ऐसा न करें, अंबाला में वधू बनाई जा रहीं बालिकाएं, आठ माह में 11 नाबालिग लड़कियों की शादी रुकवाई
अंबाला में बाल विवाह के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे। 8 महीनों में 11 नाबालिगों की शादी रुकवाई गई। दो मामलों में तो खुद लड़कियों ने फोन कर पुलिस को जानकारी दी। लोग गरीबी के कारण भी बच्चियों की शादी जल्द कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर। बाल विवाह अपराध है, यह सभी को जानकारी है। इसके बावजूद नियमों को तार-तार कर दिया जाता है। कानूनी तौर पर शादी के लिए लड़के की आयु 21 और लड़की की उम्र 18 साल निर्धारित की हुई है। इसके बावजूद लोग बाल विवाह से गुरेज नहीं कर रहे। जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी के मुताबिक आठ माह में ही 11 मामले बाल विवाह के सामने आए हैं। हालांकि विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इन बाल विवाह पर रोक लगाई है।
आज के समय में भी जिला में बाल विवाह के मामले सामने आना बेहद शर्मनाक स्थिति है। बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जा रहा है। उस हालात में भी बाल विवाह करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षित समाज होने के बावजूद कुछ परिवार अपने बच्चों की छोटी उम्र में ही शादी कर रहे हैं। इसको लेकर जिला प्रशासन व पुलिस पूरी तरह से चौकस है, जहां से भी सूचना मिलती है तो उस पर कार्रवाई की जाती है।
दो बच्चियों ने खुद फोन कर दी शिकायत
जिला प्रशासन ने सूचना मिलने पर बाल विवाह रुकवाए। 11 नाबालिगों को दुल्हन बनने से बचा लिया गया। इनमें से सात बाल विवाह मौके पर और दो अदालत के आदेश पर रुकवाए गए। पिछले आठ माह में बाल विवाह की कई शिकायतें ऐसी भी मिलीं, जिनमें कुछ जांच में गलत पाई गईं। दो बच्चियों ने खुद का बाल विवाह होने पर शिकायत की, जिसके बाद बाल विवाह रोके गए।
बाल विवाह के विरुद्ध पुलिस ने कब की कार्रवाई
- गांव घेल खुर्द में 15 वर्षीय किशोरी का विवाह करवाने पर माता-पिता समेत दो सरपंचों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
- लखनौरा साहिब में शादी रुकवायी गई थी।
- अंबली गांव में कोर्ट के आदेश पर शादी रुकवायी गई।
- बड़ी रसोर गांव की किशोरी का महेशनगर में बाल विवाह को रोका।
- मटेहड़ी में बाल विवाह के बाद चुन्नी चढ़ाकर विदा की जा रही नाबालिग की शादी रोकी गई।
- पंजाब के खरड़ से वधू नाबालिग होने के कारण बारात वापस लौटा दी थी।
सजा का भी है प्रावधान
वकील राजेश शर्मा ने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत सजा के प्रावधान हैं। इसमें मामला सही पाए जाने पर दूल्हा-दुल्हन, उनके माता-पिता सहित विवाह में शामिल सभी लोगों को सजा हो सकती है। यहां तक की बाराती वाहन के चालक, फोटोग्राफर, लाइट डेकोरेशन, बैंड बाजा वाले भी सजा के दायरे में आ जाते हैं। बाल विवाह के मामलों में दो साल का कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी जा सकती है।
बच्चों के भविष्य को देखकर कदम उठाना चाहिए
जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी अरविंद्रजीत कौर ने कहा कि नाबालिग लड़कियों की शादी न करें, लड़कियां भी सहजता व समझदारी से काम लें। अपने भविष्य को देखते हुए कोई कदम उठाना चाहिए। अगर जल्दी शादी हो जाती है तो जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है। जो निभा नहीं पाते और बाद में घरेलू विवाद बढ़ जाता है। कई बार परिवार आर्थिक हालात ठीक न होने के कारण बाल विवाह का कदम उठा लेते हैं। 1091, 1098, 01712552242 पर भी बाल विवाह की सूचना दी जा सकती है।
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