फर्जी दस्तावेजों पर बैंक से लिया लोन, रिकवरी न होने पर हुआ पर्दाफाश, जानिए पूरा मामला
अंबाला में बदमाशों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक से लोन लिया। 2008 में आरोपितों ने बैंक की केसीसी लिमिट बनवा लोन लिया। लेकिन पर्दाफाश रिकवरी न होने पर हुआ। अदालत ने इस मामले में 5 लोगों को सजा सुनाई है।
अंबाला, जागरण संवाददाता। अंबाला शहर में जमीन के फर्जी दस्तावेज के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक से पांच-पांच लाख रुपये का लोन लेने के मामले में अदालत ने 5 लोगों को सजा सुनाई है। जिनमें वकील नरेंद्रपाल, बैंक फील्ड आफिसर कश्मीर सिंह, यमुनानगर के जनेश, अमर सिंह व रविंद्र कुमार को तीन-तीन साल की सजा सुना दी है। इसके साथ ही चार-चार हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने विगत दिनों पहले ही पांचों को दोषी करार दे दिया था।
2008 में आरोपितों ने बैंक की केसीसी लिमिट बनवा लोन लिया। लेकिन पर्दाफाश रिकवरी न होने पर हुआ। बैंक कर्मी गांव आबूपुर में पहुंचे जहां पता चला कि जो खसरा नंबर फर्द जमाबंदी में दिखाए गए थे, उन नंबरों की जमीन ही नहीं थी।
किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बनाकर लिया लोन
ग्रामीणों को फोटो दिखाने पर उन्होंने बताया कि ये लोग इस गांव के नहीं है। इसके बाद अक्टूबर 2010 में नारायणगढ़ थाना पुलिस ने नैब सिंह, रूपिंद्र सिंह, नंबरदार बचन सिंह, निरंजन सिंह, वकील देव बत्रा काे आरोपित बनाया लिया था। लेकिन जांच में यह मामले से बाहर कर दिए गए थे। बैंक मैनेजर जयप्रकाश अग्रवाल ने 2010 में शिकायत दी थी, जिसमें बताया था कि बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बनवाकर लोन लिया था। दस साल ट्रायल चलने के बाद अदालत ने फैसला सुनाया। अदालत ने पांचों आरोपितों को दोषी करार दे दिया था।
बैंक के फील्ड आफिसर से मिलीभगत
नरेंद्रपाल बैंक के पैनल पर था और उसने लोन दिलाने का काम शुरू किया था। 2008 में जनेश, अमर सिंह के फर्जी राशनकार्ड बनाकर उसे आबूपुर कुराली का किसान बताया गया और जमीन की फर्जी जमाबंदी तैयार की। बैंक के फील्ड आफिसर कश्मीर सिंह से मिलीभगत कर जनेश व अमर सिंह को रूपिंद्र सिंह और नैब सिंह साबित किया। इन दोनों के नाम पर किसान क्रेडिट कार्ड लिमिट बनाई और खातों में पांच-पांच लाख रुपये डाल दिये थे।