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मनोहरमय होती गई करनाल विधानसभा, पहले ही हार मान बैठे थे विपक्षी Panipat News

करनाल विधानसभा इस बार काफी खास है। पहले महज एक विधायक के प्रत्‍याशी के तौर पर मैदान में उतरे मनोहर लाल की छवि बदल चुकी है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 01:21 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 09:52 AM (IST)
मनोहरमय होती गई करनाल विधानसभा, पहले ही हार मान बैठे थे विपक्षी Panipat News
मनोहरमय होती गई करनाल विधानसभा, पहले ही हार मान बैठे थे विपक्षी Panipat News

पानीपत/करनाल, [अश्विनी शर्मा]। 2014 का करनाल विधानसभा चुनाव जनता के जेहन में आज भी ताजा है। जनता के लिए नए-नवेले मनोहर लाल का भी पहला चुनाव था। चुनाव घोषित होने से पहले शांत राजनीति में जैसे ही मनोहर उतरे तो आहिस्ता आहिस्ता करके पूरा विधानसभा क्षेत्र मनोहरमय होता चला गया। विपक्षी दुबक चुके थे। पिछले दो प्लान से लगातार विधायक बनी सुमिता सिंह करनाल से पलायन करके असंध चली गई।

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कांग्रेस ने औपचारिकता पूरी करते हुए ऐसे उम्मीदवार तत्कालीन ग्रामीण जिलाध्यक्ष सुरेंद्र नरवाल को मैदान में उतार दिया था, जिन्होंने कभी करनाल से चुनाव लड़ने का सोचा भी नहीं था। पिछले साल की चुनाव की तुलना में स्थितियां इस चुनाव में बदली हुई है। पहले मनोहर लाल महज एक विधायक पद के दावेदार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे और इस बार सीएम मनोहर लाल जनता के बीच में होंगे। पिछले चुनाव में उन्होंने 63 हजार 773 मतों से जीत हासिल की थी और कुल वोट 82 हजार 485 मिले थे। हाल की चर्चाओं में यही शामिल है कि इस बार जीत का यह अंतर कितना रहता है।

पिछले चुनाव में भी विपक्षी हवा का रुख पहले ही भांप चुके थे। यही वजह थी कि करनाल विधानसभा से लगातार दो बार की विधायक सुमिता सिंह ने यहां से चुनाव लड़ने से ही इन्कार कर दिया था और वह असंध विधानसभा में चली गई थी। मझधार में फंसी कांग्रेस ने तत्कालीन ग्रामीण जिलाध्यक्ष सुरेंद्र नरवाल को टिकट थमा दिया। उन्होंने संगठन का आदेश मानकर चुनाव लड़ा और 12 हजार 804 मत हासिल किए।

पिछले चुनाव में करनाल की राजनीति में दिग्गज माने जाने वाले पूर्व मंत्री जयप्रकाश गुप्ता का जादू भी बेसअर हो गया। उन्होंने जनता के बीच में अपील की थी कि यह उनका आखिरी चुनाव है। उनका समर्थन किया जाए। वह आजाद ही मैदान में उतरे थे। हालांकि वह चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे, लेकिन मनोहर लाल से बहुत पीछे रह गए थे। उन्हें 18 हजार 712 मत ही मिल पाए थे। इनेलो ने पंजाबी कार्ड चलते हुए युवा नेता मनोज वधवा को मैदान में उतरा था। इस शहरी सीट पर भी इनेलो हमेशा से प्रभावहीन रही है। वधवा तीसरे नंबर पर रहे और 17 हजार 685 वोट ही हासिल कर पाए थे।

पहला चुनाव करनाल विधानसभा से ही लड़ा था सीएम मनोहर लाल ने

वर्ष 2014 में सीएम मनोहर लाल ने अपने जीवन का पहला चुनाव करनाल विधानसभा से लड़ा। चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री बने। इससे पहले वह संगठनात्मक तौर पर करनाल की राजनीति से जुड़े रहते थे। लिहाजा वह स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं से परिचित थे। लेकिन जनता के लिए नया चेहरा थे। जैसे ही जनता के बीच में यह बात गई कि भाजपा की सरकार बनने पर वह सीएम बनेंगे तो लोगों ने भी इस मौके को नहीं जाने दिया और उन्हें बड़े बहुमत से जीत दिलाई।


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