स्वास्थ्य विभाग का निर्देश, बायोमेडिकल वेस्ट का निपटान ना करने वाले अस्पतालों पर होगी कार्रवाई
कैथल में बायोमेडिकल वेस्ट का निपटान ना करने वाले अस्पतालों पर अब कार्रवाई होगी। नियमों का पालन ना करने वाले अस्पताल संचालकों पर अब जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमें कार्रवाई करेंगी। अस्पताल संचालकों को बायोमेडिकल वेस्ट के लिए रखने होते हैं पांच प्रकार की डस्टबिन।
कैथल, जागरण संवाददाता। बायोमेडिकल वेस्ट यानि अस्पतालों से निकलने वाला कचरा। जिले भर में करीब 200 अस्पताल, लैब और क्लीनिक खुले हुए हैं। नियम के अनुसार अस्पताल संचालकों को बायोमेडिकल वेस्ट का उचित निपटान करना होता है, लेकिन कई अस्पताल ऐसे हैं जो इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। नियमों का पालन ना करने वाले अस्पताल संचालकों पर अब जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमें कार्रवाई करेंगी। कुछ अस्पताल बायोमेडिकल वेस्ट को कचरा प्वाइंट पर डाल देते हैं या कचरा उठाने वाले वाहनों में डाल देते हैं।
ऐसा करना कचरा प्लांट पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। कचरे में फेंका गया वेस्ट बेसहारा पशुओं की मौत का कारण बन सकता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से समय-समय पर अस्पताल और लैब संचालकों को नोटिस जारी किए जाते हैं। संचालकों को बायोमेडिकल वेस्ट के लिए सरकार की तरफ से अधिकृत सर्विस प्रोवाइडर को हायर करना होता है। कैथल के लिए हिसार की एजेंसी सूर्या वेस्ट मैनेजमेंट को अधिकृत किया गया है। एजेंसी अस्पताल से वेस्ट उठाने की व्यवस्था करती है।
पांच प्रकार के रखने होते हैं डस्टबिन
अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट के निपटान के लिए पांच डस्टबिन रखे जाते हैं। काले डस्टबिन में कार्यालय सामग्री, डिस्पोजेबल पेपर, रसोई का कचरा डालना होता है। लाल रंग के डस्टबिन में प्लास्टिक का सामान, रबर का सामान, दस्ताने डालने होते हैं। नीले रंग के डस्टबिन में कांच की बोतल, इंजेक्शन की शीशी डालनी होती है। पीले रंग के डस्टबिन में संक्रमिक अपशिष्ट जैसे शरीर के कटे हुए अंग, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण डालने होते हैं। सफेद रंग के डस्टबिन में प्रयुक्त की गई सुईयां, ब्लेड या अन्य वेस्ट सामान डालना होता है।
वेस्ट को खुले में या कचरे में फेंकना खतरनाक
उपायुक्त प्रदीप दहिया ने बताया कि बायोमेडिकल वेस्ट को खुले में या कचरे में फेंकना लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसा करने वाले अस्पताल संचालकों पर कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश जारी किए जाएंगे।