कर्म के बिना धर्म की कल्पना करना भी निरर्थक
कर्म के बिना मनुष्य विचाराधीन रहता है केवल विचार की दुनिया के अंदर भूला भटका जा इधर उधर का चितन करता हुआ अपने आप को खो देता है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : पंडित राधे-राधे ने कहा कि कर्म का बोध केवल सत्संग ही करा सकता है। राधे-राधे महाराज मॉडल टाउन स्थित मुलतान भवन में श्री गुरु कृपा सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन व्यास पीठ से बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि कर्म के बिना मनुष्य विचाराधीन रहता है, केवल विचार की दुनिया के अंदर भूला भटका जा इधर उधर का चितन करता हुआ अपने आप को खो देता है। यदि हम कर्म के अनुसार अपने जीवन को नहीं व्यतीत करते तो समझो यह वही बात है जिस प्रकार से बिना घास के कोई हिरण चारागाहा में चर रहा हो।
पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा के कर्म के बिना धर्म की कल्पना करना निरर्थक है, क्योंकि कर्म ही धर्म की प्रथम सीढ़ी है। धर्म करने के लिए भी पहले हमें कर्म करना पड़ेगा। यद्यपि शास्त्रों में धर्म की भूमिका का विस्तृत वर्णन है। जहां धर्म की चर्चा पर शास्त्रों में विशेष चर्चा रही वहीं भगवत गीता के अंदर योगीराज भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के पावन पवित्र स्थल पर केवल कर्म का बोध कराया। भगवान श्री कृष्ण ने गीता के अंदर कर्म को इतनी प्रधानता दी जैसे मानव धर्म उसके सामने बौना हो गया हो। धर्म कर्म मनुष्य जीवन के दो पहलू हैं यदि हम अपने संपूर्ण मानव जीवन यथार्थ में जीना चाहते हैं या फिर सत्य में जीना चाहते हैं यह जीवन के मूल्य को हम समझना चाहते हैं, तो हमें कर्म के साथ धर्म का ज्ञान लेना परम आवश्यक है।
महाराज ने कहा ज्ञान कोई वस्तु नहीं है। इसे खरीदा जा सके जिसे बेचा जा सके। ज्ञान स्वयं का अध्ययन और कर्म पर निर्भर करता है यदि हम धर्म क्षेत्र में ही अपने जीवन को संपूर्ण रूप से लगा दें और कर्म करें ना तो वह दिन दूर नहीं होता जब आप शून्य पर खड़े हो जाएंगे। जरूर कर्म विहीन व्यक्ति धर्म करता है तो वह व्यक्ति धर्म के उस चर्मसुख को भी नहीं प्राप्त कर सकता। साधना तभी संपन्न हो सकते हैं जब वह कर्म योगी बनकर की गई हो।
मेयर ने लिया आशीर्वाद
मेयर अवनीत कौर ने कथा में पहुंचकर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम में पार्षद लोकेश नांगरू, हिमांशु शर्मा, तिलक राज मिगलानी, सूरज पहलवान, ओमप्रकाश विरमानी, वेद पराशर, रमेश खन्ना, राधेश्याम माटा, एसके आहुजा, नंद किशोर छाबड़ा, रमेश नांगरू, विपिन चुघ, रमेश चुघ,अशोक नारंग,पवन गोस्वामी मौजूद रहे।