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सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ताक पर रखकर वकीलों का वर्क सस्पेंड

आज जंतर-मंतर की ओर कूच करेंगे 60-70 वकील, दस सूत्रीय मांगों को लेकर देंगे धरना

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 09:24 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 09:24 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ताक पर रखकर वकीलों का वर्क सस्पेंड
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ताक पर रखकर वकीलों का वर्क सस्पेंड

जागरण संवाददाता, पानीपत: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) के आह्वान और पंजाब-हरियाणा बार काउंसिल के निर्देश पर सोमवार को वर्क सस्पेंड रखा। मंगलवार को भी जिले के वकील कामकाज से विरक्त रहेंगे। वर्क सस्पेंड के कारण दोनों दिन अदालतों का सामान्य कामकाज भी बाधित रहेगा। दस सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली की ओर कूच करेंगे। बता दें कि वर्ष 2002 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वकीलों को हड़ताल पर जाने या बहिष्कार का आह्वान करने कोई अधिकार नहीं है। अक्टूबर 2018 में हड़ताल पर लगी रोक को हटाने से भी इन्कार कर दिया था।

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दो दिन का वर्क सस्पेंड का ऐलान करते हुए जिला बार एसोसिएशन, पानीपत के प्रधान एडवोकेट शेर ¨सह खर्ब के नेतृत्व में पहले मी¨टग हॉल में आम सभा हुई। इसमें वर्क सस्पेंड का कारण और प्ला¨नग बताया गया। इसके बाद वकीलों ने जिला सत्र न्यायाधीश मनीषा बतरा को ज्ञापन सौंपा। वकील एकत्र होकर लघु सचिवालय पहुंचे और ज्ञापन की प्रतिलिपि सीटीएम शशि वसुंधरा को तथा सांसद के कार्यालय में भी दिया। इसके बाद शेर ¨सह खर्ब ने बताया कि किराए पर बस की गई है, इसमें बैठकर वकील दिल्ली की ओर कूच करेंगे। कुछ निजी वाहनों से भी जाएंगे और जंतर-मंतर पर होने वाले धरना-प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे। इस मौके पर हर¨मद्र सांगवान, प्रवीन कुमार, रामनरेश त्यागी, विरेंद्र नागरथ, संदीप मुदगिल, सुमित आर्य, नवीन आर्य, रतन ¨सह रावल और देवेंद्र राठी आदि मौजूद रहे। ये है मांग

-सभी बार एसोसिएशन में पर्याप्त बि¨ल्डग, वकीलों को बैठने का स्थान, लाइब्रेरी, ई लाईब्रेरी, इंटरनेट आदि की सुविधा मुहैया करवाई जाएं।

-केंद्र सरकार वकीलों और याचिकाकर्ताओं के कल्याण के लिए बजट में 5 हजार करोड़ का प्रावधान करे।

-वकील और परिवार का बीमा करवाया जाए।

-नए वकीलों को पहले पांच साल तक मदद के रूप में 10 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाए।

-किसी हादसे की स्थिति में परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए।

-बजट प्रावधान की राशि बांटने का अधिकार बार काउंसिल को दिया जाए।

-वकील आकस्मिक मृत्यु पर उसके परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।

-विभिन्न ट्रिब्यूनल, फोरम, कमिशन आदि में पूर्व जजों के अतिरिक्त वकीलों को भी सदस्य बनाया जाए।

-टोल टैक्स पर वकीलों को टैक्स की छूट मिले।

-याचिकाकर्ताओं के कल्याण के लिए की भी योजना बनाई जाए।


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