बिजली डिफाल्टरों की सूची हुई लंबी, नौ करोड़ के मामले कोर्ट में
प्रदेश सरकार ने चुनाव से पहले बिल निपटान योजना लागू करके डिफाल्टर की सूची को लगभग खत्म कर दिया था। ज्यादातर डिफाल्टरों के मामले भी सुलझ गए थे। अब फिर दोबारा से डिफाल्टरों की सूची लंबी होने लगी है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रदेश सरकार ने चुनाव से पहले बिल निपटान योजना लागू करके डिफाल्टर की सूची को लगभग खत्म कर दिया था। ज्यादातर डिफाल्टरों के मामले भी सुलझ गए थे। अब फिर दोबारा से डिफाल्टरों की सूची लंबी होने लगी है। वर्तमान में पानीपत सर्कल में 63.24 करोड़ की डिफाल्टर है। जिनमें से 31.69 करोड़ के डिफाल्टर शहरी डिविजन में है। इनमें से 9.31 करोड़ के मामले कोर्ट में विचाराधीन है। उपभोक्ता बिल न आने से परेशान हैं। कईं उपभोक्ताओं का बिल कईं माह बाद इकट्ठा भेजा जा रहा है। जिसे भरने में उपभोक्ता मुश्किल में है। एक साथ अधिक बिल न भर पाने के कारण भी डिफाल्टर सूची लंबी हो रही है। सबसे अधिक डिफाल्टर मॉडल टाउन में 20.35 करोड़ के हैं।
डिविजन वाइज डिफाल्टर
सिटी डिविजन 31.69 करोड़
सब-अर्बन डिविजन 16.22 करोड़
समालखा डिविजन 16.95 करोड़
पांच करोड़ 82 लाख रुपये विभिन्न सरकारी विभागों की तरफ निगम का बकाया है।
10.50 रुपये रीडिग लेने व बिल बांटने का ठेका
बिजली निगम ने बीसीआईटीएस को एक नवंबर 2017 में 10.50 प्रति बिल का ठेका दिया था। जिसमें कंपनी को रीडिग लेनी व बिल देना शामिल है। बिल जमा न होने अथवा बिल न बांटने के शिकायत आने पर निगम 20 प्रतिशत भुगतान काट सकता है। 20 प्रतिशत काटने पर कंपनी अपने कर्मचारियों पर 20 प्रतिशत डाल देते हैं। 4-5 हजार रुपये में कर्मचारी इस काम के लिए रखे गए हैं। जिन्हें इएसआइ व ईपीएफ का लाभ भी नहीं दिया जाता। कम वेतन होने के कारण कर्मचारी टिक नहीं पाते। जिस कारण न तो रीडिग ली जाती और बिल भी नहीं भेजे जा रहे। कुछ ही एरिया में बिला बांटे जाते हैं।
ऑल हरियाणा पावर कॉरपोरेशन वर्कर यूनियन के नेता तेजपाल का कहना है कि जितना पैसा निजी ठेकेदार को दिया जा रहे हैं। उससे भी कम खर्च में निगम के कर्मचारी यह काम कर सकते है। इससे निगम को भी नुकसान नहीं होगा। उपभोक्ताओं को बिल समय पर मिल जाएगा। ज्यादातर शिकायत बिल संबंधी
निगम में ज्यादातर शिकायत बिल गलत आने संबंधी आ रही है। कंज्यूमर ग्रीवेंस रेडरैसल फोर्म के चेयरमैन दीपक जैन का कहना है कि मीटर रीडिग नहीं ली जा रही है। कईं-कईं महीने तक उपभोक्ताओं की बिल नहीं मिल रहे। उपभोक्ता पैसे देने के लिए तैयार है। इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को भी की गई है।