Karnal Kisan Mahapanchayat: आंदोलनकारी किसानों के सामने पुलिस ने बरता संयम, हाईवे नहीं होने दिया बाधित
करनाल महापंचायत में किसानों की भारी भीड़ थी। किसान लघु सचिवालय की तरफ कूच कर रहे थे। इसके बावजूद पूरे प्रशासनिक अमले ने संयम रखा। तमाम संसाधनों से लैस होने के बावजूद उनकी ओर से बल प्रयोग नहीं किया गया।
करनाल, जागरण संवाददाता। जिला प्रशासन के लिए मंगलवार की सुबह काफी चुनौतीपूर्ण रही तो शाम को महापंचायत से जिला सचिवालय कूच के ऐलान के बाद देखते ही देखते स्थिति इतनी संवेदनशील हो गई कि तमाम आला अधिकारियों पर फौरी कार्रवाई का दबाव खासा बढ़ गया। इसके बावजूद पूरे प्रशासनिक अमले के संयम की सराहना करनी होगी कि तमाम संसाधनों से लैस होने के बावजूद उनकी ओर से बल प्रयोग नहीं किया गया। सभी प्रमुख अधिकारी किसान नेताओं से बातचीत के प्रयास भी लगातार करते रहे लेकिन किसान नेताओं के रुख में रत्ती भर बदलाव देखने को नहीं मिला। इसी का नतीजा यह रहा कि आखिरकार देर शाम जिला सचिवालय पर हजारों की तादाद में जुटे किसानों ने कब्जा कर लिया।
शुरू से अक्रामक थे किसान नेताओं के तेवर
महापंचायत के मंच पर प्रदेश और केंद्र सरकार से लेकर पुलिस प्रशासन पर लगातार नारेबाजी और संबाेधन के जरिए हमला बोल रहे किसान नेताओं के तेवर शुरुआत से ही आक्रामक बने थे। खासकर, युवा किसानों को देखकर साफ झलक रहा था कि वे पूरी तैयारी के साथ और कुछ कर गुजरने के इरादे के साथ ही यहां पहुंचे हैं। हालांकि, दूसरी ओर प्रशासन के स्तर से भी पुख्ता तैयारियां की गई थीं और नेशनल हाईवे पर रूट डायवर्जन प्लान लागू करने के साथ ही शहर में चारों तरफ सुरक्षा के चाकचौबंद इंतजाम किए गए थे।
सुरक्षा के चाकचौबंद इंतजाम
सुरक्षा के मद्देनजर हाईवे पर बलड़ी बाइपास, अग्रसेन चौक, अंबेडकर चौक, बस स्टैंड, नमस्ते चौक, आइटीआइ चौक, सेक्टर-6 चौक, हांसी रोड, चिढ़ाव मोड, काछवा रोड स्थित पिंगली चौक के पास पुलिस का पहरा लगाया गया। इधर, सुबह से लगातार होे रही बूंदाबांदी के बावजूद करनाल अनाज मंडी में किसान एकत्र होना शुरू हो गए थे। प्योंत टोल और बसताड़ा टोल पर रणनीति तैयार करने के बाद किसान नारेबाजी करते हुए अनाज मंडी पहुंचे और बसताड़ा प्रकरण में वायरल वीडियो को लेकर घिरे अधिकारी के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान झंडे लहराते युवाओं के तेवर मंच से हो रही बयानबाजी के बीच कई बार आक्रामक हुए लेकिन पुलिस प्रशासन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं की गई। यह स्थिति महापंचायत में सुबह से शाम तक कायम रही लेकिन मंडी परिसर में अश्व पुलिस से लेकर गेट पर नाके लगाने के बावजूद पुलिस ने किसानों को नहीं रोका।
पुलिस ने एक लाठी भी नहीं चलाई
शाम को जब महापंचायत के मंच से जिला सचिवालय कूच का ऐलान कर दिया गया तो भी उच्चाधिकारियों के दिशा-निर्देशानुसार पुलिस ने नर्म रुख से काम लिया जबकि पहले नमस्ते चौक और फिर बाद में निर्मल कुटिया चौक पर भी किसानों से सीधी भिड़ंत होने पर भी पुलिस ने एक लाठी तक नहीं फटकारा। पानी की बौछार से अवश्य उन्हें राेकने की कोशिश की गई लेकिन किसान इस पर भी नहीं रुके। इसी का नतीजा रहा कि वे शाम को जिला सचिवालय का घेराव करने में आखिरकार सफल हो गए।
हाईवे पर बाधित नहीं हुआ यातायात
प्रशासन ने दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे पर आवाजाही के लिए वाहनों को पेप्सी पुल (पानीपत) से होते हुए मूनक से असंध या फिर मूनक से गगसीना और घोघडीपुर से होते हुए हांसी चौक, बाईपास, पश्चिमी यमुना नहर कर्ण लेक जीटी रोड-44 होते हुए चंडीगढ़ की ओर निकाला जबकि चंडीगढ़ की ओर से आने वाले वाहनों को पिपली चौक (कुरुक्षेत्र) से लाडवा, इंद्री, ब्याना, नेवल और कुंजपुरा से होते हुए नंगला मेघा, मेरठ रोड से अमृतपुर खुर्द, कैरवाली, घरौडा से जीटी रोड-44 से दिल्ली की ओर निकाला गया। प्रशासन की इसी नियोजित व्यवस्था के कारण हाईवे पर यातायात बाधित नहीं हुआ।