सांसद ने वैज्ञानिकों से किया संवाद, कृषि और पशुपालन के लिए जानिए क्या कहा Panipat News
करनाल लोकसभा के सांसद संजय भाटिया ने सीएसएसआरआइ और एनडीआरआइ के वैज्ञानिकों से बातचीत की। उन्होंने कृषि और पशुपालन के लिए सुझाव मांगे।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। करनाल के सांसद संजय भाटिया ने पशुपालन और कृषि की संभावनाओं को लेकर वैज्ञानिकों से संवाद किया। उन्होंने उनसे सुझाव भी मांगा कि आखिर किस तरह से दोनों क्षेत्रों में प्रदेश किस तरह से अग्रणी बन सके। सांसद पहले सीएसएसआरआइ और फिर एनडीआरआइ के वैज्ञानिकों से बातचीत करने पहुंचे।
सांसद संजय भाटिया ने करनाल के वैज्ञानिक संपदा के संवाद कार्यक्रम के तहत सबसे पहले सीएसएसआरआइ निदेशक कार्यालय में वैज्ञानिकों से संवाद स्थापित किया। इस अवसर पर निदेशक डॉ. प्रबोध चंद शर्मा ने बताया कि कैसे संस्थान के वैज्ञानिकों ने उसर धरती को उर्वर धरती में तब्दील किया। जिससे हरियाणा के किसानों ने करनाल, कुरूक्षेत्र, कैथल जैसे इलाके को धान के कटोरे की संज्ञा से नवाजा।
जताई ये उम्मीद
उन्होंने बताया कि झज्जर, रोहतक, रेवाड़ी, सोनीपत जैसे जिलों में पानी के खारापन को देखते हुए मत्स्य पालन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई की हरियाणा के किसान प्रगतिशील माध्यम से जलवायु परिवर्तन के दौर में नई कृषि क्रांति का आधार रखेंगे।
गौ पालन भारत की संस्कृति
इसके बाद सांसद संजय भाटिया एनडीआरआइ परिसर पहुंचे, जहां संस्थान के वैज्ञानिकों से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि गौ पालन भारत की संस्कृति है। आज दूध उत्पादन में भारत के किसानों ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। बढ़ती जनसंख्या और बदलते वातावरण के दौर में किसान की चुनौतियों को समझते हुए, उसके वैज्ञानिक समाधान के लिए हम एनडीआरआइ के कृतज्ञ है। यहां के वैज्ञानिकों के अनुसंधान की वजह से करनाल के किसान डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में उदाहरण बनकर उभरे है।
सैकड़ों शोधार्थी संस्थान में करते शोध
संस्थान निदेशक डॉ. आरआरबी सिंह ने कहा कि हम डेयरी फार्मिंग के लिए प्रशिक्षण से लेकर जन संवाद और किसान मेले तक का आयोजन करते हैं। संस्थान में 800 विद्यार्थी और 400 शोधार्थी प्रतिवर्ष अलग-अलग विषयों में डेयरी विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन करके समाज में पेशेगत जीवन के लिए निकलते है। इसके अतिरिक्त दुनिया के डेयरी क्रांति के क्षेत्र में अध्ययनरत शोधार्थियों, वैज्ञानिकों का सम्मेलन निरतंर आयोजित किया जाता है, जिससे हरियाणा का साधारण किसान ना सिर्फ प्रशिक्षित होता है बल्कि दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में नये-नये तकनीकी ज्ञान को प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में राज्य के संबंधित विभागों से सांझेदारी स्थापित कर किसान संवाद अभियान चलाया जाएगा।
एनबीएजीआर में किया संवाद, पशुधन की ली जानकारी
सायंकाल के समय सांसद भाटिया राष्ट्रीय पशु अनुवाशिंक ब्यूरो में वैज्ञानिक संवाद के लिए पहुंचे। इस अवसर पर संस्थान निदेशक डा. रमेश विज ने कहा कि देसी नस्ल के पशुओं का संरक्षण हमारे समय की मांग है। हमारा संस्थान भारत के प्राकृतिक संरक्षण में पशुधन संपदा को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। निदेशक ने कहा कि सांसद के रूप में वैज्ञानिकों से यह जानने का प्रयास की किसान और पशुपालन की चुनौतियों में एक सांसद की क्या जिम्मेदारी है और उसे कैसे निभाया जाए। वैज्ञानिक हमें परामर्श दे कि यह प्रयास वैज्ञानिकों के लिए सुखद क्षण है। हमें उम्मीद है कि करनाल जो कि भारत का वैज्ञानिक संपदा का महत्वपूर्ण शहर है, यहां से किसान वैज्ञानिक संवाद की एक नई शुरूआत होगी। इस दौरान डा. आरके यादव, डा. डीएस बुंदेला, पंचकुला से आए प्रचार अधिकारी राजीव रंजन सहित बहुत सारे वैज्ञानिक, शोधार्थी एवं तकनीकी अधिकारी उपस्थित रहे।