लोकनृत्य और थिएटर में करनाल की हिंदी अध्यापिका अनीता ने हरियाणा में अव्वल, दूसरी बार मारी बाजी
हरियाणा में रंगोत्सव प्रतियोगिता 2022 हुआ। इसमें लोकनृत्य और थिएटर में करनाल की हिंदी अध्यापिका अनीता ने बाजी मारी। अध्यापिका अनीता ने रंगोत्सव में पहला स्थान हासिल किया। अध्यापिका अनीता राजकीय माध्यमिक विद्यालय हैबतपुर इंद्री करनाल में कार्यरत हैं।
करनाल, जागरण संवाददाता। राजकीय माध्यमिक विद्यालय हैबतपुर इंद्री में कार्यरत हिंदी अध्यापिका अनीता ने लोकनृत्य और थिएटर में जिला में दूसरी बार लगातार प्रथम स्थान स्थान हासिल किया। हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद पंचकूला की ओर से अध्यापकों के लिए रंगोत्सव प्रतियोगिता 2021-22 का आयोजन किया गया था। लोकनृत्य में लगातार दूसरे वर्ष जिले भर में प्रथम स्थान हासिल करने पर शिक्षिका अनिता यह उपलब्धि हासिल हुई है। शिक्षिका अनिता को उनकी बेहतर कार्यप्रणाली के लिए विभाग के अधिकारियों की ओर से भी सराहना की गई।
हिंदी अध्यापिका अनिता ने कहा कि कला किसी उम्र की मोहताज नहीं है। सबसे पहले स्वयं को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करना चाहिए। नीलोखेड़ी शहर में जन्मी इस बेटी ने शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में विजय हासिल कर अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उनका मानना है कि कला शिक्षण का उद्देश्य कलाकार का निर्माण नहीं बल्कि कलाबोध और कलात्मक व्यवहार विकसित करना है। इसके लिए अलग से कला विषय की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सभी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो।
स्कूल में बच्चों का शिक्षिका के साथ खास लगाव
अंजनथली वरिष्ठ माध्यामिक विद्यालय में तबादले पर बच्चों के लिपट कर रोने की वीडियो वायरल होने के बाद शिक्षिका अनिता की कुशल कार्यप्रणाली उभर कर सामने आई। इसके बाद राजकीय माध्यमिक विद्यालय हैबतपुर इंद्री में नियुक्ति लेने के बाद यहां भी बच्चों के अलावा गांव में पहचान बनाई। जिसके चलते स्कूल में 28 बच्चों की संख्या बढ़कर 42 हो गई है। बच्चों की मेहनत को सराहते हुए शिक्षिका अनिता का कहना है कि हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद पंचकूला की ओर से अध्यापकों के लिए रंगोत्सव प्रतियोगिता में स्कूल छात्राओं ने बेहतर प्रदर्शन कर जिले में दूसरा स्थान हासिल किया है। उनका दावा है कि माता-पिता के बाद शिक्षक पर बच्चों की जिम्मेदारी होती है और यही कारण है कि नियम 134ए में दाखिला होने के बावजूद बच्चे स्कूल छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इधर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रोहताश वर्मा ने बताया कि हिंदी शिक्षिका अनिता की बेहतर कार्यशैली विभाग में किसी से छिपी नहीं है। यही कारण है कि उन्होंने कला के दम पर नाम रोशन किया है। प्रतियोगिता के दौरान पेंटिंग, लोकनृत्य, ड्राइंग, संगीत इत्यादि का प्रदर्शन किया गया जिसमें उनकी भागीदारी सराहनीय रही। बच्चों के साथ विशेष लगाव ही शिक्षिका अनिता की अपनी पहचान है।