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निरंकारी समागम में अनुशासन, एकाग्रता और सहयोग की सीख

जीटी रोड पर भोड़वाल माजरी में रविवार को दूसरे दिन निरंकारी संत समागम में आस्था का सैलाब (पांच लाख से अधिक) उमड़ा। छह हजार से अधिक सेवादारों ने रैली से सेहतमंद-अनुशासन में रहने की सीख दी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 06:24 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 06:24 AM (IST)
निरंकारी समागम में अनुशासन, एकाग्रता और सहयोग की सीख
निरंकारी समागम में अनुशासन, एकाग्रता और सहयोग की सीख

जागरण संवाददाता, समालखा (पानीपत) : जीटी रोड पर भोड़वाल माजरी में रविवार को दूसरे दिन निरंकारी संत समागम में आस्था का सैलाब (पांच लाख से अधिक) उमड़ा। छह हजार से अधिक सेवादारों ने रैली से सेहतमंद-अनुशासन में रहने की सीख दी। विभिन्न राज्यों की टीमों ने सेवाभाव, समर्पण, सहयोग पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। माता सुदीक्षा ने सभी टीमों को आशीर्वाद दिया।

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समागम में महिला-पुरुष सेवादारों ने फुल ड्रेस रिहर्सल में हिस्सा लिया। सुदीक्षा माता 11:20 बजे फूलों से सजी कार से सेवादारों की रैली में पहुंची। लाखों अनुयायियों ने उन्हें नमन किया। पंडाल में मौजूद हर व्यक्ति उनके दर्शन के लिए उत्सुक दिखाई दिया। 11:40 बजे प्रार्थना शुरू हुई। इसके बाद सेवादारों ने छह प्रकार की पीटी की।

अलग-अलग राज्यों से समागम में पहुंची टीमों ने मानव पिरामिड, रिग का खेल समेत सांस्कृतिक प्रस्तुति देकर समागम में पहुंचे लोगों को संदेश दिया। माता सुदीक्षा ने हर प्रस्तुति पर तालियां बजा हौंसला बढ़ाया। मन की सेवा नुक्कड़ नाटक

जयपुर से पहुंची अनुयायियों की टीम ने मन की सेवा नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। इसमें एक सरकारी कर्मचारी समागम में जाना चाहता है, लेकिन अधिकारियों ने उसकी ड्यूटी उसी समागम में लगा दी। समागम में उपदेश नहीं सुन सकेगा, इस बात पर वह परेशान था। उसे महिला सेवादार समझाती हैं कि सेवा मजबूरी में नहीं मन से होती है। मलखम पर बजी सर्वाधिक तालियां

मुंबई की टीम ने मलखम खेल दिखाया। एक छोटे बच्चे को मलखम दिखाते देख माता सुदीक्षा के चेहरे पर भी खुशी दिखी। रस्से पर पदमासन देख सब हैरान थे। आधुनिकता के दौर में संस्कृति-सभ्यता को भूलने पर भी एक नाटक के जरिए कटाक्ष किया गया। घड़ी, मोबाइल फोन और चश्मा संत समागम में पहुंचे। चश्मा बने किरदार ने दिखाया कि अहंकार का चश्मा उतारो, सहनशील बनो। घड़ी ने कहा कि लोग समय से भी तेज दौड़ रहे हैं। मोबाइल फोन ने बताया कि समागम में उसकी ओर किसी का ध्यान नहीं है। बारह कड़ाहों में दाल-चावल तैयार

समागम में रविवार को अनुयायियों का भारी सैलाब उमड़ा। 12 से अधिक कड़ाहों में एक बार में 60 क्विंटल दाल-चावल तैयार किए गए। प्रतिदिन करीब 400 क्विंटल भोजन तैयार किया जाएगा। धूल भरी हवा न रोक सकी कदम :

रविवार को मौसम साफ रहा। धूल भरी हवा ने अनुयायियों को परेशान तो किया, लेकिन समागम स्थल की ओर बढ़ते कदमों को रोक न सकी। मंच पर विराजमान माता सुदीक्षा भी धूल से परेशान दिखी। सेवादार समागम स्थल की ओर जाने वाले हर रास्ते पर पानी का छिड़काव करते रहे।


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