्हे पर आई 'आंच', नहीं मिल रहा काम, खेती से जुड़े तो बने बात

जींद में में मनरेगा योजना के तहत 26318 परिवारों के 45000 लोगों को काम दिया गया। इन लोगों ने वह काम किए जो योजना के तहत उनसे विभाग ने करवाए हैं। जींद जिले में दिसम्बर 2021 तक 67500 कार्य दिवस मनरेगा के तहत पैदा किए गए।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 02:32 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 02:32 PM (IST)
मनरेगा मजदूरों के चूल्हे पर आई 'आंच', नहीं मिल रहा काम, खेती से जुड़े तो बने बात
जींद के 300 गांवों में से महज 30 गांवों जहां मजदूरों को नहीं रहा काम।

जींद, जागरण संवाददाता। केंद्र में कांग्रेस की मनमोहन सरकार के समय हुई मनरेगा योजना में मजदूरों को 100-100 दिन का काम नहीं मिल रहा है। जिले के 300 गांवों में से महज 30 गांवों में ही ऐसे हैं, जिनमें मनरेगा मजदूरों को पूरे 100-100 दिन का काम मिल पाया है। डेढ़ महीना पहले तक जिले में केवल 23 गांव ही ऐसे थे, जिनमें मनरेगा मजदूरों को 100-100 दिन का काम मिल पाया था। 

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मजदूरों को पूरे 100 दिन का काम नहीं मिल पाया

जिले में मनरेगा योजना के तहत 26,318 परिवारों के 45,000 लोगों को काम दिया गया। इन लोगों ने वह काम किए, जो योजना के तहत उनसे विभाग ने करवाए हैं। जींद जिले में दिसम्बर 2021 तक 67,500 कार्य दिवस मनरेगा के तहत पैदा किए गए। मनरेगा के तहत कार्य दिवस और मजदूरों को मिले काम के आंकड़े बताते हैं कि जिले में मनरेगा मजदूरों को पूरे 100 दिन का काम साल 2021 के अंत तक सभी गांवों में नहीं मिल पाया। 300 में से 30 गांवों में मजदूरों ने पूरे काम की मांग की तो इन गांवों में मजदूरों को पूरे 100-100 दिन का काम मिला। जबकि लगभग 270 गांवों में मजदूरों को पूरे 100 दिन का काम नहीं मिल पाया।

अधिकारियों का कहना है कि मजदूरों ने काम की मांग ही नहीं की

गांवों के निवर्तमान सरपंचों और मनरेगा अधिकारियों का कहना है कि मजदूरों ने काम की मांग ही नहीं की। काम मांगने पर मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जाता है। हालांकि मनरेगा के कामों को नई रफ्तार मिली है। इस साल मार्च तक कई और गांवों में मनरेगा मजदूरों को 100-100 दिन का काम मिल जाएगा। मनरेगा में सबसे ज्यादा काम दिसम्बर से मार्च महीने तक होते हैं। इन 4 महीनों को मनरेगा के मामले में पीक पीरियड माना जाता है। जहां तक 100-100 दिन का काम मनरेगा मजदूरों को सभी गांवों में नहीं मिल पाने का सवाल है तो मजदूरों की तरफ से काम की मांग आने पर काम दिया जाता है। मनरेगा मजदूरों की तरफ से काम की पूरी डिमांड नहीं आ रही। मनरेगा के तहत 170 तरह के काम करवाने का प्रावधान मनरेगा योजना के तहत 170 तरह के काम करवाएं जाने का प्रावधान है। इनमें नहरों के किनारे पौधे लगाना, पौधारोपण के लिए गढ्डों की खुदाई करना, पीएम आवास योजना के तहत मकान निर्माण में मजदूरी करना, आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण में मजदूरी, ग्राम पंचायतों के भवन का निर्माण, सामुदायिक फूड ग्रेन गोदामों के निर्माण में मजदूरी करना, भारत निर्माण सेवा केंद्र के निर्माण में मजदूरी, ग्रामीण तालाबों की खुदाई करवाना आदि प्रमुख हैं। जींद जिले में मनरेगा मजदूरों से प्रमुख रूप से तालाबों के किनारों से मिट्टी को हटवाने, पौधारोपण के लिए गड्ढे खुदवाने में लगाया जा रहा है।

सरकार की नीयत में ही खोट: श्योकंद 

अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष फूल सिंह श्योकंद का मनरेगा योजना को लेकर कहना है कि केंद्र सरकार मनरेगा को बढ़ावा नहीं दे रहो। मनरेगा को केंद्र सरकार बढ़ावा देने की बजाय इसका दायरा और बजट कम कर रही है। मजदूरों को साल में 100 दिन का काम नहीं मिल पा रहा। इसके अलावा मनरेगा में कई तरह के घोटाले भी हो रहे हैं। मनरेगा मजदूरी को पहले तो साल में 100 दिन का काम नहीं मिल रहा और दूसरे उन्हें पूरी दिहाड़ी भी नहीं दी जा रही। कई तरह से मनरेगा मजदूरों का शोषण किया जा रहा है।


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