लक्ष्मण ने काटी शूर्पनखा की नाक, रावण ने किया सीता का हरण
जागरण संवाददाता पानीपत न्यू रामा कृष्णा ड्रामेटिक क्लब की ओर से तहसील कैंप में आयोजित र
जागरण संवाददाता, पानीपत : न्यू रामा कृष्णा ड्रामेटिक क्लब की ओर से तहसील कैंप में आयोजित रामलीला में शुक्रवार को सीता हरण का मंचन हुआ। इससे पहले लक्ष्मण द्वारा शूर्पनखा की नाक काटने का जीवंत मंचन देख दर्शक रोमांचित हो उठे।
पंचवटी में जब शूर्पनखा राम, लक्ष्मण व सीता को परेशान करती है और किसी भी प्रकार से नहीं मानती तो गुस्से में आकर लक्ष्मण उसकी नाक और कान काट देते हैं। सूर्पनखा पहले अपने भाइयों खर व दूष्ण के पास जाती है। वे राम और लक्ष्मण के साथ युद्ध करने के लिए आते हैं। इसके बाद अपने भाई रावण के पास जाती है। पूरा वाकया बताती है। जब रावण को सीता के बारे में पता चलता है तो वह उसे धोखे से हरण करने की योजना बनाता है। इसमें उसका मामा मारीच साथ देता है, जो हिरण का रूप धारण करके सीता की कुटिया के पास जाता है तो सीता खूबसूरत हिरण को देख कर श्रीराम को हिरण पकड़ कर लाने की जिद करती हैं। श्रीराम हिरण का पीछा करते हुए काफी दूर निकल जाते हैं और उनका पता लगाने के लिए लक्ष्मण भी पीछे चले जाते हैं। मौका पाकर रावण धोखे से सीता का हरण कर लेता है। जटाऊ, सीता को छुड़ाने के लिए आगे आता है लेकिन रावण उसे अपनी तलवार से घायल कर देता है। राम के रूप में प्रमोद चोपड़ा, सीता के रूप में हरीश वर्मा, लक्ष्मण के रूप में सुरेंद्र चोपड़ा, रावण के रूप में अशोक चोपड़ा, खर के रूप में सीताराम, दूष्ण के रूप में टेकचंद सोनी ने शानदार अभिनय किया। राम-सीता व लक्ष्मण-सीता के युगल गीतों ने पंडाल में धूम मचा दी। रामलीला पंडाल में आई 96 वर्षीय माता लेखी बाई ने बताया कि आज के ड्रामे ने पुरानी यादों को ताजा कर दिया। पहले इन भूमिकाओं को स्वर्गीय द्वारिका नाथ चोपडा़, वासुदेव चोपड़ा व राम चोपड़ा बखूबी से निभाया करते थे। रामलीला देखने के लिए आसपास के गांवों से लोग ट्रालियों में बैठकर आया करते थे, पंडाल छोटा पड़ जाता था। हारमोनिया पर दिनेश वर्मा व ढोलक पर कमल शास्त्री रहे। स्टेज का कुशल संचालन धर्मपाल चोपड़ा ने किया।
उधर, हैदराबादी रामलीला एवं ड्रामेटिक क्लब की ओर से सनौली रोड पर रामलीला में शुक्रवार को सुर्पन्खा व सीता हरण का मंचन किया गया। लक्ष्मण द्वारा नाक और कान काटने के बाद सुर्पन्खा रोती ही रावण के दरबार में पहुंचती है। वह पहले रावण को भड़काती है और फिर माता सीता की सुंदरता का बखान करती है। माता सीता की सुंदरता पर मोहित होकर रावण उन्हें हरने चल पड़ता है और अपने माता मारीच की मदद से माता सीता का हरण कर लेता है। इस दौरान सोहन रेवड़ी, गेल्डी बाबा, जवाहर जुनेजा, भूषण वधवा, शक्ति सिंह रेवड़ी, कोटू जुनेजा, गोपी बांगा, रमेश बांगा, खरातीलाल नारंग, जगदीश बांगा, किशन वधवा, युद्धवीर रेवड़ी, गणपत खुराना और बलराज मेहंदीरत्ता का सहयोग रहा।