पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बन रहा हरियाणा का ये गांव, ग्रामीणों में बनी थी सहमति
हरियाणा के कैथल का गांव खानपुर पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बन रहा है। गांव के किसी भी किसान ने फसल अवशेष नहीं जलाए। जबकि गांव में चार सौ एकड़ में धान की फसल लगाई जाती है। सभी ग्रामीणों ने भी सहमति जताई थी।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित खानपुर गांव के किसान फसल अवशेष प्रबंधन कर पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पेश कर रहे हैं। इस गांव के किसान धान की खेती करते हैं, लेकिन पराली अवशेष नहीं जलाते हैं। धान अवशेषों की जुताई कर मिट्टी में मिला देते हैं। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है और अवशेषों का प्रबंधन भी बेहतरी से होता है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत ने पिछले साल ही पराली न जलाने को लेकर प्रस्ताव पास किया था। जिससे सभी ग्रामीण सहमत हो गए थे। वहीं उसी जागरूकता से गांव का एक भी किसान धान के सीजन में पराली नहीं जलाता है। किसान धान के अवशेषों के बीच ही गेहूं की बिजाई करते हैं। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
400 एकड़ में लगाई जाती है धान की फसल
खानपूर गांव में 400 एकड़ पर धान की फसल लगाई जाती है। गांव के किसान पराली प्रबंधन से अवगत हो गए है। वे फसल अवशेष जलाने की जगह उसका प्रबंध करते है या फिर गोशाला में भेज देते हैं जहां गायों को चारा मिल जाता है। पराली के इस प्रबंधन में गांव की पंचायत किसानों की भरपूर मदद करती है। ट्रैक्टर ट्रॉली से लेकर मजदूर तक भी उपलब्ध कराती है। इस वर्ष पंचायत के सहयोग से किसानों ने पराली अवशेष का प्रबंधन किया है। किसानों ने गांव में पराली न जलाकर बेचकर कमाई भी की है। इसी की बदौलत प्रशासन द्वारा पराली जलाने का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
सरपंच रामू ने बताया कि आज के दौर में फसल अवशेष प्रबंधन जरूरी है। ऐसा करने से फसल पर आने वाला खर्च कम होगा। इस दिशा में जब सरकार हमारा सहयोग कर रही है तो हम किसान भाई क्यों पीछे रहें। फसल प्रबंधन बहुत जरूरी है। भूमि के अंदर पोषक तत्वों की कमी नहीं आती। हैप्पी सीडर या सुपर सीडर के माध्यम से फसल अवशेषों के बीच में ही गेहूं की बिजाई की जा सकती है। किसान को अच्छी पैदावार मिलती है और पर्यावरण में जहर नहीं घुलता। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन पर जरूर ध्यान देना चाहिए।
कृषि विभाग के उपनिदेशक कर्मचंद ने बताया कि पिछले साल इस गांव में फसल अवशेष जलाने पर एफआइआर दर्ज हुई थी, लेकिन इस बार किसानों की जागरूकता के कारण कोई एफआइआर दर्ज नहीं हुई है। गांव में पराली का प्रबंध किया गया है।
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