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साइलेंट किलर ने ली मनोहर पर्रीकर की जान, यहां छिपा होता है ये कैंसर

जो भोजन को पचाता है वहीं हो जाता है पैंक्रियाटिक कैंसर इसी से हुई थी मनोहर पर्रीकर की मौत। इस कैंसर का पता देर से चलता है। एप्‍पल के सीईओ स्‍टीव जॉब्‍स भी इसी से पीडि़त थे।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 01:07 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 11:53 AM (IST)
साइलेंट किलर ने ली मनोहर पर्रीकर की जान, यहां छिपा होता है ये कैंसर
साइलेंट किलर ने ली मनोहर पर्रीकर की जान, यहां छिपा होता है ये कैंसर

पानीपत [राज सिंह]। पैंक्रियाटिक कैंसर की वजह से गोवा के पूर्व मुख्‍यमंत्री एवं देश के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर का निधन हो गया। बेहद कम लोग इस बीमारी के बारे में जानते हैं। इसे कैंसर को बेहद खतरनाक माना जाता है। शरीर के पाचन तंत्र में एक पैंक्रियास नाम का ऑर्गन होता है। यह भोजन को पचाने और शुगर लेवल को नियमित रखने में मदद करता है। इसी ऑर्गन में हुए कैंसर को पैंक्रियाटिक कैंसर कहते हैं। चिंता का विषय यह कि इसका पता अंतिम स्टेज में चलता है। गनीमत ये है कि पानीपत में अभी इसका कोई केस नहीं मिला।

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पानीपत के प्रेम कैंसर अस्पताल के रेडिएशन थैरेपिस्ट डॉ. अनुभव मुटनेजा ने बताया कि यह कैंसर मात्र 1 फीसद रोगियों में पाया जाता है। इनमें से महज 20 फीसद रोगी ही सर्जरी के बाद स्वस्थ हो पाते हैं। इसकी वजह पैंक्रियाटिककैंसर का पहली और दूसरी स्टेज में पता नहीं लगना है। खानपान और रहनसहन से इस कैंसर को कोई खास लेना-देना नहीं है। यह किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। किसी व्यक्ति को पीलिया के इलाज के बाद भी पेट में लगातार दर्द रहे या पेट फूले तो समझ लेना चाहिए कि कुछ गड़बड़ है। तुरंत किसी विशेषज्ञ से चेकअप कराना चाहिए।

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रेडिएशन थैरेपिस्ट डॉ. अनुभव मुटनेजा

यह है पेनक्रिएटिक कैंसर का इलाज 

  • रेडिएशन थैरेपिस्ट डॉ. अनुभव मुटनेजा के अनुसार सर्जरी के जरिए पैंक्रियास के उस भाग को काट कर निकाल देते हैं, जिसमें कैंसर सेल्स होते हैं। यह सर्जरी बहुत जटिल है।
  • कीमोथेरेपी करते हुए दवाइयों को शरीर के अंदर डाला जाता है। कैंसर सेल्स को मारने की कोशिश की जाती है।
  • रेडियोथैरेपी में रेडियो वेव्स की मदद से कैंसर सेल्स को खत्म करने की कोशिश की जाती है। यह इलाज काफी महंगा है औरलंबा चलता है।

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स्‍टीव जॉब्‍स को भी यही कैंसर था
आइफोन को बुलंदी पर ले जाने वाले स्‍टीव जॉब्‍स को भी यही कैंसर था। 1998 में उन्‍होंने बाजार में आइमैक उतारा था। उनके नेतृत्व में एप्पल ने बडी सफलता प्राप्त की। सन् २००१ में एप्पल ने आई पॉड का निर्माण किया। फिर ट्यून्ज़ स्टोर का निर्माण किया। एप्पल ने आइ फोन बनाए, जो दुनियाभर में छा गए थे।

 इनको अपने खान-पान में शामिल करें
अंगूर: अंगूर में पोरंथोसाईंनिडींस की भरपूर मात्रा होती है, जिससे एस्ट्रोजेन के निर्माण में कमी होती है और फेफड़ों के कैंसर के साथ अग्‍नाशय कैंसर के उपचार में भी लाभ मिलता है।

ग्रीन टी: प्रतिदिन एक कप ग्रीन टी का सेवन करते हैं तो अग्‍नाशय कैंसर होने का खतरा कम होता है। यह इसके उपचार में भी मददगार है।

एलोवेरा: एलोवेरा यूं तो बहुत से रोगों में फायदा पहुंचाता है, लेकिन पैनक्रीएटिक कैंसर में भी यह फायदेमंद है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से लाभ मिलता है।

सोयाबीन: इसके सेवन से अग्‍नाशय कैंसर में फायदा मिलता है। इसके साथ ही सोयाबीन के सेवन से स्‍तन कैंसर में भी फायदा मिलता है।

लहसुन: इसमें औषधीय गुण होते हैं। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट के साथ ही एलीसिन, सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन बी आदि होते हैं। जिसकी वजह से यह कैंसर से बचाव करता है और कैंसर हो जाने पर उसे बढ़ने से रोकता है।

व्हीटग्रास: व्हीटग्रास कैंसर युक्‍त कोशाणुओं को कम करने में भी सहायक होती है। इसके साथ ही यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है।


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