किसान आंदोलन: फूलों की बारिश से दिल्ली से पंजाब जा रहे किसानों का स्वागत, डीजे पर झूमे युवा
तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों भी घर वापसी के लिए रवाना हुए। जगह जगह पर किसानों का स्वागत किया गया। खटकड़ टोल पर आसपास के गांवों से भारी तादाद में महिलाएं किसान युवा मजदूर पहुंचे। यहां किसानों के ऊपर फूलों की बारिश की गई।
जींद, जागरण संवाददाता। तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद आंदोलनकारी किसानों ने भी घर वापस लौटना शुरू कर दिया है। दिल्ली बार्डर से शनिवार को दिनभर किसानों के आने का सिलसिला जारी रहा। आंदोलनकारी किसानों का जगह-जगह फूल बरसा कर स्वागत किया गया। साथ ही लड्डू, फल व दूध की भी व्यवस्था की गई थी। जींद पहुंचे किसानों का नोटों की माला पहना कर स्वागत किया गया। हाईवे के रास्ते दिल्ली से पंजाब जा रहे किसानों का जोरदार स्वागत उचाना में बांगर के लोगों द्वारा किया गया।
खटकड़ टोल पर आसपास के गांवों से भारी तादाद में महिलाएं, किसान, युवा, मजदूर पहुंचे। यहां किसानों के ऊपर फूलों की बारिश की गई। हाईवे पर उचाना की अतिरिक्त मंडी के पास आढ़ती एसोसिएशन द्वारा लगाए गए भंडारे में पहुंचे पर किसानों का स्वागत किया। यहां पर हरियाणा, पंजाब भाईचारा जिंदाबाद के नारे लगाते हुए पंजाब, हरियाणा के किसान आपस में गले मिले। हाईवे पर खड़े होकर पंजाब जाने वाले किसानों को भंडारे में लेकर लोग जा रहे थे।
हलवा के साथ चखा खीर, देशी घी की जलेबी का स्वाद
उचाना की अतिरिक्त मंडी में लगे भंडारे में किसानों के लिए स्पेशल देशी घी की जलेबी के अलावा खीर, हलवा, पूरी-सब्जी, पकौडे का प्रबंध किया हुआ था। लस्सी, कढ़ी, रायत भी बनाया हुआ था। यहां पर सुबह पांच बजे से ही किसान आने लगे थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया किसानों की संख्या यहां पर बढ़ती गई। करीब दस हजार से अधिक किसानों के खाने की व्यवस्था की हुई थी। आस-पास के गांवों से पहुंचे किसान गांव से दूध लेकर यहां पहुंचे ताकि चाए, खीर में दूध की कमी न पड़े। दिल्ली से आ रहे किसानों ने अपने-अपने ट्रैक्टरों को फूलों, गुब्बारों से सजाया हुआ था।
हर चेहरे पर नजर आ रही थी खुशी
दिल्ली से वापस आ रहे पंजाब के अलावा आस-पास के गांवों के किसानों के चेहरों पर अलग सी खुशी नजर आ रही थी। चेहरे पर आंदोलन में मिली जीत की अलग सी मुस्कान थी। हरियाणा के किसानों द्वारा दिल्ली से लेकर बार्डर तक की गई भंडारे की व्यवस्था के पंजाब के किसान कायल हो गए। किसानों ने कहा कि इतना जोरदार स्वागत उनका होगा, ये सोचा नहीं था। छोटे भाई हरियाणा ने बड़े भाई पंजाब का जो साथ दिया है, उन्हें वो अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी बताएंगे। किसानों ने कहा कि एक साल तक धरनों पर ही हर पर्व मनाए गए। अब घर वापसी के बाद आज का दिन उनके लिए होली, दीवाली जैसा है। 700 से अधिक किसानों को इस आंदोलन में खोने का दर्द है। ये जीत आंदोलन में जो मौत का ग्रास बने किसान हैं, उनको समर्पित है।
कई दिनों से चल रहा है भंडारा
उचाना मंडी आढ़तियों द्वारा यहां पर कई दिनों से किसानों के लिए भंडारा शुरू किया है। वीरेंद्र संदलाना, दलबीर श्योकंद, रमेश मखंड, सुरेश सुरबरा ने बताया कि आढ़तियों द्वारा एकति्रत किए गए चंदे से टिकरी बॉर्डर पर भी कई महीनों तक पीने के पानी, दूध, भंडारे की व्यवस्था की थी। अब यहां पर कई दिनों से भंडारा शुरू किया हुआ है। इस मौके पर सुरेश खरकभूरा, बलराज श्योकंद, गजे सिंह, जितेंद्र श्योकंद, रामदत्त शर्मा, सतपाल करसिंधु, राममेहर श्योकंद, जसमेर बड़ौदी, राजा बुडायन, लाभ काब्रच्छा, जोगिंद्र श्योकंद, अनूप श्योकंद सहित आढ़ती, मुनीम मंडी से पहुंचे।
युवा, बुजुर्ग, महिलाएं डीजे पर झूमी
अतिरिक्त मंडी में लगाए गए डीजे पर किसानी गाने पूरे दिन बजे। यहां पर युवा, बुजुर्ग, महिलाएं डीजे पर झूमी। बुजुर्ग महिला राजकौर, बलिंद्रकौर ने कहा कि अपनी जमीन, युवा पीढ़ी को लेकर लड़े गए इस आंदोलन में जीत किसानी की हुई। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी के साथ-साथ सभी के भाईचारे की जीत इस आंदोलन में हुई। सरकार को झूकना पड़ा जो कानून सरकार ने बनाए थे उन्हें वापिस लेना पड़ा। पंजाब से आ रहे किसानों ने हरियाणा के किसानों को पगड़ी बांध कर स्वागत भी किया।
शेड के नीचे कैरेट में लगी अचानक आग
अतिरिक्त मंडी में शेड के नीचे गेहूं के बैगों को रखने के लिए रखी गई हैफेड की कैरेटों में अचानक आग लग गई। फायर ब्रिगेड गाड़ी ने जाकर लगी आग पर काबू पाया। आग लगने के कारणों को पता नहीं चल सका। आग लगने से काफी कैरेट जलकर राख हो गई। यहां पर गेहूं के बैगों तक भी आग पहुंच गई थी। हैफेड सीनियर मैनेजर उचाना संदीप पूनिया ने बताया कि अज्ञात कारणों से आग लगी है। जिससे बारदाना, कैरेट के अलावा गेहूं तक आग पहुंच गई थी।