जानिए पानीपत के दधीचि के बारे में, मरने से पहले कर गए कुछ ऐसा
मास्टर जय सिंह का पार्थिव शरीर से अब पीजीआई रोहतक के डॉक्टरों को ज्ञान मिलेगा। उन्होंने शरीर दान देने का ये फैसला दो साल पहले ही कर लिया था। उनकी अंतिम इच्छानुसार शव को दान किया।
पानीपत, जेएनएन। जब तक जिंदगी रही तब लोगों में शिक्षा की ज्ञान की अलख जगाते रहे और अब मरने के बाद उनका शरीर शिक्षा देता रहेगा। विश्वास नहीं हो रहा तो ये खबर पढि़ए।
किवाना के मास्टर जय सिंह का पार्थिव शरीर डॉक्टरों के शोध में चार चांद लगाएगा। परिजनों ने उनकी इच्छा के अनुसार रोहतक पीजीआइ को उनका शरीर दान कर दिया है। उनका 89 साल की उम्र में गत 5 जनवरी को स्वस्थ अवस्था में निधन हुआ था। 2015 को उन्होंने पीजीआइ में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था। रविवार को उनकी 13वीं पर ग्रामीणों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीजीआइ के डॉक्टर विवेक मलिक ने उनके बेटे साहब ङ्क्षसह को प्रमाण पत्र दिया। जय ङ्क्षसह अपने भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
गांव के पहले दसवीं पास थे जय सिंह
जय सिंह गांव के पहले 10वीं पास व्यक्ति थे। दिल्ली सरकार में 1960 में उन्हें संस्कृत शिक्षक की नौकरी मिली। नौकरी करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। पत्राचार से एमए और बीएड किया। 1995 में सेवानिवृत होने के बाद सामाजिक और धार्मिक कार्यों में लग गए।
मास्टर जय सिंह का फाइल फोटो।
पीजीआइ में बॉडी खरीदने के लिए नहीं होता फंड
पीजीआइ के शरीर रचना विभाग के अध्यक्ष और शरीर दान शाखा के प्रभारी प्रो. विवेक मलिक ने कहा कि रिसर्च और सर्जरी की पढ़ाई के लिए पार्थिव शरीर की जरूरत होती है। संस्थान के पास इसके लिए कोई फंड नहीं होता है। यह लोगों से दान में ही प्राप्त होता है। हजारों बच्चों की डॉक्टरी और शोध में यह मददगार बनता है। संस्थान में सालों तक शरीर को संरक्षित रखा जाता है।
ये है दान की प्रक्रिया
डॉ. विवेक ने कहा कि परिजनों से गहन विचार विमर्श के बाद मरने से एक माह पहले लोगों को पास के संस्थान में इसका रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। आवेदन फार्म पर परिजनों के हस्ताक्षर होते हैं। फिर मौत के तुरंत बाद संस्थान को सूचना देनी होती है। उन्होंने कहा कि अंगदान के लिए संबंधित विभागों में अलग से रजिस्ट्रेशन होता है। मरने के चार घंटे के भीतर उक्त विभाग की टीम सर्जरी कर अंग ले जाते हैं। उसके बाद इसके खराब होने का डर रहता है।
रस्म क्रिया में ये रहे मौजूद
इस अवसर पर डॉ. आरडी दहिया, भाजपा नेता कृष्ण किवाना, राजकुमार कालीरमण, पूर्व सरपंच भुनेश कुमार, मदनपाल छौक्कर, राजेंद्र पट्टीकल्याणा, सतबीर छौक्कर, जय सिंह छौक्कर, जोगेंद्र छौक्कर, सुनील कुमार, कबूल सिंह, राजपाल मास्टर, रामेश्वर, सतबर पंच व राजेश कानूनगो मौजूद रहे।