मैं पानी हूं और आप सबकी की जिंदगानी हूं, यकीन कीजिए; मेरी कद्र कीजिए
कोरोना संक्रमण के दौर में जिस तरह आक्सीजन के लिए परेशान होना पड़ा उससे सबक लेकर अब हमें पानी की भी उतनी ही चिंता करनी चाहिए जितनी हमने आक्सीजन के लिए की। पानीपत के बबैल गांव में तालाब खोदती महिलाएं ताकि बारिश में यह पानी से भर सके। राजेंद्र फोर
पानीपत, अनुराग अग्रवाल। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जिस तरह लोगों को आक्सीजन की महत्ता समझ में आई है, उसी तरह यदि समय रहते पानी की महत्ता को नहीं समझा गया तो एक दिन ऐसा आएगा, जब आक्सीजन की तरह पानी के लिए भी मारामारी मचती दिखाई देगी। कोरोना के दौरान पैदा हुए हालात से सबक लेकर हरियाणा ने आक्सीजन की अधिक से अधिक उपलब्धता और पानी की ज्यादा से ज्यादा बचत करने की दिशा में सकारात्मक पहल की है।
राज्य में 30 बिस्तरों वाले हर अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लगाने का वर्क प्लान तैयार किया जा चुका है। हर जिले में आक्सीजन पार्क बनाने की मुहिम भी शुरू हो गई। पांच से 100 एकड़ जमीन में बनाए जाने वाले ये आक्सीजन पार्क अगले एक साल के भीतर धरातल पर काम करते नजर आएंगे, जिनमें लोगों को प्राकृतिक हवा नसीब हो सकेगी। गंभीर परिस्थितियों को संभालने के लिए अस्पतालों में बनने वाले आक्सीजन प्लांट तो काम करेंगे ही।
यह सभी जानते हैं कि हरियाणा एक पानी की कमी वाला राज्य है। दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल की अक्सर हरियाणा के पानी पर निगाह रहती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी पंजाब द्वारा हरियाणा को उसके हिस्से का एसवाईएल नहर का पानी नहीं दिया जा रहा है। पानी तो दूर की बात, पंजाब नहर भी बनवाने को तैयार नहीं है। हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना को आधार बनाते हुए पंजाब सरकार के विरुद्ध अपील दायर कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट की वैधानिक बेंच का फैसला क्या आता है, यह भविष्य की बात है, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उनकी टीम ने राज्य में पानी की बचत करने के साथ ही गांवों में सूखे पड़े तालाब-पोखरों को लबालब भरने की कार्ययोजना तैयार की है।
अगर एक नल से हर एक सेकेंड में एक बूंद पानी की गिरती है तो एक साल में 11 हजार लीटर पानी बर्बाद होता है। राज्य में पानी की बचत के लिए हर घर में नल लगाने की मुहिम के अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं। अब मानसून का मौसम सिर पर है। कभी भी मेघा झूमकर बरस सकते हैं। ऐसे में हरियाणा ने तालाबों की खोदाई कर उनमें जमा गाद और चिकनी मिट्टी को हटाने की मुहिम शुरू की है। पानीपत के बबैल गांव में तो महिलाओं ने खुद ही हाथ में फावड़ा-कसी और तसले लेकर तालाब को गहरा कर दिया। कई पंचायतों में ऐसा हो रहा है। तालाब का पानी जहां खेतों में सिंचाई के काम आता है, वहीं पशुओं की प्यास बुझाने और उनके नहाने का बड़ा माध्यम भी है। प्रदेश सरकार ने राज्य में पानी की बचत के लिए दोहरी कार्य योजना तैयार की है। पानी की एक-एक बूंद सहेजने की मंशा से राज्य सरकार ने जहां करीब 450 तालाबों की खुदाई कर उन्हें जल भराव के लिए तैयार करने की मुहिम शुरू कर दी, वहीं लोगों खासकर पंचायतों से भी इस काम में बिना पार्टीबाजी के खुला सहयोग मांगा है।
पानी की बचत के लिए हरियाणा सरकार ने पिछले साल मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के नाम से एक अति महत्वाकांक्षी योजना तैयार की थी। हरियाणा की गिनती बड़े धान उत्पादक राज्यों में होती है। उत्तर हरियाणा के एक दर्जन जिलों को तो धान का कटोरा तक कहा जाता है। धान की फसल में पानी की खपत ज्यादा होती है। यही कारण है कि राज्य में 30 ब्लाक ऐसे हैं, जहां जल स्तर 25 से 40 मीटर नीचे तक चला गया है। ऐसे क्षेत्रों में ट्यूबवेल के कनेक्शन प्रतिबंधित करते हुए फव्वारा सिंचाई को प्रोत्साहित किया गया है। प्रदेश सरकार ने इस बार मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत दो लाख एकड़ जमीन में धान की खेती छुड़वाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पिछले साल एक लाख एकड़ जमीन में धान की खेती छुड़वाने का लक्ष्य तय हुआ था, जिसमें से 94 हजार एकड़ जमीन में किसानों ने धान की खेती छोड़कर अन्य फसलें बोई हैं। यह पानी की कमी वाले किसी भी राज्य के लिए इस लिहाज से अच्छा संकेत है कि पानी की बचत तो हो ही रही है, साथ ही फसल विविधिकरण को भी प्रोत्साहन मिल रहा है।
हरियाणा सरकार धान की खेती छोड़कर दूसरी फसलें बोने वाले किसानों को सात हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान करती है। अब निर्णय लिया गया है कि जो भी किसान एग्रो फोरेस्टी (कृषि-वानिकी) को अपनाएगा और अपनी जमीन पर 400 पेड़ लगाता है तो उसे सात हजार रुपये की जगह 10 हजार रुपये एकड़ तीन साल तक मिलेंगे। पानी की बचत आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
तालाबों के कायाकल्प के लिए काम करेगा प्राधिकरण : हरियाणा में करीब 14 हजार तालाब हैं। अधिकतर तालाबों में चिकनी मिट्टी की परत जम गई है। इन तालाबों में पानी रिचार्ज नहीं होता। तालाबों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया है, जो अब तालाबों का रखरखाव करेगा। पहले चरण में महाग्राम में आने वाले 150 तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा चुका है। अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बरसाती पानी से लबालब करने के लिए इस मानसून में 450 तालाबों को विकसित करने का लक्ष्य तय किया है।
[ब्यूरो चीफ, हरियाणा]