समालखा नगर पालिका में नहीं एमई, सीएम घोषणा पर भी काम नहीं हो रहा
समालखा नगर पालिका में एमई नहीं होने से सीएम घोषणा पर काम नहीं हो रहा है। पालिका एमई की नियुक्ति के लिए निदेशक से फरियाद। विकास कार्यों के टेंडर लगाने में आ रही है परेशानी। गन्नौर और पानीपत नगर निगम के अभियंता को जिम्मेदारी दी गई।
पानीपत, जागरण संवाददाता। नगरपालिका अधिकारी को अब कस्बे के विकास की चिंता सताने लगी है। सचिव ने डीएमसी के मार्फत शहरी स्थानीय निकाय के निदेशक से नियमित एमई लगाने की फरियाद की है। विकास कार्यों के प्रभावित होने का हवाला दिया है। खुद पर कोई आंच नहीं आए इसकी व्यवस्था की है।
उल्लेखनीय है कि पालिका में करीब ढाई साल से अभियंता का पद रिक्त है। गन्नौर और पानीपत नगर निगम के अभियंता को अतिरिक्त प्रभार देकर कागजी काम करवाया जाता है। वर्क लोड का हवाला देकर अतिरिक्त प्रभार के एमई उच्चाधिकारी के बुलाने पर ही पालिका कार्यालय में दर्शन देते हैं। अधूरे विकास कार्यों के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। नए टेंडर लगाने में भी दिलचस्पी नहीं लेते हैं। अभियंता के कारण सालों से विकास कार्य ठप पड़े हैं। सीएम घोषणा के फंड का भी टेंडर नहीं लगाया जा सका है। पुराने घोषणाओं के कार्य अधूरे पड़े हैं। कार्यों की लागत भी बढ़ती जा रही है। रिवाइज टेंडर भी पास नहीं हो रहे हैं।
करीब दर्जन के कार्यों पर लगा है ब्रेक
सीएम ने 2018 में जौरासी गांव की रैली में नपा के विकास के लिए 5 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी। पार्षदों के बीच चयनित कार्यों को लेकर विवाद और पालिका अभियंता की कमी से उक्त कार्य चार साल बाद भी सिरे नहीं चढ़ सके हैं। गत जुलाई में पालिका भंग होने के बाद विवाद भी शांत हो गया है, लेकिन अभियंता की कमी से टेंडर नहीं लगाया गया है। कस्बे में नए कार्य शुरू नहीं हो रहे तो पहले से चल रहे निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं।
स्थाई एमई की जरूरत है
सचिव मनीष शर्मा ने बताया कि डीएमसी के माध्यम से निदेशक के पास स्थाई एमई के लिए गुहार लगाई गई है। स्थाई एमई के आने से ही विकास कार्य संभव है। अधूरे कार्यों को दोबारा चालू करवाया जा सकता है।