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इनसे सीखिए, 15 सालों से फसल अवशेष नहीं जला रहे किसान अंग्रेज सिंह, बना रहे खाद

अंग्रेज सिंह का कहना है कि जमीन की उर्वरता शक्ति कमजोर होना शुरू हो गई थी। उसके बाद उन्होंने ठानी की अवशेषों में आग लगाने की बजाय उसे खेत में ही मिलाना शुरू किया। वहीं फाने जलाने छोड़कर हानिकारक रसायनों का प्रयोग बंद कर दिया है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 11:53 AM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 11:53 AM (IST)
इनसे सीखिए, 15 सालों से फसल अवशेष नहीं जला रहे किसान अंग्रेज सिंह, बना रहे खाद
कैथल के किसान अंग्रेज सिंह जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं

कैथल, जेएनएन। किसान अंग्रेज सिंह गुराया पिछले 15 सालों से फसल अवशेष नहीं जला रहे हैं। अपने खेत में अवशेषों से खाद तैयार कर रहे हैं। अंग्रेज सिंह का कहना है कि जमीन की उर्वरता शक्ति कमजोर होना शुरू हो गई थी। उसके बाद उन्होंने ठानी की अवशेषों में आग लगाने की बजाय उसे खेत में ही मिलाना शुरू किया। वहीं फाने जलाने छोड़कर, हानिकारक रसायनों का प्रयोग बंद कर दिया है। जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

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भूमि हो रही थी कमजोर-

इनका कहना है कि फसल अवशेष जलाने से भूमि कमजोर होती जा रही है। इसको ध्यान में रखते हुए फसल अवशेष जलाना बंद किया है। अब लागत के हिसाब से फसल मिलने लग गई है। जमीन की गुणवत्ता बढ़ने लगी है। अवशेष जलाने से प्रदूषण भी बढ़ रहा है। वातावरण दूषित हो रहा था।

रोटावेटर से पराली मिला रहे हैं जमीन में -

किसान अंग्रेज सिंह रोटावेटर से फसल अवशेषों को रोटावेटर के माध्यम से जमीन में मिला रहे है। वही फसल अवशेष जलाना बंद किया तो पानी की खपत भी उसकी जमीन में कम हो रही है। उनका कहना है कि जब वो पराली जलाते थे, तभी से अब पानी सिचाई में कम प्रयोग हो रहा है।

यूरिया खाद का कम करते हैं प्रयोग-

जब से फसल अवशेष में आग नहीं लगा रहे हैं। तभी से खेत में यूरिया खाद कम लग रहा है। कस्टम हायरिंग सेंटर से विभिन्न यंत्रों के द्वारा अवशेषों की गांठें बनाकर पिहोवा के मिल में बेच रहे हैं। इससे आमदनी में बढ़ोतरी हुई है।

आस पास के किसानों को बता रहे हैं फसल अवशेष प्रबंधन के उपाय-

किसान आसपास के किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक कर रहे हैं। किसानों को विभिन्न सरकार द्वारा लागू कैंपों में लेकर पहुंचते हैं। सरकार की स्कीमों को किसानों तक पहुंचा रहे हैं।

मशीनों पर दिया जा रहा है अनुदान पर

कृषि विभाग के उपनिदेशक डा. कर्मचंद ने बताया कि सरकार द्वारा मशीनों को अनुदान पर दिया जा रहा है, जिसके तहत व्यक्तिगत 50 प्रतिशत तथा कॉमन हायरिंग सेंटर को 80 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाता है। सरकार व प्रशासन के साथ-साथ किसानों का सहयोग होना भी बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के तहत मिलने वाले किसानों के सुझावों को मुख्यालय स्तर पर भेजा जाता है, जिस पर किसानों के हितों के लिए समय-समय पर फैसले भी लिए जा रहे हैं।

प्रदेश में तीसरे स्थान पर कैथल

फसल अवशेष जलाने पर कैथल प्रदेश में अब तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। पहले नंबर पर  करनाल है तो दूसरे नंबर पर कुरुक्षेत्र। कैथल में अभी तक 290 जगहों पर आग लगाने की मिली सूचना प्राप्त हुई है, जिसमें से 106 जगहों पर पुष्टि हो चुकी है। 86 लोगों पर जुर्माना लगाया गया है, जिसके तहत दो लाख 15 हजार रुपये की वसूली की गई है। यही नहीं 17 किसानों के खिलाफ एफआइआर दर्ज भी गई है।  जिला के ऐसे 192 गांव भी है, जहां अभी तक कोई भी अवशेषों में आग नही लगाई है।


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