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Kisan Andolan: दिल्‍ली बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के टूटने की सता रही चिंता, टिकैत और योगेंद्र यादव ने दिए ये संकेत

Karnal Kisan Mahapanchayat करनाल में किसान महापंचायत के बाद किसानों ने लघु सचिवालय का घेराव कर दिया। करीब 30 घंटे के इस आंदोलन में राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव ने सरकार से दो टूक कही। अब चौथी बार वार्ता कर रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 08 Sep 2021 04:33 PM (IST)Updated: Wed, 08 Sep 2021 04:33 PM (IST)
करनाल के लघु सचिवालय में जाते राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव।

करनाल, [अनुराग शुक्‍ल]। करनाल में आंदोलनकारियों के विरोध प्रदर्शन को करीब 30 घंटे हो चुके हैं। किसान महापंचायत के बाद लघु सचिवालय का घेराव कर दिया गया। अब घेराव को भी 24 घंटे होने को हैं। इस बीच बुधवार को किसान नेताओं के बार-बार बयान सामने आ रहे हैं। इन बयानों में राकेश टिकैत दिल्‍ली बार्डर का जिक्र कर रहे हैं।

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योगेंद्र यादव ने कहा, हम तो 15 मिनट में हटने को तैयार हैं

मीडियो के सामने आकर किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि लग रहा है कि सरकार नहीं चाहती कि आंदोलन खत्‍म हो। तीन बार सरकार ने किसानों पर जुल्म किया। इससे आंदोलन पर कोई असर नहीं हुआ। बल्कि इससे आंदोलन को और अधिक मजबूती मिली। हमें उस अधिकारी पर कार्रवाई चाहिए, जिसका वीडियो वायरल हुआ।

हम तो न्‍यूनतम मांग कर रहे हैं

योगेंद्र यादव ने कहा, लगातार यह मांग की जा रही है। पांच मिनट में बात सुलझ सकती है। हम न्यूनतम मांग कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा। सरकार अगर अब भी मांग मान ले तो हम 15 मिनट में यहां से डेरा उठा लेंगे। अन्य राज्यों से भी किसानों को बुलाया जा सकता है। आंदोलन लंबा चलेगा तो सरकार की उतनी फजीहत होगी।

टिकैत ने कहा, दिल्‍ली बार्डर में ही चलेगा आंदोलन, जरूरत पड़ी तो कदम उठाएंगे

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हरियाणा सरकार सुनियोजित ढंग से आंदोलन को भटकाना चाह रही है। इसे दिल्ली से हरियाणा शिफ्ट करने की मंशा है। किसान पूरी ताकत से एक-दो नहीं बल्कि पांच मोर्चों से दिल्ली घेरे हुए हैं। इससे सरकार बौखलाई हुई है और किसी भी तरह आंदोलन को दिशा से भटकाना चाहती है। जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते, तब तक आंदोलन पूरी मजबूती से चलता रहेगा।

हरियाणा और पंजाब के लिए कही ये बात

टिकैत ने कहा कि यह आंदोलन तभी सफल हो सकता है, जब हरियाणा और पंजाब के लोग इसमें मुख्य तौर पर शरीक रहेंगे। अभी तक इन्हीं के कारण आंदोलन इतना मजबूत हुआ है। हरियाणा के लोगों का कोई सानी नहीं है। लंगर सेवा पूरी मजबूती से चला रहे हैं। मुजफ्फरनगर की हालिया महापंचायत में बीस लाख लोग शामिल हुए, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या हरियाणा और पंजाब के किसानों की थी। जबकि, वहां के आसपास के लोग पीछे रह गए। उन्होंने बताया कि प्रशासन से प्रस्तावित ताजे दौर की वार्ता में भी वही तमाम नेता शामिल होंगे, जो मंगलवार को हुई वार्ताओं में थे। वार्ता के बाद तय किया जाएगा कि आगे क्या करना है।

यहां पर अलग मोर्चा लगाने से कोई गुरेज नहीं

राकेश टिकैत ने दो टूक कहा कि दिल्ली बार्डर से अलग यहां कितने भी समय के लिए अलग मोर्चा लगाने से कोई गुरेज नहीं है। यह साफ हो चुका है कि प्रशासन न तो वायरल वीडियो में लाठीचार्ज कराने के आदेश देने वाले अधिकारी पर किसी प्रकार की कार्रवाई के मूड में है और न ही किसानों से ठोस वार्ता करना चाहता है। इसलिए हम भी लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं। फिर चाहे दो दिन, दो महीने और दो साल ही यहां क्यों न बैठना पड़े।


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