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हरियाणा-उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के गावों में नहीं होंगे जमीनी विवाद, लगेंगे यमुना में पिलर

उत्‍तर प्रदेश और हरियाणा के सीमा पर बसे गांवों में अब जमीन को लेकर विवाद नहीं होगा। करनाल के बाद पानीपत सोनीपत पलवल और फरीदाबाद में भी लगेंगे यमुना में पिलर। हरियाणा-उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में अब काम तेजी से बढ़ेगा आगे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 08:56 AM (IST)
हरियाणा-उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के गावों में नहीं होंगे जमीनी विवाद, लगेंगे यमुना में पिलर
कुछ इस तरह से बनाए जा रहे पिलर।

करनाल, जेएनएन। हरियाणा व उत्तर प्रदेश राज्यों की सीमाएं तय करने के लिए यमुना नदी में जिले के गांव बड़ी में लगाए जा रहे पिलरों का काम अब तेजी से आगे बढ़ेगा। करनाल के पायलट प्रोजेक्ट की तर्ज पर पानीपत, सोनीपत, पलवल व फरीदाबाद जिलों में भी पिलर लगेंगे। इससे सीमा क्षेत्रों में जमीनी विवाद रोकने में कारगर मदद मिलेगी।

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बुधवार को सर्वे आफ इंडिया के महासर्वेक्षक (सेवानिवृत्त) और अब हरियाणा के मिशन डायरेक्टर जनरल गरिश की अध्यक्षता में लघु सचिवालय के सभागार में मीटिंग हुई। इसमें निदेशक भूमि अभिलेख हरियाणा आमना तस्नीम के अतिरिक्त करनाल के डीसी निशांत यादव, सोनीपत के डीसी ललित सिवाच, पलवल के डीसी नरेश नरवाल, फरीदाबाद के एडीसी सतबीर सिंह, पानीपत के एडीसी वत्सल वशिष्ठ तथा वित्तायुक्त के प्रतिनिधि शामिल हुए। जनरल गरिश ने कहा कि दीक्षित अवार्ड 1975 को आधार मानकर सर्वे आफ इंडिया द्वारा दी गई निशानदेही के अनुसार करनाल में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर बड़ी गांव में पिलर लगाने का काम लगभग पूरा हो गया है। इसी तर्ज पर सभी पांचों जिलों में यह कार्य शुरू किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि यमुना में लगे बाउंड्री पिलर का डिजाईन पंजाब इंजीनयङ्क्षरग कालेज चंडीगढ़ से अनुमोदित कराया गया था। इसी के अनुरूप सभी जिले अपनी-अपनी संख्या के हिसाब से पिलर बनवा लें। तकनीकी युग में सब रिफरेंस पिलर लगाने की जरूरत नहीं है। बाउंड्री पिलर या यमुना में लगाए जाने वाले पिलर की वास्तविक लोकेशन जीपीएस से पता लगाई जा सकती है। इसे दोनों राज्य अपनाएंगे।

सीमा पर बसे गांवों के बीच खत्म होंगे झगड़े

पिलर लगाने के काम से दोनों राज्यों के सीमा पर बसे गांवों के लोगों में जमीन को लेकर झगड़े नहीं होंगे। माइनिंग को लेकर भी विवाद थमेंगे। यमुना हर साल जलमार्ग बदलती है। पिलर लगाने के बाद दोनों राज्यों के बीच सीमांकन के मसले का स्थाई हल होगा। सीमा को लेकर हरियाणा-उत्तर प्रदेश अल्ट्रेशन ऑफ बाउंड्रीज एक्ट 1997 की अनुपालना में काम किया जा रहा है। सर्वे आफ इंडिया का पुराना नक्शा और मसावी भी उपलब्ध हैं। इन्हीं के आधार पर नई मसावी बनाई जाएगी।

नियमित रूप से होगा निरीक्षण

भूमि अभिलेख के निदेशक ने बताया कि पिलर लगाने का काम मजबूती से हो रहा है। इनके भविष्य में नष्ट होने या बह जाने की सम्भावना नहीं है। फिर भी हर वर्ष नदी पर स्टड की मरम्मत और सीजन में पिलरों का निरीक्षण होगा। मरम्मत की जरूरत होगी तो कराई जाएगी। इस प्रोजेक्ट में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की ओर से भी पूरी रूचि ली जा रही है।

जिले में यह है स्थिति

डीसी निशांत यादव ने मीटिंग में बताया कि करनाल के बड़ी गांव में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर 12 पिलर लगाए जा चुके हैं। छह लगाए जाने हैं। सात सब रेफरेंस पिलर लगाए जा चुके हैं। कुल 20 लगेंगे। काम लगभग पूर्ण है। उत्तर प्रदेश की ओर भी पिलर लगाए जाएंगे। लोक निर्माण विभाग पिलर लगाने का काम कर रहा है। करनाल सीमा में कुल 396 पिलर लगेंगे।


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