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ये फार्मूला हिट रहा तो बढ़ेगा कारोबार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का नया कदम

अगर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ये फार्मूला हिट रहा तो देश के कारोबार को दुनिया में एक नई पहचान मिलेगी। तकनीकी का आदान प्रदान उद्योग धंधों को नई दिशा देगा। आखिर क्या है खास।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 01:57 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 07:14 PM (IST)
ये फार्मूला हिट रहा तो बढ़ेगा कारोबार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का नया कदम
ये फार्मूला हिट रहा तो बढ़ेगा कारोबार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का नया कदम

पानीपत, जेएनएन। यह शोध और फार्मूला आपके कारोबार को नई दिशा देगा। जी हां, ये सच है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने एक ऐसी ही पहल की है, जिससे आप कारोबार को बढ़ाने या नए कारोबार के लिए ये तकनीकी अपना सकते हैं। जानने के लिए पढ़ें दैनिक जागरण की ये खास खबर।

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अगर आलू उत्पादन करने वाले एक छोटे किसान को पैक्ड चिप्स तैयार करने का फॉर्मूला मिल जाए और एक कस्बे के व्यवसायी को महंगे कालीन बनाने की तकनीक आनलाइन प्राप्त हो जाए तो तकनीकी क्षेत्र में यह एक बड़ी क्रांति होगी। 

रिसर्च और फार्मूले कॉमर्शियल करने की तैयारी
ऐसे ही छोटे बड़े फार्मूलों और रिसर्च को कॉमर्शियल करने की तैयारी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग संस्थान कर रहा है। इससे दूर दराज के किसी भी विश्वविद्यालय या तकनीकी संस्थान की लैब में तैयार रोबोट को बनाने की तकनीक किसी भी दूसरे संस्थान को मिल सकेगी। बस इसके लिए उसे कुछ पैसे खर्च करने होंगे और इस तकनीक का फायदा देश के किसी भी कोने में स्थापित लघु व मध्यम उद्योग ले सकेंगे। 

तकनीकी को दूसरा संस्थान भी ले सकेगा
अब किसी एक संस्थान में शोध कर बनाई गई तकनीक कोई औद्योगिक संस्थान कभी भी ले सकेगा। यह संभव कर दिखाया है कुवि में यूआइइटी के नई तकनीक आधारित केंद्र ने, जिसको भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग ने उत्तर भारत में ऐसा केंद्र बनाने के लिए चुना है। इसके लिए पांच करोड़ रुपये का अनुदान देने की घोषणा की है।

प्रोफेसर सीसी त्रिपाठी।

अपने आप में पहला प्रोजेक्ट: निदेशक
यूआइइटी के निदेशक एवं प्रोफेसर सीसी त्रिपाठी ने बताया कि यह अपने आप में पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जिससे देश भर में कहीं भी इजाद की गई तकनीक और आइडिया सामने आएगा और नए शोध की संभावना बढ़ेंगी। इस तरह की तकनीक या अन्य कोई विशिष्ट तकनीक को आर्थिक रूप से भी प्रोत्साहन मिलने की संभावना बढ़ेगी। इस प्रोजेक्ट में पहले उपयोग के लिए तैयार तकनीक को एक सर्वर पर लाया जाएगा। इस तकनीक को देश के सामने डॉक्यूमेंट के तौर पर वेबसर्वर पर उपलब्ध कराया जाएगा। कृषि, स्वास्थ्य, कपड़ा, इंजीनियरिंग, विज्ञान और हर क्षेत्र में तकनीकी केंद्र काम करेगा। जिस क्षेत्र में जिस भी वस्तु या सामान का उत्पादन होता है वहां उसी से संबंधित तकनीक को लाने के लिए काम किया जाएगा, ताकि वहां के लोग भी नए शोध का फायदा उठा सकें। 

यूआइइटी को 125 विश्वविद्यालय व संस्थानों में से चुना गया 
प्रोफेसर सीसी त्रिपाठी ने बताया कि भारत सरकार ने प्रकाशन के माध्यम से देश के विश्वविद्यालय और संस्थानों से आवेदन मांगे थे। जिनमें देश भर के 125 संस्थानों ने आवेदन भरा था। जिसमें से यूआइइटी समेत 26 संस्थानों के प्रोजेक्ट को गहनता से दो दिन तक देखा गया। इनमें से छह विश्वविद्यालयों और संस्थानों को चयनित किया गया। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और एनसीआर के लिए यूआइइटी को तकनीकी केंद्र बनाया गया है।


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