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करनाल में दो हिस्सों में बनेगा बागवानी विश्वविद्यालय, सरकार ने दिए 486 करोड़

फिलहाल एमएससी व पीएचडी के लिए कक्षाएं हिसार के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार में लगाई जा रही हैं। जुलाई से यूजी कक्षाएं यहीं पर शुरू होंगी। पहले सेशन में विवि में 40 सीटें हैं। विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए पहले 150 करोड़ की किश्त जारी हो चुकी है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 05:29 PM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 05:29 PM (IST)
करनाल में दो हिस्सों में बनेगा बागवानी विश्वविद्यालय, सरकार ने दिए 486 करोड़
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र उचानी की 65 एकड़ जमीन एमएचयू के नाम किया ट्रांसफर किया जाएगा।

पानीपत/ करनाल, जेएनएन। अंजनथली में बनने वाला महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए पहले 150 करोड़ की किश्त जारी हो चुकी है। लेकिन अब इसका निर्माण अलग-अलग टुकड़ों में किया जाएगा। अंजनथली की बजाय उचाना में मिली विश्वविद्यालय के लिए जगह निश्चित की गई है। प्रशासनिक व रिसर्च का काम जीटी रोड से सटी जगह उचानी में ही किया जाएगा।

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चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र उचानी की 65 एकड़ जमीन एमएचयू के नाम किया ट्रांसफर किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया जोरों पर चल रही है। इसके बदले में एचएयू को प्रोजेक्ट व डेमो मॉडल लगाने के लिए अंजनथली में 45 एकड़ जमीन दी गई है। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के लिए 486 करोड़ रुपये का बजट मिलना है। बता दें कि फिलहाल एमएससी व पीएचडी के लिए कक्षाएं हिसार के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार में लगाई जा रही हैं। जुलाई से यूजी (अंडर ग्रेजुएट) की कक्षाएं यहीं पर शुरू होंगी। पहले सेशन में विवि में 40 सीटें हैं।

पिछले दिनों हुई बैठक में हुई चर्चा

वाइस चांसलर प्रो. समर सिंह ने इस प्रोजेक्ट को गति देने को लेकर महत्वपूर्ण बैठक की थी। जिसमें यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डा. अजय कुमार समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में विश्वविद्यालय में बनने वाले भवनों और हास्टलों को लेकर चर्चा की गई और पूरे प्रोजेक्ट की समीक्षा की। कार्य को जल्दी करने के लिए निर्देश दिए गए। इस दौरान निर्माण कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल कक्षाएं शुरू करने के लिए फैब्रिकेटेड भवन तैयार किए जाएंगे। इसके लिए लोहे के एंगल पर पूरी बिल्डिंग खड़ी की जाती है। विश्वविद्यालय के अलावा इसके तीन अन्य रीजनल सेंटर हैं। इनमें रैया झज्जर, बिधाना जींद व नारायणगढ़ का गांव चंदौली शामिल हैं।

मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है यह विश्वविद्यालय

बागवानी विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री मनोहर लाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है और वे इसको लेकर गंभीर भी हैं। पिछले दिनों खुद सीएम मनोहर लाल उचानी स्थित विवि के कार्यालय में पहुंच गए थे और वीसी के साथ करीब एक घंटे तक मंथन किया था। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिए थे कि इस कार्य में और तेजी लाई जाए। इसी के चलते विश्वविद्यालय के अधिकारी भी कोशिश कर रहे हैं कि इस सत्र से कोर्स शुरू हो जाएं।

80 एकड़ में है प्याज की फसल

फिलहाल विश्वविद्यालय की जमीन का चारों तरफ से चारदीवारी कराई जा चुकी है। साथ ही मुख्य प्रवेश द्वार बनाया गया है। पिछले दिनों सीएम मनोहर लाल ने खाली पड़ी जमीन के सदुपयोग के लिए निर्देश दिये थे कि यहां पर प्याज लगाया जाए। क्योंकि उस समय प्याज के रेट ज्यादा थे, अब वहां प्याज लगाई गई है और उसकी देखभाल की जा रही है। नये सेशन से पहले यह फसल ले ली जाएगी।

तेजी से चल रहा है कार्य : प्रो. समर सिंह

इस बारे में महाराणा प्रताप बागवानी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर समर सिंह का कहना है कि विवि का कार्य तेजी से चल रहा है। लगातार अपडेट लेकर फालोअप भी किया जा रहा है। विवि को 150 करोड़ रुपये का प्रथम बजट अलाट हो चुका है। इसको देखते हुए विवि में यूजी कक्षाएं शुरू करने को भवन बनाने को टेंडर दिए गए हैं। कंपनी को अप्रैल तक का समय दिया गया है। हमें पूरा विश्वास है कि जुलाई माह से यहां पर यूजी कोर्स की कक्षाएं शुरू कर देंगे।

यह होगा विश्वविद्यालय का फायदा

प्रो. समर सिंह ने कहा कि मुख्य उद्देश्य अनुसंधान, शिक्षा, विस्तार विषय में उत्कृष्ट कार्य करना है। बागवानी पर जल्द किसानों के लिए कम अवधि वाले प्रशिक्षण कोर्स शुरू करवाए जाएंगे। मुरथल स्थित सेंटर भी विश्वविद्यालय के अधीन आ गया है, जहां व्यवस्थित ढांचा है। कोर्स के लिए मुरथल को चुना जा सकता है। इससे पहले जनवरी 2020 में ही हाइटेक नर्सरी से बढ़िया पौधे किसानों को उपलब्ध करवाएंगे।

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