मिलिए पानीपत के दिव्यांग किसान से, खेती कर मजबूत बना, अब विश्व पैरा पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में चयन
किसान सतीश कादियान ने गन्ने के खेत की निराई कर हाथों को ताकतवर बनाया और नेशनल में स्वर्ण पदक जीत लिया। केरल में हुई प्रथम प्रथम पैरा मास्टर नेशनल इंडोर गेम्स में पावर लिफ्टिंग में पाई सफलता। जापान में होने वाली विश्व पैरा पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप के लिए चयनित हुए।
पानीपत, [विजय गाहल्याण]। हौसले बुलंद हों तो बड़ी से बड़ी बाधा भी बौनी साबित हो जाती है। सफलता कदम चूमती है। ऐसा ही कमाल दिव्यांग सिवाह गांव के 41 वर्षीय किसान सतीश कादियान ने कर दिखाया है। उन्होंने गन्ने के खेत की निराई कर हाथों को ताकतवर बनाया। केरल में 1 से 3 सितंबर तक हुई प्रथम पैरा मास्टर नेशनल इंडोर गेम्स में पावर लिफ्टिंग में 150 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीता। अब उनका चयन जापान में मई 2022 में होने वाली विश्व पैरा मास्टर पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप के लिए हो गया है।
इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें शारीरिक चुनौतियों को सामना करना पड़ा। सतीश कादियान ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि पिता टेकराम फौजी थे। वह आठ साल के थे, तब पिता का देहांत हो गया। पोलियो की वजह से उनका बांया पैर कमजोर हो गया। इसी वजह से पिता की तरह फौज में भर्ती होने का सपना पूरा नहीं हो पाया। वर्ष 2018 में गांव के संदीप ने उन्हें बताया कि वह पैरा गेम्स में भाग ले सकते हैं। उन्होंने पावर लिफ्टिंग की दिल्ली में कोच भूपेंद्र धवन के पास ट्रेनिंग ली। पैर कमजोर होने के कारण वेट उठाने में दिक्कत होती थी। कोच ने हौसला बढ़ाया। कड़ा अभ्यास कर 2019 में नेशनल में कांस्य पदक जीता। इसके बाद जुनून बढ़ा और कामयाबी पाई।
खुशदिल कादियान से मिली प्रेरणा
सतीश ने बताया कि गांव के निवर्तमान सरपंच और उनके दोस्त खुशदिल कादियान पहलवान रहे हैं। उन्हीं से प्रेरित होकर दंड-बैठक लगाई और शरीर को मजबूत बनाया। वह नशे से दूर रहा। खेलों में रुझान बढ़ा। कोच भूपेंद्र धवन, खुशदिल, बड़े भाई राजीव व कृष्ण और मां फूलपति ने पूरा साथ दिया। इसी वजह से सफल हो पाया। खुशदिल कादियान ने बताया कि गांव लौटने पर सतीश को सम्मानित किया जाएगा।
बेटे से किया वादा पूरा किया
सतीश ने बताया कि पत्नी पूनम कई बार मजाक कर लेती थी कि बुढ़ापे में वजन उठाते हुए चोट न खा लेना। जब उन्होंने मेहनत की और नेशनल में पहला कांस्य पदक जीत लिया तो पत्नी ने भी तारीफ की। नेशनल में जाने से पहले इकलौते बेटे 11 वर्षीय आयुष ने कहा था कि स्वर्ण पदक जीतना। उन्होंने पदक जीतकर बेटे को दिया वादा निभा दिया है। अब विश्व पैरा चैंपियनशिप में पदक जीतने का लक्ष्य है। इसके लिए और कड़ा अभ्यास करूंगा।