गड़बड़ियों के कारण अटकी बच्चों की किस्त
खंड के राजकीय स्कूलों के सैकड़ों बचों के नाम पिता के नाम आधार नंबर और बैंक खातों के मैच नहीं करने से उनके वजीफे वर्दी व स्टेशनरी के पैसे अटके हैं। उनकी किस्त खाते में नहीं आई है जबकि मार्च में दूसरी किस्त आने वाली है। अटकी किस्तों में वजीफा वालों की संख्या अधिक है।
जागरण संवाददाता, समालखा :
खंड के राजकीय स्कूलों के सैकड़ों बच्चों के नाम, पिता के नाम, आधार नंबर और बैंक खातों के मैच नहीं करने से उनके वजीफे, वर्दी व स्टेशनरी के पैसे अटके हैं। उनकी किस्त खाते में नहीं आई है, जबकि मार्च में दूसरी किस्त आने वाली है। अटकी किस्तों में वजीफा वालों की संख्या अधिक है।
उल्लेखनीय है कि खंड में 77 राजकीय स्कूल हैं, जिनमें प्राथमिक पाठशालाओं की संख्या 43, मध्य की तीन, उच्च 7 और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 24 है। इनमें करीब 15 हजार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिनमें एससी, बीसी और बीपीएल परिवार के बच्चों को सरकार से वजीफा सहित अन्य सुविधाएं मिलती हैं।
पहली से आठवीं तक के बच्चों को मिलती सभी चीजें
राजकीय स्कूल के पहली से आठवीं तक के करीब 10 हजार बच्चों को वजीफा के साथ वर्दी व स्टेशनरी के भी पैसे मिलते हैं। तीनों चीजों के पैसे उनके बैंक खाते में हर छह माह के अंतराल पर डाले जाते हैं। मुख्य रूप से खाता और आधार नंबर के लिक में गड़बड़ी से बच्चों के खाते में पहली किस्त के पैसे नहीं आए हैं।
स्कूल का काटते चक्कर
सुमित्रा पत्नी राजू भापरा ने बताया कि उनके चार बच्चे राजकीय स्कूल में हैं, जिनमें दो भापरा प्राथमिक पाठशाला में है। उनके दो बच्चों की वर्दी और स्टेशनरी की किस्त नहीं आई है। वीरमति पत्नी लोकेंद्र ने बताया कि उनके भी दोनों बच्चे इसी पाठशाला में हैं, जिनकी किस्त नहीं आई है।
किस्त ऊपर से खाते में डाली जाती : बीईओ
खंड शिक्षा अधिकारी ने कहा कि बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं के पैसे किस्त के रूप में एजेंसी द्वारा सीधे बच्चों के बैंक खाते में डाले जाते हैं। हर बार कुछ न कुछ बच्चों के आधार लिक की परेशानी से किस्त रूक जाती है। उन्होंने करीब एक हजार बच्चों के नाम, पिता के नाम, खाता व आधार नंबरों को सही कर दोबारा भेजा है। जल्द ही सभी के खाते में पेमेंट आ जाएगी।