चलते-चलते गिर जाता था मिलन, इस तरह बना रिंग का चैंपियन
जो पड़ोसी उसे देखकर मजाक उड़ाते थे, अब वह उसे बधाई देते नहीं थकते। अचानक कुछ ऐसा हुआ कि वह रिंग का किंग बन बैठा। जानिए क्या हुआ उसके साथ।
विजय गाहल्याण, पानीपत: पहले चलने में कदम डगमगाते थे, अब उसके पंच से बड़े-बड़े पस्त पड़ जाते हैं। चार साल की अग्नि परीक्षा में उसने कुछ ऐसा किया कि वह बॉक्सिंग रिंग का किंग बन बैठा। मजाक उड़ाने वाले पड़ोसी भी अब उसे बधाई देते नहीं थकते। जानने के लिए पढि़ए दैनिक जागरण की ये खास खबर।
बतरा कॉलोनी का मिलन देशवाल (13) कमजोर इतना था कि चलते-चलते गिर जाता था। सहपाठी भी उसकी पिटाई कर देते थे। चार साल पहले किसान पिता पवन देशवाल ने बेटे को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए शिवाजी स्टेडियम में बॉक्सिंग कोच सुनील कुमार के पास छोड़ दिया।
पड़ोसी और परिचित से मिले ताने
पड़ोसी और परिचित ताने पिता को ताने देने लगे कि मिलन ठीक से चल भी नहीं पाता है तो वह बॉक्सिंग कैसे कर पाएगा। क्यों बच्चे की जिंदगी से खिलावाड़ कर रहे हो। अच्छा होगा बेटे की पढ़ाई पर जोर दें। पिता-पुत्र ने किसी की परवाह नहीं की।
मिलन ने किया कड़ा अभ्यास
मिलन ने कड़ा अभ्यास किया। उन्होंने अंडर-14 में 42 से 44 किलोग्राम में मिलन ने कड़ा अभ्यास किया और रेवाड़ी में 3 से 6 नवंबर को हुई राज्यस्तरीय स्कूल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पांच बॉक्सरों को हराकर स्वर्ण पदक जीता। अब उसका चयन दमन-द्वीप में जनवरी 2019 में होने वाली नेशनल स्कूल बॉक्सिंग प्रतियोगिता के लिए हो गया है। जो लोग मिलन पर तंज कसते थे, अब वे उसकी सफलता पर बधाई देते हैं।
पिता बॉक्सर नहीं बन पाए तो बेटे को बनाया चैंपियन
मूल रूप से अटावला गांव के पवन देशवाल ने बताया कि उसे बॉक्सिंग का शौक था। राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में शिरकत की, लेकिन पदक नहीं जीत पाया। कोचिंग अच्छी न मिलने व सुविधा के अभाव में खेल छूट गया। नेशनल चैंपियन बनने का सपना टूट गया। इकलौते बेटे मिलन को बॉक्सर बनाने की ठान ली। बेटे का शरीर कमजोर था। चुनौती बड़ी थी। कोच सुनील ने हौसला दिया कि उसके बेटे को अच्छा बॉक्सर बनाएगा। बेटे ने चार साल तक कठिन अभ्यास किया और अब सफलता मिली तो अच्छा लग रहा है। बेटे को देख छोटी बेटी याक्षिका देशवाल भी बॉक्सिंग करती है।
स्पीड से विरोधी बॉक्सर को थका देता है
बॉक्सिंग कोच सुनील कुमार ने बताया कि मिलन नेशनल ग्रामीण बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण और राज्य स्तरीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता में तीन स्वर्ण पदक जीत चुका है। मिलन रिंग में स्पीड से शरीर की मूवमेंट करता है और विरोधी बॉक्सर को थकाकर पंच जड़ता है। यही खूबी उसे दूसरे बॉक्सरों से अलग करते हुए सफलता दिलाती है। मिलन हर रोज छह घंटे अभ्यास करता है।