मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत अंतिम तिथि बढ़ाई, 31 जुलाई तक कर सकेंगे रजिस्ट्रेशन
प्रदेश में धान की खेती को छोड़कर अन्य कम पानी की लागत से होने वाली फसल उगाने के लिए के प्रति किसानों को प्रेरित करने के लिए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना शुरू की गई है। योजना के तहत धान छोड़ अन्य फसल की बिजाई करने पर किसान को सात हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रदेश में धान की खेती को छोड़कर अन्य कम पानी की लागत से होने वाली फसल उगाने के लिए के प्रति किसानों को प्रेरित करने के लिए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना शुरू की गई है। योजना के तहत धान छोड़ अन्य फसल की बिजाई करने पर किसान को सात हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। हाल में योजना के तहत किसानों द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है जिसकी अंतिम तिथि अब बढ़ाकर 31 जुलाई कर दी गई है।
डीसी सुशील सारवान ने बताया कि लगातार बढ़ते हुए धान के क्षेत्र से प्रत्येक वर्ष भू-जल स्तर में गिरावट आ रही है, ऐसे में सरकार की ओर से मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है। धान की खेती सबसे ज्यादा पानी का दोहन होता है। उन्होंने बताया कि ऐसे में राज्य सरकार की तरफ से वैकल्पिक फसल के रूप में मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, बागवानी की फसलों और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना कारगर कदम है।
डीसी ने बताया कि मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत राज्य सरकार ने मक्का, कपास, खरीफ तिलहन, खरीफ दालें, चारा वाली फसलों एवं बागवानी की फसल लगाने पर 7000 रुपए प्रति एकड़ देने का प्रावधान किया है। इस योजना के तहत, वहीं किसान लाभपात्र होंगे जिनके द्वारा पिछले वर्ष उक्त खेत में धान की खेती की गई हो। उन्होंने कहा कि योजना का लाभ उठाने के लिए किसान अब 31 जुलाई तक योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान को वेबसाइट पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जिले में होती है 75 हजार हेक्टेयर में धान की खेती
जीटी रोड पर लगते जिलों में धान की खेती सबसे ज्यादा होती है। पानीपत जिला भी उनमें से एक है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आकड़ों की बात करें तो जिले में 75 से 80 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती है। इस वर्ष भी 75 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई होने का अनुमान है। ऐसे में विभाग की ओर से किसानों को धान छोड़ अन्य फसल की बिजाई करने के अलावा धान की सीधी बिजाई करने के प्रति भी प्रेरित किया जा रहा है, ताकि पानी की लागत को कम किया जा सके।