Exclusive Interview : जस्टिस एसएन अग्रवाल बोले- करनाल लाठीचार्ज और वायरल वीडियो की तह तक जाने की जरूरत
Exclusive Interview करनाल लाठीचार्ज मामले की जांच जस्टिस एसएन अग्रवाल कर रहे। उन्होंने कहा जांच में समय लग सकता है। लाठीचार्ज और वायरल वीडियो की तह तक जाने की जरूरत है। इसके लिए समय बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी।
चंडीगढ़ , राज्य ब्यूरो। Exclusive Interview : करनाल जिले के बस्ताड़ा टोल पर हुए लाठीचार्ज और आइएएस अधिकारी आयुष सिन्हा द्वारा किसानों के सिर फोड़ देने के बयान संबंधी वायरल वीडियो की तह में जाने के लिए जस्टिस एसएन अग्रवाल ने जांच आरंभ कर दी है। प्रदेश सरकार ने इस जांच को पूरा करने के लिए जस्टिस एसएन अग्रवाल को एक माह का समय दिया है। जस्टिस अग्रवाल को लगता है कि एक माह में यह जांच पूरी नहीं हो पाएगी। लिहाजा जरूरत पड़ने पर वह जांच की अवधि बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार से अनुरोध कर सकते हैं।
जस्टिस अग्रवाल इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि उन्हें किसान संगठनों के आंदोलन की शुरू से जांच करनी है या फिर करनाल में हुए लाठीचार्ज तक सीमित रहना है। इसकी वजह यह है कि प्रदेश सरकार ने बस्ताड़ा टोल पर हुए लाठीचार्ज के हालात पैदा होने की तह में जाने को कहा है। जस्टिस अग्रवाल के अनुसार इसका मतलब यह हुआ कि सरकार चाहती है कि आंदोलन की शुरुआत से जांच की जाए, ताकि इस नतीजे पर पहुंचा जा सके कि करनाल में लाठीचार्ज के हालात कैसे और क्यों बने। जांच के दायरे को स्पष्ट करने के लिए जस्टिस अग्रवाल जल्द ही प्रदेश सरकार को पत्र लिखेंगे। दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने जस्टिस एसएन अग्रवाल से तमाम बिंदुओं पर बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश।
करनाल में बस्ताडा टोल पर लाठीचार्ज की घटना को करीब डेढ़ माह हो गया। एसडीएम आयुष सिन्हा का तबादला किया जा चुका। न्यायिक जांच के सरकार के आदेश की मौजूदा स्थिति क्या है
- मैंने मंगलवार से बस्ताड़ा टोल प्रकरण पर हुए लाठीचार्ज की जांच आरंभ कर दी है। होम सेक्रेटरी से मिलकर उन्हें जांच शुरू कर देने की सूचना दी। मैं कल करनाल भी गया था। वहां के अधिकारियों को जांच आरंभ करने के बारे में जानकारी दे दी है। जल्द ही पब्लिक नोटिस जारी हो जाएगा, जिसके आधार पर कोई भी व्यक्ति इस जांच प्रक्रिया में शामिल होकर अपने बयान दर्ज करा सकता है। 25 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक मैं करनाल के रेस्ट हाउस में स्पेशल कोर्ट लगाऊंगा। वहीं पर बयान दर्ज किए जाएंगे।
आप की जांच का दायरा क्या है। करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज हुआ। आइएएस अधिकारी का एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह आंदोलनकारियों का सिर फोड़ देने के आदेश देते दिखाई दे रहे हैं
- फिलहाल तो मुझे यही जांच करनी है कि लाठीचार्ज क्यों और कैसे हुआ। साथ ही इस बात की तह में जाना है कि क्या वास्तव में एसडीएम ने सिर फोड़ देने के आदेश दिए थे, लेकिन प्रदेश सरकार ने आयोग की अधिसूचना जारी करते हुए यह भी कहा है कि उन परिस्थितियों की तह में जाया जाना चाहिये, जिनकी वजह से किसान करनाल में जमा हुए, उन पर लाठीचार्ज के लिए प्रशासन को मजबूर होना पड़ा और आंदोलन क्यों उग्र हुआ। इसका मतलब जहां तक मुझे समझ में आ रहा है, सरकार चाहती है कि उन तमाम परिस्थितियों की जांच की जाए, जिनकी वजह से किसान करनाल में जमा हुए। यानी किसान अचानक तो आए नहीं। पहले से आंदोलन चल रहा था। करनाल में किसानों का आंदोलन पहले से चल रहे आंदोलन की एक कड़ी का हिस्सा है। इसलिए मुझे लगता है कि मेरी जांच का दायरा बढ़ने वाला है।
तो क्या यह मान लिया जाए कि पिछले दस माह से चल रहा किसान संगठनों का आंदोलन आपकी जांच के दायरे में शामिल होने वाला है
- प्रदेश सरकार के आदेश-निर्देश से तो मुझे यही समझ में आ रहा है, लेकिन करनाल प्रकरण की जांच करते-करते मैं सरकार को चिट्ठी लिखकर इस पर स्पष्ट दिशा निर्देश प्राप्त करूंगा कि मुझे क्या करना है। अगर पूरे किसान संगठनों के आंदोलन की शुरू से जांच करनी पड़ी तो इसमें काफी समय लगेगा। यह छह से सात माह ले सकता है।
हरियाणा में जाटों समेत छह जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल कर आरक्षण देने अथवा न देने के मामले में भी प्रदेश सरकार ने आपसे एक रिपोर्ट मांगी थी। उसका क्या स्टेट है।
- आप ठीक कर रहे हैं। प्रदेश में जब जाट आरक्षण आंदोलन चल रहा था, तब सरकार ने जाटों समेत छह जातियों को आरक्षण की जरूरत है या नहीं, इस पर रिपोर्ट मांगी थी। उस आयोग का चेयरमैन भी मैं ही था। मैंने तमाम जांच प्रक्रिया के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली थी। यह रिपोर्ट मुङो मुख्यमंत्री को 31 मार्च 2019 को सौंपनी थी, लेकिन तभी 26 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर ऐसी कोई भी रिपोर्ट सौंपने पर रोक लगा दी थी। यह प्रक्रिया अभी तक जारी है। लिहाजा तब रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी जा सकी। अब वह आयोग काम नहीं कर रहा है और रिपोर्ट बंद लिफाफे में पड़ी है।
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान गठित आयोग का कामकाज भी आपने देखा। अब किसान संगठनों के आंदोलन की तह में जाने की कोशिश है। किसी तरह का दबाव महसूस करते हैं।
- मेरे साथ परमात्मा की शक्ति है। परमात्मा का आशीर्वाद मेरे साथ है। मैं न तो कभी दबाव में रहा, न ही मुझ पर कभी किसी ने कोई दबाव दिया और न मैं दबाव महसूस करता हूं। अपनी सोच, तथ्यों की मौजूदगी और साक्ष्यों के साथ केस से जुड़ी परिस्थितियों के आधार पर कोई फैसला लेता हूं। जस्टिस रहते हुए आज तक जितने फैसले दिए, हमेशा दिल से यही आवाज आई कि मैंने सही न्याय किया है।
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जस्टिस बोले-फिलहाल करनाल लाठीचार्ज और वायरल वीडियो की जांच करूंगा, इसके लिए समय बढ़ाना पड़ सकता है
25 से 29 अक्टूबर तक करनाल में स्पेशल कोर्ट लगेगी, तब कोई भी जांच में शामिल होने के लिए आ सकता है