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सड़कों पर गोवंश फिर रहा मारा-मारा, गोशालाओं में जमीन पड़ी कम

गांव हो या शहर सड़कों पर बेसहारा गोवंश मारा-मारा फिर रहा है। लावारिस गोवंश हादसों का कारण भी बन रहा है। जिले में पिछले एक वर्ष में 25 से अधिक हादसे गोवंश के कारण हुए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 08:25 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 08:25 AM (IST)
सड़कों पर गोवंश फिर रहा मारा-मारा, गोशालाओं में जमीन पड़ी कम
सड़कों पर गोवंश फिर रहा मारा-मारा, गोशालाओं में जमीन पड़ी कम

जागरण संवाददाता, पानीपत : गांव हो या शहर सड़कों पर बेसहारा गोवंश मारा-मारा फिर रहा है। लावारिस गोवंश हादसों का कारण भी बन रहा है। जिले में पिछले एक वर्ष में 25 से अधिक हादसे गोवंश के कारण हुए। गोशालाओं में भी हालत जानलेवा बन रहे हैं। भाजपा सरकार गाय, गीता और गंगा का नारा देकर सत्ता में आई थी। गोवंश के लिए लंबा चौड़ा बजट देने का दावा किया गया। नैन गांव में अभ्यारण बनाया गया। उसके बाद हजारों गोवंश सड़कों पर है। गोशालाओं में प्रशासन समय-समय पर लावारिस पशुओं को भेजता है, लेकिन उनके चारे की सुविधा नहीं दी जाती। गोशालाओं पर ही बोझ बढ़ता जा रहा है।

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25 गोशाला 14000 गोवंश

जिले में 25 गोशालाएं हैं, जिनमें 14 हजार से अधिक गोवंश है। इन गोशालाओं में जगह कम पड़ रही है। गोशालाएं लोगों के दान से चल रही है।

गोशाला सोसायटी के पूर्व प्रधान हरिओम तायल का कहना है कि गोवंश के लिए ठोस नीति की जरूरत है।

100 दिन में 750 गोवंश पकड़ा

पिछले 100 दिनों में 750 आवारा गोवंश को नैन गांव में भेजा गया। इससे अधिक गोवंश सड़कों पर लावारिस घूम रहा है। जीटी रोड पर सड़क पर पशुओं के आने से हादसे हो रहे हैं।

कौन छोड़ रहा है गोवंश सड़कों पर

जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के मानद सदस्य वेणु गोपाल बताते हैं कि शहर में डेयरी चलाने वाले दुध न देने वाले पशुओं को सड़क पर छोड़ रहे हैं। 200 से अधिक गाय है जिनका सुबह शाम दूध निकाला जाता है। उसके बाद सड़क पर छोड़ दी जाती है। इन्हें पकड़वाते हैं तो अनेक सिफारिश आती है।

बछड़े अधिक छोड़े जा रहे हैं। विदेशी सीमन से ज्यादा समस्या बनी हुई है। इस पर बैन होना चाहिए। वर्जन :

सरकार समय-समय पर ग्रांट देती है, बहुत कम : गुप्ता

रजिस्टर्ड गोशालाओं को सरकार समय समय पर ग्रांट देती है लेकिन वह नाममात्र होती है। पानीपत गोशाला सोसायटी के प्रधान रामनिवास गुप्ता का कहना है कि सोसायटी के तहत चल रही गोशालाओं में 3500 गाय हैं। सरकार कभी शेड के लिए, तूड़े लिए ग्रांट दे देती। पिछले वर्ष 10 लाख की ग्रांट दी गई, लेकिन इससे काम नहीं चल रहा है। गोशालाओं में एक करोड़ से अधिक का तूड़ा लग जाता है। चार करोड़ का सालाना खर्च है। लोगों के सहयोग से ही गोशाला चल रही है। गोशालाओं को प्रति गोवंश 150 रुपये ग्रांट देने की घोषणा की गई थी जो सिरे नहीं चढ़ सकी।


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