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स्वच्छता में करनाल से नौ गुना पीछे पानीपत, स्वच्छ सर्वेक्षण में 160वां स्थान

स्वच्छ सर्वेक्षण में 28 अंकों का सुधार कर पानीपत का 160वां स्थान आया है। जबकि करनाल 17वें नंबर पर रहा। 2017 में पानीपत का 335वां रैंक और 2018 में 253 वां रैंक था।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 08:47 AM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 08:47 AM (IST)
स्वच्छता में करनाल से नौ गुना पीछे पानीपत, स्वच्छ सर्वेक्षण में 160वां स्थान
स्वच्छता में करनाल से नौ गुना पीछे पानीपत, स्वच्छ सर्वेक्षण में 160वां स्थान

पानीपत, जेएनएन। स्वच्छ सर्वेक्षण की रैकिंग में सुधार के बावजूद पानीपत टाप 50 तो दूर, टाप 100 में भी नहीं आ सका। दूसरी तरफ पानीपत से लगता करनाल जिला ने टाप 20 में जगह बना ली। पानीपत का स्थान 188 से 160 वें स्थान पर पहुंचा है। हालांकि निगम आयुक्त का दावा है कि 2021 में टॉप 100 शहरों में पानीपत को लाएंगे। 

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शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से एक से दस लाख तक की आबादी वाले देशभर के 372 अर्बन लोकल बॉडी (यूएलबी) में सर्वेक्षण कराया गया। सर्वेक्षण के लिए 6000 अंक निर्धारित किए गए थे। चार अलग-अलग वर्गों में 1500-1500 अंक दिए गए। पानीपत ने 2778.94 अंक हासिल किए। वर्ष 2019 के सर्वेक्षण में 2387.59 अंक लेकर 188 वें रैंंक पर आया था। स्टेट में पानीपत की रैकिंग में कोई सुधार नहीं है। स्थान दसवां है। पिछली बार भी दसवां नंबर ही था। करनाल देश में 17वें नंबर आया है। प्रदेश में पहले नंबर पर है।

सर्वे में चार कैटेगरी 

-डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन 1500 अंक 

-सिटीजन फीडबैक   1500 अंक

(लोगों के मोबाइल पर स्वच्छता एप इंस्टॉल कराया गया। फोन कॉल व ऑनलाइन फार्म से रायशुमारी की गई)

-सर्विस लेवल प्रोग्रेस  1500 अंक

(मंथली रिपोर्ट को आधार बनाया गया) 

-सर्टिफिकेट 

(गारबेज फ्री सिटी व ओडीएफ में। पानीपत ने जीएफसी कैटेगरी में आवेदन नहीं किया। ओडीएफ में डबल प्लस होने से रैंङ्क्षकग सुधरी।)

रैकिंग में सुधार के ये कारण 

-लोग पहले से ज्यादा जागरूक हुए।

-70 फीसद कूड़ा डोर टू डोर कलेक्शन होने लगा।

-मोटिवेटर निर्धारित जगह पर कचरा डालने के लिए प्रेरित करते हैं   

दस लाख की आबादी में ये संसाधन

-जेबीएम के कर्मचारी 396

-निगम के कर्मचारी 198 

-कूड़ा बिनने वाले 61 

-डिश लज्जर ऑपरेटर 24

रैकिंग में सुधार के लिए ये जरूरी    

-400 लोगों पर एक सफाईकर्मी 

-दस लाख आबादी पर 2500 कर्मचारी

- डंपिंग व्यवस्था में सुधार 

-सोर्स प्वाइंट से गीला व सूखा अलग करने की व्यवस्था की जाए।   

वरिष्ठ अधिकारी नहीं ले रुचि 

शहरी स्वशासी निकाय के वरिष्ठ अधिकारी कूड़ा प्रबंधन में विशेष रुचि नहीं ले रहे हैं। जेबीएम जैसी कंपनी इसका पूरा फायदा उठा रही है। अधिकारी प्रबंधन में रुचि लेंगे तो रैंङ्क्षकग टॉप 100 में आ सकती है।  

कमिश्नर सुशील कुमार से सीधी बातचीत 

प्रश्न : स्वछता रैकिंग के बारे में आपका क्या कहना है? 

उत्तर : पानीपत में थोड़ा सुधार है। 

प्रश्न : करनाल और रोहतक की तरह पानीपत आगे क्यों नहीं आया? 

उत्तर : कुछ कमियां रह गईं। स्वच्छता पारामीटर पूरा नहीं कर सका।

प्रश्न : वर्ष 2021 में क्या उम्मीद है? 

उत्तर : मेहनती स्टाफ की बदौलत 100 शहरों में आकर दिखाएंगे।

प्रश्न : वार्ड पार्षद और शहरवासी का कैसा सहयोग मिल रहा है? 

उत्तर : पहले से बेहतर है। रैकिंग बता रहा है। 

मेयर अवनीत कौर से बातचीत

प्रश्न : क्या रैकिंग से आप संतुष्ट हैं? 

उत्तर : नहीं, थोड़ा और सुधार होनी चाहिए।   

प्रश्न : करनाल जैसी रैकिंग क्यों नहीं आई?  

उत्तर : पानीपत इंडस्ट्रियल टाउन है। शहर बसाने से पहले प्लानिंग नहीं की गई। करनाल साफ सुथरा है। 

प्रश्न : पानीपत में रैकिंग कैसे सुधरेगी? 

उत्तर : मुरथल का प्लांट चालू होने पर रिजल्ट बेहतर आएगा।      

प्रश्न : कोविड 19 का असर रैकिंग पर दिखा?

उत्तर : कुछ असर रहा है। इस महामारी के चलते कई कालोनियों में मैं भी नहीं जा सकी।

चार करोड़ खर्च होते हैं हर महीने 

पानीपत में हर महीने सफाई पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं। सफाई की मशीन पर ही लाखों रुपये किराये के दिए जाते हैं। हालात इतने बदतर हैं कि सवाल उठते हैं कि आखिर चार करोड़ जाते कहां हैं। 

कचरा सड़क पर ही 

सेक्टरों से लेकर निगम की कालोनियों में कचरा सड़क पर पड़ा रहता है। सेक्टर 25 में डंपिंग जोन बनाया गया है। जोन के बाहर भी कचरा फैला रहता है।

समालखा ही बेहतर, 93वें नंबर पर पहुंचा 

स्वच्छ सर्वेक्षण में समालखा नगरपालिका को नार्थ जोन में 93वां तो स्टेट में 14वां स्थान मिला है। इसे कुल 2252.55 अंक मिले हैं। 471 लोगों से लिए गए फीडबैक में अधिकांश ने कस्बे की सफाई व्यवस्था की सराहना की है। नपा का 2019 में नार्थ जोन में 167 तो 2018 में 526वां रैंक था।

समालखा नपा में आबादी 38, 675 है। 17 वार्डों में यह बटी है। 83 सफाई कर्मियों पर इसे साफ सुथरा रखने की जिम्मेदारी है। इनकी मेहनत ने रंग लाई है। कस्बा को 74 पायदान चढऩे का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। वहीं कस्बे के कचरा लिफ्टिंग  का जिम्मा जेबीएम कंपनी पर है। शौचालय की रेटिंग इसमें शामिल नहीं है। सफाई व्यवस्था को प्रमुखता दी गई है। मालूम हो कि प्रदेश में 58 पालिकाएं हैं। सूबे में 20 तो नार्थ जोन की 191 पालिकाओं की रेङ्क्षटग में समालखा को यह स्थान मिला है। तीन सालों में 526 से 93 पायदान पर आना सफाई कर्मियों के परिश्रम को दर्शाता है। अच्छी रैकिंग से सफाई कर्मियों में भारी खुशी है।


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