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हरियाणा पुलिस के इस जवान का एक ही मिशन, जानकर रह जाएंगे हैरान

हरियाणा पुलिस के एएसआई के मिशन का हर कोई कायल है। अब तक न जाने कितनों का दुख दर्द मिटा चुके हैं। कितने बिछड़ों को अपनों से मिला चुके हैं। अब तक उन लिस्‍ट में करीब 500 गुमशुदा महिलाएं पुरुष और बच्‍चे शामिल हो चुके हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 09:11 AM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 09:11 AM (IST)
हरियाणा पुलिस के इस जवान का एक ही मिशन, जानकर रह जाएंगे हैरान
एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट में तैनात एएसआइ राजेश कुमार।

यमुनानगर, जेएनएन। स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट में तैनात एएसआइ राजेश कुमार का एक ही मिशन है कि वह परिवार से बिछड़ चुके लोगों को मिलाए। अब तक अपनों से बिछड़े हुए करीब 500 महिलाओं, पुरुषों व बच्चों को वह मिला चुके हैं। कई ऐसी महिलाओं को वह तलाश चुके हैं, जिनसे मिलने की आस उनके परिवार के लोग छोड़ चुके हैं।

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अभी उन्होंने उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले की रहने वाली महिला को तलाशा। यह महिला सरस्वतीनगर के गांव मगरपुर में बने नी आसरा दा आसरा आश्रम में रह रही थी। यह महिला मानसिक रूप से बीमार है। जिस वजह से परिवार से बिछड़ कर अंबाला में पहुंच गई थी। एएसआइ राजेश ने अंबाला पुलिस से बात कर महिला को मगरपुर गांव में बने आश्रम में रखवाया। फिर उसके परिवार की तलाश शुरू की। एएसआइ राजेश कुमार ने बताया कि महिला के बारे में सुलतानपुर जिले में संपर्क किया गया, लेकिन कोई पता नहीं लगा। बाद में इस महिला की फोटो फेसबुक पर डाली। साथ में अपना मोबाइल नंबर भी डाला। कुछ दिनों बाद उनके मोबाइल पर ाकाल आई और एक व्यक्ति ने महिला के बारे में जानकारी दी। जिस पर महिला के परिवार से संपर्क किया और महिला के परिवार को बुलाया। महिला की पहचान द्रोपदी के रूप में हुई। उसका पति श्याम लाल उसे लेने पहुंचा।

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2016 से लेकर अब तक तलाशे 500 गुमशुदा

एएसआइ राजेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2016 से लेकर अब तक वह करीब 500 महिलाओं व बच्चों को उनके परिवारों से मिला चुके हैं। दिल्ली से वर्ष 2002 में लापता हुई महिला को 11 साल बाद उनके परिवार से मिलवाया था। उस महिला को केवल इतना ही याद था कि राजस्थान में उसकी बहन है। फिर राजस्थान में उसकी बहन को तलाशा गया और उसके जरिए महिला को पति से मिलाया। इसी तरह से राजस्थान के धालीवाड़ की रहने वाली छह साल की बच्ची गुम हो गई थी। यह बच्ची चलती ट्रेन से गिर गई थी। इसके बाद उसका पता नहीं लगा। लड़की को केवल इतना याद था कि उसकी मां साड़ी व घाघरा चौली पहनती है। गांव में उनके हवेली है। इसी आधार पर तलाश शुरू की। यह लड़की बहादुरगढ़ में रह रही थी। इसे भी परिवार से मिलाया।

आश्रमों का एकत्र कर रखा रिकॉर्ड

एएसआइ राजेश कुुमार ने आश्रमों का रिकॉर्ड एकत्र कर रखा है। उन्होंने देशभर के आश्रमों के कॉन्टेक्ट नंबर जुटा रखे हैं। इसी के जरिए वह गुमशुदा लोगों के बारे में इन आश्रमों में पता करते हैं। एएसआइ राजेश का कहना है कि जब भी कोई परिवार से बिछड़ता है, तो उसे केवल आश्रमों या फिर मंदिर व गुरुद्वारा में सहारा मिलता है। इसलिए इन सब जगहों के नंबर उन्होंने जुटा रखे हैं। अब तो आश्रमों व मंदिरों से उनके पास भी किसी गुमशुदा के बारे में काल आ जाती है। फिर वह उसके आधार पर तलाश शुरू कर देते हैं।


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