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कोच का जुनून ऐसा, नेशनल कबड्डी में फलक छूने लगीं बांगर की बेटियां

कोच की जिद और जुनून से हरियाणा के जींद के गांव बुडायन में बेटियां कबड्डी के जरिए आसामां की बुलंदियों को छू रही हैं। बुडायन गांव के धर्मराज ने लड़कियों को कबड्डी में आगे ले जाकर नई पहचान दिलवाई।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 06:17 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 06:17 PM (IST)
कोच का जुनून ऐसा, नेशनल कबड्डी में फलक छूने लगीं बांगर की बेटियां
जींद में कबड्डी का दांव पेच लगाती बेटियां।

पानीपत/जींद, [प्रदीप घोघड़ियां]। जींद के उचाना क्षेत्र को बांगर के साथ-साथ एक नई पहचान मिलने लगी है। यह पहचान दिलाई है बांगर की उन बेटियाें ने, जो नेशनल कबड्डी में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्र का नाम चमका रही हैं। बुडायन गांव के धर्मराज के जुनून और मेहनत से नेशनल कबड्डी में बांगर की बेटियां फलक छू रही हैं। धर्मराज कोच से नेशनल कबड्डी सीख क्षेत्र की 6 लड़कियां नेशनल में, 3 लड़कियां ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी और 25 से ज्यादा लड़कियां स्टेट में पॉजिशन हासिल कर चुकी हैं।

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बुडायन गांव के धर्मराज 1980 में खेल कोटे से नेवी में भर्ती हुए थे। नेवी की तरफ से धर्मराज ने लगातार 6 बार नेशनल कबड्डी की टीम में हिस्सा लिया। वहां से चीफ पेटी आफिसर के पद से रिटायरमेंट के बाद गांव बुडायन में लेक्चरर के तौर पर ज्वाइन किया। डबल एमए और कोच की योग्यता रखने वाले धर्मराज ने गांव में लड़कों को कबड्डी खिलाना शुरू किया। अपने प्रयासों से अकेले बुडायन गांव से ही 40 युवाओं को खेल कोटे से सरकारी नौकरी दिलवाने में धर्मराज कामयाब रहे। प्रो कबड्डी में हरियाणा के मुख्य रेडर विकास कंदौला हो या संदीप कंदौला, सभी धर्मराज से ही कबड्डी सीखने के बाद इस मुकाम पर पहुंचे हैं।

Sports Dharmraj

बांगर की इन बेटियों ने कमाया नाम

कोच धर्मराज के नेतृत्व में बांगर की धरती से रीतू भाबर, कर्मजीत, पूजा, आरती, शीतल ने राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर मेडल हासिल किया है तो रीतू, ज्योति और नीलम ने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी के स्तर पर नाम कमा चुकी हैं। 6 लड़कियां स्कूली गेम्स में और 25 लड़कियां राज्य स्तर पर अपनी पॉजिशन हासिल कर चुकी हैं।

लड़कियों को कबड्डी सीखा दिलाई राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

धर्मराज पहले केवल लड़कों को ही कबड्डी के गुर सिखाते थे। एक दिन दो छोटी लड़कियों ने आकर उनसे कबड्डी सीखने की गुहार लगाई तो धर्मराज ने उनके अभिभावकों से बात की। शुरूआत में अभिभावक भी कबड्डी की ट्रेनिंग के दौरान मौजूद रहते थे। धीरे-धीरे कारवां जुड़ता चला गया। आज खटकड़, बरसोला, उचाना, बड़ौदा समेत कई गांवों की लड़कियां उनसे कबड्डी के गुर सीखने के लिए आ रही हैं। पहले धर्मराज खटकड़ गांव में कबड्डी खिलाते थे लेकिन अब राजीव गांधी कॉलेज उचाना में कबड्डी की ट्रेनिंग देते हैं। कबड्डी सिखाने के लिए वह किसी तरह की फीस नहीं लेते।

कबड्डी को समर्पित किया जीवन : धर्मराज

बुडायन निवासी धर्मराज ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन को कबड्डी के प्रति समर्पित कर दिया है। कबड्डी के क्षेत्र में वह बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। फिलहाल राजीव गांधी कॉलेज में डायरेक्टर ऑफ स्पोर्ट्स हैं। यहां पर दीनबंधु छोटूराम एकेडमी चला रहे हैं, जहां बिना किसी शुल्क के ही बेटियों को कबड्डी की ट्रेनिंग दी जा रही है। धर्मराज ने कहा कि उनके पास कुछ लड़कियां एशियाड में जा सकती थी लेकिन उन्हें गुमराह कर दिया गया। इस कारण वह मार्ग से भटक गई। किसी भी कार्य में सफलता हासिल करने के लिए अनुशासन जरूरी है।

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