कोरोना के बाद कुरुक्षेत्र में एक और खतरनाक बीमारी पसार रही पैर, आप भी हो जाएं सावधान
कुरुक्षेत्र में 2019 से लेकर 2021 तक काला पीलिया के 470 मरीज मिले हैं। यह सामान्य पीलिया नहीं है। काला पीलिया से लीवर का कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग इन मरीजों की जांच और दवा देने में जुटा है। लेकिन कारण पता करने में दिलचस्पी नहीं।
कुरुक्षेत्र[विनीश गौड़]। कोरोना वायरस को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग दाेनों संजीदा हैं, होना भी चाहिए, लेकिन जिले के लोगों के स्वास्थ्य पर एक और बड़ी बीमारी का काला साया पड़ रहा है। जिले में वर्ष 2019 से लेकर फरवरी 2021 तक 470 काला पीलिया के मरीज मिले हैं। यह पीलिया कोई सामान्य पीलिया नहीं है बल्कि समय पर इलाज नहीं होने पर यह लीवर का कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी देकर व्यक्ति का शिकार कर सकता है।
सरकार ने तो अपनी तरफ से इस बीमारी पर कदम उठाए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसे नजरअंदाज कर रहा है। सरकार ने जिले स्तर पर इसकी जांच और उपचार शुरू किया। स्वास्थ्य विभाग इन मरीजों की जांच और दवा देने में तो जुट गया, लेकिन बढ़ रहे मामलों की गहराई में नहीं जा रहा। यही वजह है कि इनमें से बहुत से ऐसे मरीज हैं जिन्हें स्वास्थ्य विभाग ने भी पता नहीं लग पाने की वजह से एक काॅलम में लिखकर छोड़ दिया।
कई गंभीर बीमारियों की जड़ है काला पीलिया
काला पीलिया के बढ़ते मामलों पर अगर गौर करें तो इसकी चपेट में आने वाले लोगों का जल्दी पता लगाकर न केवल उन्हें बीमारी के गंभीर चरण में जाने से रोका जा सकता है बल्कि दूसरे लोगों को भी इसकी चपेट में आने से बचाव किया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग अगर गौर करे तो काला पीलिया के बढ़ते कारण तक पहुंचकर उस पर अंकुश लगाने के लिए कोई रणनीति भी तैयार कर सकता है, लेकिन जिले स्तर पर इतनी मेहनत करे कौन। सब विभाग की प्लानिंग आने का इंतजार कर रहे हैं। जबकि अपने स्तर पर इसके कारणों को खंगालने की तरफ ध्यान दें तो शायद सकारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।
इन आंकड़ों को देख आपको नजर आएगी गंभीरता
वर्ष 2019 में जिले में काला पीलिया के 248 पॉजिटिव मरीज मिले। जबकि वर्ष 2020 में लॉकडाउन लगने की वजह से 174 मरीज पाए गए, अब 2021 में फरवरी माह तक 48 काला पीलिया के मरीज मिल चुके हैं। ऐसे में दो साल और दो माह में काला पीलिया के 470 मरीज मिल गए।
काला पीलिया का दो वर्ष का आंकड़ा
माह वर्ष 2019 वर्ष 2020
जनवरी 10 20
फरवरी 16 26
मार्च 14 20
अप्रैल 18 01
मई 18 02
जून 23 16
जुलाई 30 14
अगस्त 37 16
सितंबर 30 08
अक्टूबर 15 09
नवंबर 17 20
दिसंबर 20 20
दो दिन से 12 सप्ताह तक ये लक्षण दिखें तो जांच कराएं
अगर हेपेटाइटिस सी का संक्रमण शुरुआती चरण में है, तो ये संकेत मिलते हैं। सबसे पहले पेट की परेशानी रहने लगेगा, फिर जी मिचलाना, बुखार, जोड़ों में दर्द होना, थकान, पीलिया, मिट्टी के रंग का मल त्याग करना, गरहे रंग का मूत्र, भूख में कमी और उल्टी जैसी समस्या होगी। यह लक्षण अगर दो दिन से लेकर 12 हफ्ते से ज्यादा समय तक बने रहें तो जल्द से जल्द चिकित्सक से जांच कराएं।
इससे फैलता है रोग
एक ही इंजेक्शन या सुइयों का इस्तेमाल कई लोगों में करने से। एसटीडी यानी सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिसीज, या एचआइवी संक्रमित साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाने से, एक से अधिक साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाने से, हेपेटाइटिस-सी से संक्रमित मां के द्वारा जन्मे बच्चे में भी इसका संक्रमण फैल सकता है, एक ही टूथब्रश, रेजर ब्लेड और नाखून कतरनी जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा करने से, असुरक्षित तरीके से शरीर पर टैटू बनवाने से।
इनसे काला पीलिया नहीं फैलता
संक्रमित मां का शिशु को दूध पिलाने, संक्रमित व्यक्ति के आस-पास रहने, संक्रमित व्यक्ति के खांसने, संक्रमित व्यक्ति से गले मिलने, संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से यह रोग नहीं फैलता है।
छह महीने तक शरीर में रहता है वायरस
हेपेटाइटिस सी इसके संक्रमण के तेजी से विकास होने का दौर रहता है। यह एक अल्पकालिक बीमारी है जिसका वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद पहले छह महीनों तक रहता है। आमतौर पर छह महीनों के बाद यह उचित देखभाल, उपचार या कभी-कभी अपने आप भी ठीक हो जाता है। छह माह के बाद किसी के शरीर में अगर हेपेटाइटिस सी के संक्रमण बने रहते हैं, तो उस स्टेज को क्रॉनिक हेपेटाइटिस सी कहा जाता है। इसके कारण लीवर कैंसर या सिरोसिस जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं जन्म ले सकती हैं। इसका इलाज समय पर जांच कराकर अपना उपचार कराना है।
पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरियाणा की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें