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Indian Railway: त्योहारों में घर लौटना हुआ मुश्किल, ट्रेन में नहीं मिल रही सीट, लंबी हुई वेटिंग लिस्ट

रेलवे की ओर से त्योहारों पर बहुत कम ट्रेन ही चलाई जा रही हैं। बहुत कम संख्या में पर्व विशेष गाड़ियों का ही संचालन किया जा रहा है। चलाई गई अतिरिक्त गाड़ियां साप्ताहिक है ऐसे में इनमें भी सीट नहीं मिल रही है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 03 Nov 2021 08:55 AM (IST)Updated: Wed, 03 Nov 2021 08:55 AM (IST)
Indian Railway: त्योहारों में घर लौटना हुआ मुश्किल, ट्रेन में नहीं मिल रही सीट, लंबी हुई वेटिंग लिस्ट
Indian Railways: यमुनानगर से पूर्वोत्तर राज्यों में लौटने वाले लोगों को ट्रेन में नहीं मिल रही सीट।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। दीपावली व छठ पर्व मनाने के लिए रोजाना सैकड़ों लोग बिहार लौट रहे हैं। परंतु स्टेशन से ट्रेनों में लोगों को सीट तक नहीं मिल रही। ट्रेनों में सीटों के लिए मारामारी हो रही है। यहां तक की लोगों द्वारा बुक कराई गई एडवांस बुकिंग की वेटिंग भी क्लीयर नहीं हो रही। जिससे लोग परेशान हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि ऐसी स्थिति में अपने गांव वापस कैसे जाएं। 

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गाड़ियां कम होने से परेशानी

जब से कोरोना महामारी का असर हुआ है तब से बसों ही नहीं बल्कि ट्रेनों का आवागमन भी बिगड़ गया है। इस बार रेलवे की ओर से त्योहारों पर बहुत कम ट्रेन ही चलाई जा रही हैं। बहुत कम संख्या में पर्व विशेष गाड़ियों का ही संचालन किया जा रहा है। चलाई गई अतिरिक्त गाड़ियां साप्ताहिक है, ऐसे में इनमें भी सीट नहीं मिल रही है। सीट के लिए लोग अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं और शुरू से आखिरी स्टेशन तक की टिकट बनवाने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन सीट नहीं मिल पा रही है।

ऐसे में त्योहारों पर घर जाने वाले लोगों में निराशा का माहौल है। रेलवे की ओर से इस बार पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न स्टेशनों में कुल पांच गाड़ियां चलाई गई हैं। दो गाड़ियां वाराणसी के लिए, एक गोरखपुर के लिए चलाई गई है। दो अन्य गाड़ियां सहरसा, दरभंगा के लिए चलाई गई हैं। यह सभी गाड़ियां यमुनानगर जगाधरी रेलवे स्टेशन से होकर गुजरेंगी, लेकिन इनमें से मात्र दो का ही ठहराव यहां दिया गया है।

डेढ़ लाख से अधिक लोग करते हैं काम

यमुनानगर की औद्योगिक नगरी देशभर में प्रसिद्ध है। यहां एक हजार से अधिक मेटल फैक्ट्रियां हैं। इसके अलावा घरों तक में बर्तन बनाए जाते हैं। वहीं प्लाईवुड फैक्ट्रियां भी हजारों की संख्या में है। जिस कारण बिहार व उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से आकर करीब डेढ़ लाख लोग यमुनानगर में काम करते हैं। इसके अलावा पूर्वी उत्तरप्रदेश, बंगाल, उड़ीसा सहित पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों के लोग भी हैं। दीपावली के बाद पूर्वोत्तर भारत का दूसरा बड़ा त्योहार छठ पर्व आता है। छठ पर प्रवासियों में घर जाने की भारी होड़ रहती है। यात्रियों की संख्या के अनुरूप गाड़ियां न होने के कारण किसी भी ट्रेन में सीट नहीं मिल पा रही हैं। सभी गाड़ियों में लंबी वेटिंग चल रही है।

बिना आरक्षण नहीं कर सकते सफर

कई गाड़ियों में त्योहार के दिनों के लिए वेटिंग तक समाप्त हो गई है। ऐसे में यात्रियों में भारी निराशा है। घर लौटने के लिए एडवांस बुकिंग करवा चुके प्रीतम, जगतार, भानू प्रसाद, मुन्ना यादव ने बताया कि कोरोना बचाव की नियमावली के अनुसार पैसेंजर व इंटरसिटी गाड़ियों को छोड़कर अन्य में बिना आरक्षण के सफर नहीं किया जा सकता है। सामान्य बोगी में सफर करने के लिए भी आरक्षण करवाना पड़ रहा है। पहले आरक्षण न मिलने पाने की स्थिति में यात्री सामान्य कोच में सफर कर सकते थे। रेलवे ने यह विकल्प बंद कर दिया है, जिससे परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है।

जम्मूतवी से चलकर कोलकाता जाने वाली ट्रेन में इन दिनों में वेटिंग समाप्त हो गई है। हावड़ा-जम्मू-हावड़ा हिमगिरी मेल में भी वेटिंग समाप्त हो गई है। फिरोजपुर-धनबाद में वेटिंग टिकट नहीं मिल रहा है। इस ट्रेन में 19 नवंबर के बाद वेटिंग टिकट बन पाएगी।


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