क्योंकि आपका जानना जरूरी है...चीन, पेरिस, जर्मनी ने यूं काबू किया स्मॉग
हमारे देश में स्मॉग से लड़ने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए जा सके हैं। जबकि दूसरे देशों में लोग खुद भी जागरूक हैं। सरकार प्रयास करती है तो लोग भी साथ देते हैं। पढ़ें विशेष रिपोर्ट।
जेएनएन, पानीपत। दिवाली के बाद मौसम स्मॉगी हो गया है। सुबह और शाम के समय सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। प्रदूषण की वजह से जिन मुसीबतों को हमारे शहर झेल रहे हैं, उन्हीं समस्याओं को दूसरे देशों ने भी झेला है। पर उन्होंने हार न मानते हुए ऐसे-ऐसे प्रयोग किए, जिनसे वे जिंदगी को आसान बना सके। पटाखों, वाहनों के प्रदूषण के अलावा हम किस तरह प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं, कैसे दूसरे देश निकालते हैं समाधान, पढि़ए ये विशेष रिपोर्ट।
प्रदूषण दूर करने के इंतजाम कितने हवाहवाई है? इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है। एनसीआर एरिया (इमसें पानीपत भी शामिल है) में दस नवंबर तक निर्माण पर रोक है। यानी इस दौरान कोई निर्माण कार्य नहीं होंगे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विशेषज्ञों का मानना है कि निर्माण से भी प्रदूषण होता है, इसे रोकने के लिए ही यह निर्णय लिया गया।
इधर शहर की खराब सड़कों पर वाहनों के आने जाने से हर रोज धूल उड़ रही है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है। आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज ने बताया कि दीवाली पर इस बार पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत पटाखे कम छोड़े गए। निश्चित ही इससे प्रदूषण का स्तर कुछ कम हुआ। पर्यावरण विशेषज्ञ डाक्टर अजय ने बताया कि धूल से होने वाला प्रदूषण लगातार होता है। यह पटाखों से भी ज्यादा खतरनाक है, दिक्कत यह है कि इस ओर कोई ध्यान ही नहीं देता।
बड़ा सवाल: प्रशासन कर क्या रहा है?
आकृति संस्था के अनुज ने सवाल किया कि पराली जलाने पर किसानों पर जुर्माने के प्रावधान है। वाहन का यदि प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं है तो चालान होता है। लेकिन धूल से होने वाले प्रदूषण पर प्रशासन भी ध्यान नहीं देता है। जबकि होना यह चाहिए जब भी रोड आदि का निर्माण हो या फिर रिपेयर हो तो सवाल उठना चाहिए कि इससे होने वाले प्रदूषण को कम से कम करने के क्या उपाय हो सकते हैं? डाक्टर अजय ने बताया कि इस दिशा में कभी ध्यान नहीं दिया जाता। इसके लिए कभी किसी को दोषी नहीं ठहराया गया।
प्रशासन से उम्मीद क्या है?
कुछ नहीं तो कम से कम यहां पानी का छिड़काव किया जा सकता है। इसमें तो ज्यादा खर्च नहीं आएगा। धूल न उड़े, इसके लिए वाहनों की गतिसीमा निश्चित की जा सकती है। बड़े वाहनों को वैकिल्पक रास्ता उपलब्ध कराया जा सकता है। निर्माण के लिए उतनी ही खुदाई हो, जितना कि शाम तक काम पूरा हो सके। यह उपाय संभव है। लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देता।
इसलिए यहां चिंता ज्यादा होनी चाहिए
दिल्ली हमारे से ज्यादा दूर नहीं है। हाईवे पर दिन रात वाहन गुजर रहे हैं। यहां प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। प्रशासन के सीनियर अधिकारी प्रदूषण को लेकर सिर्फ चंडीगढ़, एनजीटी या कोर्ट के आर्डर को पूरा कराने की कोशिश भर करते हैं। इसके अतिरिक्त इस दिशा में कुछ नहीं होता।
आप भी प्रदूषण की जद में हैं
क्योंकि धूल कण सांस से होते हुए हमारे शरीर में जा रहे हैं। यह खून के साथ मिल कर दिक्कत पैदा कर रहे हैं। पीएम (पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण) जो कि इतने छोटे होते हैं कि हमें इनका पता भी नहीं चलता। शरीर का बाल पीएम 50 के साइज का होता है, अब यदि 2.5 पीएम कण हवा में हैं तो हमें इनकी मौजूदगी महसूस भी नहीं होगी। इससे अस्थमा और सांस की समस्या हो रही है। बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बूढ़ों के लिए ये स्थिति ज्यादा खतरनाक है।
चंद इशारे, जो बात सकते हैं कि आप प्रदूषण की मार में हो
- आपके आसपास के लोग खांस रहे हैं?
- हवा में धुंध या कुछ मैलापन-सा दिख रहा है?
- सिरदर्द, गले में खराश की दिक़्क़त से जूझ रहे हैं?
- आंखों में कुछ जलन जैसी है?
- इसमें यदि एक भी है तो आप संभल जाए।
वह देश, जहां प्रदूषण रोकने के कुछ इंतजाम किए गए
चीन
मल्टी-फंक्शन डस्ट सेपरेशन ट्रक का इस्तेमाल किया गया। इसके ऊपर एक काफ़ी बड़ा वॉटर कैनन लगा होता है, जिससे 200 फ़ीट ऊपर से पानी का छिड़काव होता है। पानी के छिड़काव से धूल नीचे बैठाई जाती है। वेंटिलेटर कॉरिडोर बनाने से लेकर एंटी स्मॉग पुलिस तक बनाई गई। पुलिस जगह-जगह जाकर प्रदूषण फैलाने वाले कारणों, जैसे सड़क पर कचरा फेंकने और जलाने पर नजर रखती है।
पेरिस
- सप्ताह के आखिरी में कार चलाने पर पाबंदी
- सार्वजनिक वाहनों को मुफ्त किया गया
- गाडिय़ों को सिर्फ 20 किमी. प्रति घंटे की गति से चलाने का आदेश
जर्मनी
- सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने की कोशिश
- ज्यादा आबादी से जोडऩे के लिए बनाया गया नेटवर्क
गुस्सा किजिए, आपकी सांस खतरे में है : अनुज
आकृति संस्था के अनुज का कहना है, आप गुस्सा किजिए, आपकी सांस खतरे में है। आपके घर के दरवाजे, खिड़कियों की कुव्वत नहीं कि प्रदूषण को आप तक पहुंचने से रोक सके। अब नहीं तो कभी नहीं प्रदूषण पर अब यह रवैया होना चाहिए। शुद्ध हवा आपका अधिकार है। कोई इसे नहीं छीन सकता। इसके लिए आपको आगे होना होगा। पहल करनी होगी। क्योंकि खतरा आप तक पहुंच चुका है।
इसके लिए अब प्रयास करना होगा। कोई जादू नहीं होने वाला। इतने लंबे समय में यदि कुछ नहीं हुआ अब क्या होगा? इसलिए प्रदूषण कैसे रोका जाए। इस पर हम सभी को विचार करना होगा? इसके लिए काम करना होगा? क्या आप उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब आक्सीजन का सिलेंडर खरीदना पड़े। वह दिन दूर नहीं है। चीन के लोग सिलेंडर खरीद रहे हैं। वहां ऐसे सिलेंडर मंगाए जाते हैं। जिन्हें चीनी लोग अपने कमरों में खोल कर सोते हैं, ताकि रात में तो कुछ शुद्ध हवा मिल सके। क्या हम भी ऐसी नौबत का इंतजार कर रहे है। निर्णय आपने करना है। क्योंकि यह किसी एक का नहीं, हम सबका मसला है।