हैदराबाद गैंगरेप: बुद्धिजीवी महिलाओं ने दुष्कर्म मामलों में कही बड़ी बात, रखी ये मांग Panipat News
हैदराबाद गैंगरेप सहित दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के बाद दैनिक जागरण कार्यालय में बुद्धिजीवी महिलाओं ने दुष्कर्म की घटनाओं पर लगाम कैसे लगे विषय पर विचार रखे।
पानीपत, जेएनएन। सेक्टर 29 पार्ट-टू स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में जागरण विमर्श का आयोजन हुआ। 'दुष्कर्म की घटनाओं पर लगाम कैसे लगे' विषय पर प्रोफेसर, वकील, डॉक्टर और समाजसेवा क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं ने बेबाकी से विचार रखे। बुद्धिजीवी महिलाओं के विमर्श का निष्कर्ष यही निकला कि शिक्षा-संस्कार बढ़े और नशा-बेरोजगारी खत्म हो तो दुष्कर्म की घटनाएं रुक सकती हैं।
शीघ्र और कठोर सजा मिले
हैदराबाद में पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के आरोपितों को पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने से जनता इसलिए खुश है, क्योंकि जनता दुष्कर्म के दोषियों को फांसी पर लटकता देखना चाहती है। फास्ट ट्रैक कोर्ट तो बना दिए, तय अवधि में सजा कितनों को मिली? माता-पिता बच्चों के मोबाइल फोन देने और अन्य गतिविधियों पर नजर रखें। खासकर परिवार के लड़कों की मानसिकता में बदलाव बहुत जरूरी है।
-कंचन सागर, अध्यक्ष-नारी कल्याण समिति।
संयुक्त परिवारों से सुधरेंगे हालात
निर्भया केस के दोषियों को आज तक सजा नहीं मिली है। यही कारण है कि हैदराबाद पुलिस की प्रशंसा पूरे देश में हो रही है। जहां तक घटनाओं में कमी की बात है तो संयुक्त परिवार में माता-पिता, भाई के अलावा अन्य सदस्य बच्चों की हरकतों पर नजर रखते थे। अब ऐसा नहीं है, हालात सुधारने हैं तो दुष्कर्म के दोषी को जल्द और सख्त सजा होना, संयुक्त परिवारों की तरफ लौटना बहुत जरूरी हो गया है।
अनिता बतरा, अध्यक्ष-इनरव्हील क्लब पानीपत मिडटाउन
कानून सजा दे तो लौटेगा विश्वास
हैदराबाद पुलिस के हाथों मुठभेड़ में मारे गए आरोपित मामले में बिना सच जाने बहस बेकार है। यह अभी जांच का विषय है। ऐसी दर्दनाक घटनाएं न हो, इसके लिए एजुकेशन सिस्टम में सुधार की जरूरत है। एनसीसी, एनएसएस शिविरों में फिजिकल रिलेशन और कानून में सजा के प्रावधानों की जानकारी देना अनिवार्य किया जाना चाहिए। पुलिस को भी ग्रास रूट पर ट्रेङ्क्षनग दी जाए, ताकि आरोपित सजा से न बच सकें।
डॉ. कुंजल प्रतिष्ठा, अध्यक्ष-प्रतिष्ठा फाउंडेशन।
पुलिस का सिस्टम खराब है
सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में पुलिस को अधिक संवेदनशील बनाने की जरूरत है। पीडि़ता के स्वजन जब शिकायत लेकर पहुंचते हैं तो उससे ऐसे सवाल किए जाते हैं जैसे वे ही आरोपित हों। जिले की करीब 218 नाबालिग लड़कियां लापता हैं। पुलिस के पास ट्रैङ्क्षकग सिस्टम ठीक नहीं है। पोक्सो एक्ट के केसों में दोषी को छह माह में सजा होनी चाहिए, इसके बावजूद कोर्ट में मामले लटके रहते हैं।
सविता आर्य, अध्यक्ष, नारी तू नारायणी उत्थान समिति।
धरती कलंकित हो गई
माता सीता के लिए हनुमान ने रावण की लंका जला दी थी। महाभारत काल में द्रौपदी का चीरहरण हुआ तो भगवान श्री कृष्ण ने बचाव किया था। समाज को ऐसे ही हनुमान और श्री कृष्ण चाहिए। आज देश की धरती कलंकित हो गई है। बच्चियों से दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं से आम जनमानस का धैर्य जबाव देने लगा है। इसीलिए, हैदराबाद पुलिस की पूरे देश में प्रशंसा हो रही है। बालिग से दुष्कर्म केसों की सुनवाई भी फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो।
शशि अग्रवाल, पूर्व प्रधान, महिला आर्य समाज।
कानून को अपना काम करने दें
दुष्कर्म केस के आरोपित को जनता तुरंत सजा दें, देश का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता। देश का कानून कहता है कि सौ दोषी छूट जाएं, लेकिन एक भी निर्दाेष को सजा न मिले। अधिकार सभी के समान रूप से सुरक्षित हैं। मेडिकल और एफएसएल रिपोर्ट देरी से आने से ट्रायल में समय लगता है। सेशन कोर्ट से सजा हो जाए तो दोषी हाई कोर्ट में अपील कर सकता है। पोक्सो एक्ट के केसों के निस्तारण की अवधि छह माह है। कई बार देर हो जाती है। कानून सजा देगा तो जनता में विश्वास बना रहेगा।
सुनीता कश्यप, एडवोकेट।
संयुक्त परिवार बहुत कुछ सिखाते थे
एकल परिवार के चलन ने आजादी तो दी है, संस्कारों से दूर हो गए हैं। खेल-खेल में दादी-नानी बच्चियों को अच्छे-बुरे की परख सिखाती थीं, वह अब नहीं है। टेलीविजन-मोबाइल फोन, इंटरनेट सूचनाओं के स्रोत हैं। दुरुपयोग अधिक हो रहा है। युवाओं के नशे का आदी होना, बेरोजगार होना भी उनकी मानसिकता को विकृत कर देता है। छात्राओं, कामकाजी महिलाओं को भी अपनी ङ्क्षचता खुद करनी होगी। उन्हें आत्मरक्षा करना आना चाहिए।
डॉ. शकुंतला नांदल, एसोसिएट प्रोफेसर, राजकीय कॉलेज, पानीपत।
- ये किए गए सवाल :
- -दुष्कर्म की घटनाएं क्यों बढ़ती जा रही है?
- -घटनाएं न हो, समाज की क्या हो भूमिका?
- -पुलिस-प्रशासन इसका कितना जिम्मेवार?
- -जनता सजा दे, यह कितना उचित है?
- -क्या स्कूली पाठ्यक्रम में फिजिकल रिलेशन चैप्टर हो?
- -अदालतों में देरी से सजा का क्या असर?
- -बच्चों के प्रति परिवार की क्या भूमिका हो?