ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया में गड्ढों और तालाब में बदला विकास
तीन महीने से काम बंद है। ठेकेदार को यह यह कार्य 31 मार्च 2020 तक पूरा करना था। टेंडर में निर्धारित समय पर काम न होने पर अब ठेकेदार पर जुर्माना लग सकता है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : नाकाम व्यवस्था की सजा ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया भुगत रहा है। 31 करोड़ का बजट मिला। 17 करोड़ से सड़क का काम शुरू हुआ। सड़कें खोदकर काम बीच में ही छोड़ दिया गया है। बिना बारिश भी यहां तालाब जैसे हालात हो जाते हैं। तीन महीने से काम बंद है। ठेकेदार को यह यह कार्य 31 मार्च, 2020 तक पूरा करना था। टेंडर में निर्धारित समय पर काम न होने पर अब ठेकेदार पर जुर्माना लग सकता है। इसके लिए हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन अब जुर्माना का निर्धारण करके उद्योग विभाग को भेजेगा। उसके बाद ठेकेदार का भुगतान दिया जाएगा। ठेकेदार को काम के लिए एक्सटेंशन मिलती है तो काम शुरू होगा अन्यथा दोबारा टेंडर वर्क आर्डर की प्रक्रिया की जाएगी।
चार साल से उद्यमी प्रयासरत
औद्योगिक क्षेत्र में टूटी सड़कों व सीवर को बनवाने के लिए उद्यमी चार साल से प्रयासरत हैं। इसके लिए तत्कालीन उद्योग वित्त मंत्री ने 31 करोड़ रुपये का फंड समाधान कार्यक्रम में जारी किया। उसके बाद भी सड़क, सीवर नहीं बन पाए।
पहले यहां तारकोल की सड़क बनाने पर काम अटका रहा। नए सिरे से प्रोजेक्ट बना। तारकोल के स्थान पर सीमेंटिड सड़क बनाने का काम एक साल बाद स्वीकृत किया गया। विकास कार्य शुरू होने के बाद भुगतान का अड़ंगा पड़ गया। ठेकेदार ने 17 करोड़ के टेंडर में से 2-3 करोड़ काम पूरा किया। ज्वाइंट इंस्पेक्शन न करवाने के कारण उद्योग विभाग ने भुगतान रोक दिया। अब भुगतान के लिए साइन हो गए तो टाइम बार का पेंच फंस गया।
काम कब शुरू होगा, कोई नहीं बता रहा
ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन के पूर्व प्रधान विनोद ग्रोवर का कहना है कि लगातार अधिकारियों के संपर्क में हैं। अब उन्हें बताया गया है कि टाइम बार का जुर्माना लगने के बाद फाइल क्लीयर होगी। विकास कार्य कब शुरू होंगे। कोई अधिकारी जानकारी नहीं दे रहा है।
कार्रवाई होनी चाहिए
उद्यमी संजय सिगला का कहना है कि जिनकी वजह से काम में देरी हुई है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। जब तक सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अफसर और ठेकेदार मनमानी करते रहेंगे।
लोग क्यों भुगतें
राजेंद्र का कहना है कि ठेकेदार, विभाग और नेताओं की जिम्मेदारी है। इनकी वजह से आमजन क्यों भुगते। मजदूर काम पर नहीं आ पा रहे। उद्योग ठप हो रहे हैं। ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए। विभागीय अफसरों की तरक्की पर रोक लगनी चाहिए।
बिना बरसात के तालाब
महेंद्र का कहना है बिना बरसात के ही यहां पर सड़क तालाब बन जाती है। देश को राजस्व देने वाले इंडस्ट्रियल सेक्टर के ये हालात हैं। वाहन खराब हो रहे हैं। पैदल निकल नहीं सकते। आखिर कब सुधरेंगे हालात।