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यह है अंतरराष्ट्रीय एटीएम हैकर्स का मास्टरमाइंड, एमसीए और दसवीं पास भी गिरोह में

मास्टरमाइंड अमित त्यागी को शोरूम में 40 लाख और प्रॉपर्टी के धंधे में नुकसान हो चुका। फ्लोर मिल मालिक अतुल बैनीवाल के साथ मिलकर एक साल पहले ही गिरोह में बनाया था।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 01:58 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 11:41 AM (IST)
यह है अंतरराष्ट्रीय एटीएम हैकर्स का मास्टरमाइंड, एमसीए और दसवीं पास भी गिरोह में
यह है अंतरराष्ट्रीय एटीएम हैकर्स का मास्टरमाइंड, एमसीए और दसवीं पास भी गिरोह में

पानीपत [विजय गाहल्याण]। अंतरराष्ट्रीय एटीएम हैकर्स गिरोह के बदमाशों ने चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन किए हैं। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि बिजनेस में फेल होने के बाद सरगना मेरठ के अमित त्यागी ने अपराध का रास्ता पकड़ लिया। जल्दी सफलता हाथ लग गई। दोस्तों को साथ मिलाकर गिरोह का विस्तार कर लिया। अमित त्यागी मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) पास है। 

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अमित त्यागी (40) का मेरठ में फ्रिज, वाशिंग मशीन और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का शोरूम था। व्यवसाय में 40 लाख रुपये का घाटा हो गया। 2014-15 में शोरूम बंद कर दिया और प्रॉपर्टी डीलिंग शुरू की। इसमें भी रुपये डूब गए तो कंगाल हो गया। 

यहां से लिया आइडिया
अमित त्यागी ने एक साल पहले यू-ट्यूब पर एटीएम हैक कर डाटा चोरी करने का वीडियो देखा। कंप्यूटर में दक्ष होने के कारण उसने अपने एक साथी के जरिये रुड़की में फ्लोर मिल चला रहे हरिद्वार के मंडावली के अतुल बैनीवाल (32) से संपर्क किया। अतुल भी एमसीए पास है। त्यागी ने बैंकों के ऑनलाइन फ्रॉड की तरकीब सुझाई। बैनीवाल को मनचाही नौकरी नहीं मिली थी और फ्लोर मिल में ज्यादा बचत नहीं हो रही थी। वह जल्द ही लाखों रुपये कमाना चाहता था। इसलिए त्यागी के साथ मिल हैकरों का गिरोह बना लिया। इसमें इंटरनेट के जरिये चेन सिस्टम से गुर्गों को जोड़ लिया। खासकर उन युवकों को जिन्हें कंप्यूटर ज्ञान हो और नौकरी न मिली हो। साथ ही लखपति बनना चाहते हों। 

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त्यागी रखता रिकार्ड, बिटक्वाइन से भी विदेशी हैकरों से डेटा खरीदे
पुलिस पूछताछ में अमित त्यागी ने बताया कि उसने एक साइट के जरिये ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा सहित कई देशों के एटीएम हैकर्स से संपर्क किया। बिटक्वाइन के जरिये हैकर्स से विदेशी बैंकों के डेबिट व क्रेडिट कार्ड का डाटा खरीद लेता था। इसको श्रीलंका, भारत और अन्य देशों के हैकरों को बेचा। इससे आठ लाख रुपये कमाए। डाटा उसके लैपटॉप में फीड होता है। जैसे हैकर डिमांड करते हैं, उसी मुताबिक बेच देता है। वह गिरोह में शामिल बदमाशों से इंटरनेट से ही संपर्क करता है। उनसे कभी मिला नहीं है। वह गिरोह से जुड़े अतुल व अन्य आठ से दस युवकों को ही पहचानता है। 

अतुल ने जोड़े श्रीलंका से तार
अतुल श्रीलंका घूमने गया था। उसकी वहां पर एक हैकर से मुलाकात हुई थी। इस हैकर को भी उन्होंने डेटा बेचा।

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 तैयार किया प्लान स्वदेशी 
अमित त्यागी ने बताया कि विदेश बैंक के चोरी किए डाटा की डिमांड घट रही थी। कमाई कम हो गई थी और रिस्क बढ़ गया था। ये साइट भी बंद हो गई थी। उसने साथियों के साथ मिलकर प्लान स्वदेशी तैयार किया।  हरियाणा के पानीपत, सोनीपत, करनाल, गुरुग्राम, फरीदाबाद सहित कई बड़े शहरों के एटीएम हैक करके डेबिट व क्रेडिट कार्ड का डाटा चुराना था। उसके निशाने पर दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के बड़े शहरों के एटीएम निशाने पर थे। ये डाटा उसने देश के कोने-कोने में बैठे हैकरों और विदेशी हैकरों को भी बेचना था। इससे पहले ही हत्थे चढ़ गए।

 यह  भी पढ़ें- एटीएम से डाटा हैक कर विदेश में बेचते हैं, पानीपत में पकड़े गए हैकर

पानीपत में कर चुका था रेकी
पोलीटेक्निक में मैकेनिकल का डिप्लोमा करने वाले फतेहाबाद के मताणा गांव के विक्रम उर्फ विक्की (23) को तीन साल तक अच्छी नौकरी नहीं मिली। अच्छे कपड़े व जूते पहनने और घूमने के शौक पूरा नहीं हो रहा था। परिजन भी कमाने के लिए टोकते थे। शॉर्ट कट में लखपति बनने का सपना देखा और एटीएम हैकर अतुल से दोस्त के जरिये मिला। विक्रम पानीपत के रामलाल चौक, संजय चौक, लालबत्तीी चौक सहित कई एटीएम की रेकी भी कर चुका था। खासकर उन एटीएम की जहां पर ज्यादा डेबिट कार्ड स्वैप होते थे। संदीप ने बताया कि उसका लकड़ी का काम है। वह एक साथी के माध्यम से त्यागी से मिला और लाखों रुपये कमाने की चाहत में फंस गया। 

धोखे का धंधा, विश्वास की बुनियाद
अमित त्यागी ने पुलिस को बताया कि एटीएम हैक करने का धोखे का धंधा है, लेकिन यह विश्वास पर चल रहा है। हैकर एक-दूसरे के बारे में किसी और को नहीं बताते हैं। एक डेबिट व क्रेडिट का डाटा दूसरे हैकरों को 500 से 20 हजार रुपये तक बेच दिया जाता था। यह खरीदने वाले का रिस्क होता था कि खाते में कितने रुपये हैं। कई बार उपभोक्ता को शक होने पर डेबिट कार्ड को बंद भी करा देता था। इससे नुकसान भी हो जाता था।


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