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सरकारी विभागों के पैनल में शामिल वकीलों की जंबो सूची जारी

हरियाणा सरकार की ओर से सरकारी विभागों के पैनल में शामिल किए वकीलों की सूची जारी की गई है। जिले के कुल 60 वकीलों को विभागों के पैनल में शामिल किया गया है। अब तक की यह सबसे बड़ी सूची है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 04:54 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 04:54 AM (IST)
सरकारी विभागों के पैनल में शामिल वकीलों की जंबो सूची जारी
सरकारी विभागों के पैनल में शामिल वकीलों की जंबो सूची जारी

जागरण संवाददाता, पानीपत : हरियाणा सरकार की ओर से सरकारी विभागों के पैनल में शामिल किए वकीलों की सूची जारी की गई है। जिले के कुल 60 वकीलों को विभागों के पैनल में शामिल किया गया है। अब तक की यह सबसे बड़ी सूची है।

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पैनल में जगह नहीं बना सके कुछ वकीलों ने पीड़ा जाहिर करते हुए आरोप लगाया है कि सत्ताधारी पार्टी भाजपा-जजपा के चहेते वकीलों को अतिरिक्त लाभ दिया गया है। दरअसल, सरकारी विभागों के कोर्ट केसों की मजबूती से पैरवी करने के लिए वकीलों को पैनल में शामिल किया जाता है। वकील को 11 हजार रुपये प्रति केस फीस विभाग की ओर से दी जाती है।

पैनल में शामिल होने के लिए करीब दो साल पहले नाम लिए गए थे। किसी कारण से सूची जारी करने में देरी होती रही। अब अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रशासनिक एवं न्याय विभाग ने कुछ जोड़-घटा कर 60 वकीलों को विभिन्न विभागों के पैनल में शामिल किया है। इनमें तीन वकील समालखा कोर्ट में चल रहे सरकारी विभागों के केसों की पैरवी करेंगे। सूची में पांच महिला वकील के नाम भी हैं। हर वकील को चार से छह विभागों के पैनल में शामिल किया गया है। इन विभागों के पैनल में शामिल किए वकील

नगर निगम, नगर पालिका, हरियाणा टूरिज्म, हरियाणा वेयर हाउसिग कार्पोरेशन, हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिग बोर्ड, पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, हैफेड, हरियाणा पौंड एंड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट, खादी ग्राम उद्योग, एचएसआइडीसी, हरियाणा स्टेट फेडरेशन कापरेटिव शुगर मिल, चाइल्ड वेलफेयर, हरियाणा पावर यूटिलिटी, फार्मेसी काउंसिल, हरियाणा साहित्य अकादमी, वाटर रिसोर्स अथारिटी, हरियाणा फाइनेंस कारपोरेशन, फोरेस्ट डेवलपमेंट, हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज, स्कूल शिक्षा परियोजना, बीज निगम इत्यादि। जंबो सूची होने का नुकसान

सरकारी विभागों के पैनल में शामिल किए गए वकीलों की जंबो सूची का नुकसान भी है। पैनल में कम वकील होंगे तो उन्हें आसानी से पर्याप्त केस मिलते रहेंगे। अधिक वकील होने से हिस्से में कम केस आएंगे। वकीलों को केस पाने के लिए विभागों के अधिकारियों के आफिस में हाजिरी लगानी पड़ेगी।


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