जानिए कौन हैं गुरनाम सिंह चढ़ूनी, पत्नी भी लड़ चुकी हैं आम आदमी पार्टी से चुनाव
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने संयुक्त संघर्ष पार्टी की घोषणा कर दी है। किसान आंदोलन के बाद राजनीति में उनका यह पहला कदम नहीं है। इससे पहले भी राजनीति में सक्रिय रहे। उनकी पत्नी आम आदमी पार्टी से चुनाव भी लड़ चुकी हैं।
कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कुरुक्षेत्र से शुरू किया था। किसान आंदोलन के साथ चढ़ूनी ने समय-समय पर राजनीति जमीन भी मजबूत की। हालांकि राजनीति से उनका लगाव कोई नया नहीं है। पहले भी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते आए हैं। कभी कांग्रेस तो कभी आम आदमी पार्टी से नजदीकियों को लेकर सुर्खियों में रहें। उनकी पत्नी भी आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ चुकी हैं। अब खुद गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने संयुक्त संघर्ष पार्टी की घोषणा कर दी है।
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने आम आदमी पार्टी से पत्नी बलबिंद्र कौर बीबी को 2014 का लोकसभा चुनाव कुरुक्षेत्र लोकसभा से लड़ाया था। उनको 79 हजार वोट मिले तब। इसके बाद चढ़ूनी ने अपनी रणनीति को भी मजबूत रखा। किसान आंदोलन के दौरान भी राजनीति के नजदीक जाने के कई बार बयान दिए। वे इन सबके चलते संयुक्त किसान मोर्चा की नजरों में भी आ गए। उन्होंने मिशन पंजाब का नारा दिया था।
पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ बुलाई थी महापंचायत
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पिपली में किसान महापंचायत 10 सितम्बर 2019 को बुलाई थी। इसमें पुलिस लाठीचार्ज के बाद तेज किया तो आंदोलन देश के हर कोने तक पहुंचा। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रदेश प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, बलबीर राजेवाल, योगेंद्र यादव, शिवकुमार कक्का रहे। इसके बाद राकेश टिकैत आंदोलन से जुड़े। संयुक्त किसान मोर्चा का गठन कर पांच सदस्यीय कमेटी गठित की। इसके साथ किसान संगठनों को साथ लेकर आए। प्रदेश सहित देश में आंदोेलन को तेज किया गया।
2018 में आवाज उठाई
भारतीय किसान यूनियन ने किसानों के हक में आवाज 2018 में बुलंद की थी। उस समय एमएसपी की गारंटी और कर्जा माफी मुद्दा थे। इसी बीच तीनों कृषि कानून लाए गए। भाकियू ने गांव-गांव जाकर किसानों से संपर्क किया और तीनों कृषि कानूनों के बारे में बताया। किसान एकजुट हुए और एक आंदोलन का रूप लेने गया। इसके बाद खंड और जिला स्तर पर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किए गए। इस आंदोलन में प्रदेश में बड़ी अगुवाई गुरनाम सिंह चढूनी ने की।
लाठीचार्ज से उग्र हुआ आंदोलन
गुरनाम सिंह चढूनी ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में 10 सितंबर 2020 को कुरुक्षेत्र की पिपली अनाज मंडी में प्रदेश स्तरीय किसान महापंचायत बुलाई थी। किसानों की शांतिपूर्वक महापंचायत कर निर्णय लेने थे, लेकिन प्रशासन ने किसान महापंचायत की परमिशन नहीं दी और किसानों को पिपली मंडी तक नहीं जाने दिया गया। किसानों ने पिपली चौक व चिड़ियाघर के सामने जीटी रोड पर जाम लगा दिया था। शाहाबाद में प्रशासन और पुलिस ने गुरनाम सिंह चढूनी के काफिले को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वे वहां से निकलकर पिपली तक पहुंच गए थे। इसके बाद पूरे प्रदेश में किसानों ने जाम लगा दिए थे। प्रशासन व पुलिस ने दोपहर बाद किसान महापंचायत की परमिशन दी। किसानों ने तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने का फैसला लिया।
रणनीति के साथ दिल्ली के लिए किया कूच
गुरनाम सिंह चढूनी ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच की अगुवाई की। वे किसानों के साथ 26 नवंबर को अंबाला की मोहड़ा मंडी से रवाना हुए। अंबाला पुलिस ने किसानों को जीटी रोड पर रोकने का प्रयास किया, लेकिन किसान बैरीकेड्स तोड़कर आगे बढ़ गए। कुरुक्षेत्र पुलिस ने कई जगह किसानों को ट्रिपल लेयर में बैरीकेड्स लगाकर रोकने का प्रयास किया, लेकिन किसान यहां से भी आगे बढ़ गए। किसानों ने उस दिन समाना बाहू में रात्रि डेरा लगाया। करनाल पुलिस ने सबसे मजबूत नाका लगाया, लेकिन किसान इसको भी तोड़कर आगे बढ़ गए। किसान एक के बाद एक बैरीकेड्स तोड़कर दिल्ली बार्डर पर पहुंच गए। किसानों ने दिल्ली बार्डर पर डेरा डाल लिया।