Move to Jagran APP

किसानों को झटका, बासमती के दामों में भारी गिरावट, जानिए आज के भाव

किसानों को चिंंता सता रही है। बासमती के दामों में भारी गिरावट होने से किसानों को नुकसान हो रहा है। तीन सप्ताह में एक हजार रुपये प्रति क्विंटल रुपये की गिरावट हुई है। वहीं शुरुआत में करीब एक हजार रुपये बढ़े थे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 18 Dec 2021 05:56 PM (IST)Updated: Sat, 18 Dec 2021 05:56 PM (IST)
किसानों को झटका, बासमती के दामों में भारी गिरावट, जानिए आज के भाव
हरियाणा में बासमती के दामों में भारी गिरावट।

अंबाला, जागरण संवाददाता। बासमती के दामों में गिरावट होने से किसानों को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि महज तीन सप्ताह मेंएक हजार रुपये प्रति क्विंटल तक दाम गिर गए हैं। इसी तरह 1121 किस्म में भी गिरावट आ गई है। जिन किसानों ने दाम बढ़ने की उम्मीद में अपनी फसल को बेचने के लिए रोक लिया था उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे में अब इन किसानों को मजबूरी में कम दाम में ही फसल बेचनी पड़ रही है। अगर तीन सप्ताह पहले की बात करें तो धन की किस्मों के दामों में रोजाना बढ़ाेतरी हो रही थी। जिससे किसान खुश थे। क्योंकि बासमती ने लंबे समय बाद छलांग लगाई थी। लेकिन इसके बाद फिर गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया।

loksabha election banner

1121 किस्म

1121 किस्म ने इस साल पिछले साल के मुकाबले दोगुना छलांग लगा दी थी। यह प्रति क्विंटल 3800 से 3900 तक बिकी। जबकि सीजन के शुरू में 3100-3200 तक थी और पिछले साल प्रति क्विंटल 2100-2200 रुपये थी। परंतु अब 3600 रुपये प्रति क्विंटल तक सिमट कर रह गई है।

बासमती किस्म

बासमती ने इस साल किसानों को लंबे समय के बाद खुशी दी थी। क्योंकि इसके दाम साढ़े चार हजार रुपये का आंकड़ा पार कर गए थे। जो प्रति क्विंटल 4600 से 4700 रुपये बिकी। जबकि पिछले साल प्रति क्विंटल 3100 से 3200 रुपये तक बिकी थी। लेकिन अब बासमती के दाम 3650 तक रह गए हैं।

अन्य किस्मों की आवक हुई बंद

भारत भूषण अग्रवाल ने बताया कि इस साल1509 किस्म प्रति क्विंटल 2800-2900 रुपये तक बिकी हैं। इसी तरह सरबती धान के दाम भी प्रति क्विंटल 2600-2700 रुपये तक मिल हैं। जबकि पिछले साल सरबती धान के दाम प्रति क्विंटल 1700 से लेकर 1800 रुपये तक थे। परंतु अब इन किस्माें की आवक भी बंद हो गई है।

हरवीर महल ने बताया कि बासमती के दाम जितना होना चाहिए उतना मिल नहीं पाता। क्योंकि इस फसल पर काफी खर्च आता है। ऐसे में किसानों ने इसकी बिजाई कम कर दी है। जबकि इसकी डिमांड अधिक है। यदि इसे एक्सपोर्ट किया जाए तो दाम बढ़ सकते हैं। एक्सपोर्ट न होने के कारण इसमें गिरावट आयी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.