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Karnal Kisan Mahapanchayat News: किसान आंदोलन में बढ़ती जा रही भीड़, खाने-पीने की भी बढ़ाई व्‍यवस्‍था

Karnal Kisan Mahapanchayat News Update करनाल लघु सचिवालय के बाहर चल रहे धरने में किसानों की संख्‍या लगातार बढ़ रहे हैं। किसानों का जत्‍था पहुंच रहा है। भाकियू के प्रदेशाध्‍यक्ष चढ़ूनी ने साफ कहा है कि नहीं खुलने देंगे मेन गेट।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 09:33 AM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 01:59 PM (IST)
Karnal Kisan Mahapanchayat News: किसान आंदोलन में बढ़ती जा रही भीड़, खाने-पीने की भी बढ़ाई व्‍यवस्‍था
करनाल में पहुंच रहा किसानों का जत्‍था।

करनाल जागरण संवाददााता। जिला सचिवालय के पास दूसरी ओर की सड़क पर किसानों ने टेंट लगा लिया था। अब पार्किंग स्थल पर खाने-पीने की व्यवस्था व लंगर आदि के लिए भी कई जगहों पर तंबू लगाए गए। बुधवार को जिला सचिवालय के मुख्य द्वार के बाहर व आसपास दिन भर कड़ाके की धूप झेलते रहे पुलिस कर्मियों के लिए भी वीरवार सुबह ही तंबू लगाना शुरू किया, ताकि वे धूप से बच सके। इसी दौरान निरीक्षण के लिए पहुंची आइजी ममता सिंह ने इसे हटवा दिया और कहा कि यहां से कोई भी प्रशासनिक गतिविधि किए जाने की जरूरत पड़ सकती है। जवानों को धूप, बारिश जैसी परेशानी से नहीं घबराना चाहिए।

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मुख्य गेट से कर्मियों का प्रवेश रहा बंद

जिला सचिवालय का मुख्य गेट वीरवार को भी पूरी तरह से बंद रखा गया। इसी गेट के समक्ष किसानों ने पड़ाव डाला हुआ है तो भारी संख्या में पुलिस व अर्धसैनिक बल भी तैनात किया हुआ है। ऐसे में जिला सचिवालय में कार्य सुचारू रखने के लिए कर्मचारियों व आम लोगों को गेट नंबर दो व तीन नंबर गेट से ही अंदर जाने दिया जा रहा है।

जिला सचिवालय के बाहर किसानों द्वारा डाला गया पड़ाव सिंघु बार्डर की तर्ज पर बढ़ता जा रहा है। जहां धरना स्थल पर खाने-पीने से लेकर अन्य जरूरी व्यवस्था बढ़ाई जा रही है तो उत्तरप्रदेश से नरेश टिकैत, पंजाब से जोगिंद्र सिंह गोराया सहित अन्य किसान नेताओं के पहुंचने की भी संभावना जताई जा रही है। सुबह होते ही किसानों ने नारेबाजी शुरू कर दी तो वहीं किसान नेता सुरेश कौथ व अन्य ने उन्हें संबोधित किया।

योगेंद्र यादव गत शाम को ही यहां से रवाना हो गए थे तो राकेश टिकैत देर रात गए। रात भर गुरनाम सिंह चढूनी व सुरेश कौथ सहित अन्य किसान नेता धरनास्थल पर जमे रहे। सुबह सुरेश कौथ ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि एकजुटता के साथ-साथ अनुशासन भी दिखाना होगा। आसपास के जिलों ही नहीं प्रदेशाें से भी किसान यहां पहुंच रहे हैं और यह आंदोलन और भी मजबूत होता जा रहा है।

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स्थिति शांतिपूर्ण, फिर भी हमारे पुख्ता प्रबंध : आइजी

आइजी ममता सिंह ने इस दौरान पत्रकारों से चर्चा की और कहा कि स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण है, लेकिन एहतियात के तौर पर हर हालात पर नियंत्रण पाने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए है। अर्धसैनिक व पुलिस बल पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात है। किसानों से भी प्रशासन की ओर से बार-बार शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की जा रही है। जिला सचिवालय में कर्मचारी नियमित रूप से काम कर रहे हैं और लोगों को भी दूसरे गेटों से ही अंदर भेजा जा रहा है।

  • वीरवार को किसान आंदोलन में भीड़ जुटने की संभावना है। उत्‍तर प्रदेश और पंजाब के कई बड़े किसान नेता आ सकते हैं। नरेश टिकैत भी आज आएंगे। वहीं सुबह किसान नेता सुरेश कौथ आंदोलनकारियों को संबोधित कर रहे हैं। लघु सचिवालय के मेन गेट के पास टेंट में आंदोलन चल रहा है। वहीं दूसरी तरफ सड़क पर सुरक्षा बल मुस्‍तैद है। आइजी ममता सिंह और एसपी गंगा राम लगातार दिशा निर्देश दे रहे हैं। लघु सचिवालय का काम काम जारी है और दूसरे गेट से कर्मचारी अधिकारी आ जा रहे हैं।
  • किसान नेताओं और प्रशासन से वार्ता असफल रही। करनाल लघु सचिवालय के बाहर रात भर टिकैत और चढ़ूनी चर्चा करते रहे। वहीं अब इस आंदोलन को दिल्‍ली की तर्ज में चलाने का फैसला लिया। सुबह भी किसान नेताओं अलग-अलग आंदोलनकारियों से चर्चा की। वहीं, दो दिन बाद इंटरनेट सेवा भी बहाल कर दी गई। सुबह करीब साढ़े नौ बजे इंटरनेट सेवा बहाल हुई।

प्रशासन से वार्ता बेनतीजा रहने के बाद संयुक्त किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रोष भरे स्वर में कहा कि सरकार चाहती है कि दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के विरोध में जो धरने चल रहे हैं, वे करनाल शिफ्ट हो जाए। अब कोई संदेह नहीं है कि आंदोलन दिल्ली और करनाल में एक साथ लंबा चलेगा। इसी स्थान पर चलेगा और शांतिपूर्वक चलेगा।

नहीं खुलने देंगे मेन गेट, अधिकारियों को रोकेंगे: चढ़ूनी

बुधवार को दोपहर से शाम तक प्रशासनिक अधिकारियों से चली वार्ता बेनतीजा रहने के बाद किसान नेताओं के स्वर में आक्रामकता साफ झलकने लगी। उन्होंने लघु सचिवालय के गेट के सामने स्थित धरनास्थल पर जुटे किसानों से आह्वान किया कि गांव-गांव से बड़ी तादाद में किसानों को यहां बुलाएं। दो दिन में जबरदस्त भीड़ जुटनी चाहिए। 11 सितंबर को यहीं राजस्तरीय नेताओं और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर मंथन होगा। वहीं रात करीब साढ़े नौ बजे धरनास्थल पर किसानों को संबोधित करने पहुंचे किसान नेता चढ़ूनी ने दो टूक कहा कि लघु सचिवालय का मुख्य गेट किसी कीमत पर नहीं खुलने देंगे। हम गेट के आगे की सड़क से दस फुट पीछे बेशक हट जाएंगे लेकिन किसी अधिकारी को इस गेट से अंदर आने-जाने की अनुमति बिलकुल नहीं देंगे। आम आदमी को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी। हर हालत में गेट बंद रखा जाएगा।

टिकैत ने कहा, ताला तो प्रशासन ने लगाया

राकेश टिकैत ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि जनता को किसी भी तरह से परेशानी नहीं होनी चाहिए। सरकार की मंशा है कि जनता को परेशानी हो ओर आंदोलन बदनाम हो। आंदोलन में संयुक्त मोर्चा के नेता आते रहेंगे। गांव गांव से लोगों को लेकर आएं ताकि एकजुटता कायम रहे। वीरवार को जोगिंद्र उंगराहा जत्थेबंदियों के साथ करनाल आएंगे। आंदोलन के कारण किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। जिला सचिवालय में जनता अपने काम करवाने आएं, उन्हें क्या दिक्कत हैं। मेन गेट का ताला भी प्रशासनिक अधिकारियों ने लगाया है।

सरकार सत्ता के नशे में, किसान उतार देंगे: योगेंद्र

किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार किसानों की एक और न्यूनतम मांग भी मानने को तैयार नहीं है। किसानों की प्रमुख मांग थी कि अधिकारी के खिलाफ पर्चा दर्ज हो, लेकिन सरकार की ऐसा नहीं करना चाहती। सरकार को सत्ता का नशा चढ़ा है। इसे उतार देंगे। आंदोलन यहीं चलेगा। प्रशासन ने दूसरी जगह प्रदर्शन का प्रस्ताव दिया था, जो स्वीकार नहीं है।

इन्होंने की प्रशासन से बातचीत

बुधवार की वार्ता में किसान प्रतिनिधियों में राकेश टिकैत, योगेंद्र राणा, गुरनाम सिंह चढूनी, बलदेव सिरसा, सुरेश कौथ, रामपाल चहल, अजय राणा, जगदीप औलख, इंद्र सिंह, जोगिंद्र घासी नैन, विकास सिसल, सरदार गुरमुख सिंह सहित अन्य शामिल रहे।

दिन-रात चल रही लंगर सेवा

दिन रात के घेराव और बेमियादी धरने को देखते हुए किसानों के लिए दिन-रात लंगर सेवा चल रही है। पुलिस के घेरे और बैरीकैटस के बीचोंबीच ब्रेड-समोसे तले जा रहे है। मालपुए, सब्जी रोटी, पूरी, कचौडी़, पकौड़े से लेकर शीतल पेय और कुल्फी तक का इंतजाम है। दूसरी ओर बैरीकेटस को दीवारों के रूप में प्रयोग कर लंगर चलाया जा रहा हैं। कई शहरवासी और सामाजिक संस्थाओं के लोग भी प्रदर्शनकारी किसानों की सेवा करते हुए देखे जा सकते हैं।


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