कल्पना चावला की गुरु दक्षिणा से हरियाणा के इस खास स्कूल के विद्यार्थियों ने नासा के लिए भरी उड़ान
अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी यादें बरकरार है। कल्पना चावला की अपने स्कूल को दी गुरु दक्षिणा से करनाल के टैगोर बाल निकेतन के मेधावी बच्चे आज भी नासा में अध्ययन के लिए जाते हैं।
करनाल, [अश्विनी शर्मा]। अंतरिक्ष परी कल्पना चावला ने अपने जीवन काल में अपने स्कूल टैगोर बाल निकेतन को दी गुरु दक्षिणा अपने आप में मिसाल बन गई। कल्पना ने ना केवल करनाल का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर चमकाया, बल्कि अपने स्कूल के विद्यार्थियों के नासा जाने के सपनों को भी उड़ान को दी। कल्पना के प्रयासों से इस स्कूल के दो छात्रों का चयन नासा में प्रति वर्ष आयोजित होने वाले समर कैंप के लिए होने लगा।
कल्पना चावला के प्रयासों से 1998 में नासा के समर कैंप में दो छात्र प्रति वर्ष जाने का हुआ था सिलसिला शुरू
यह सिलसिला 1998 से शुरू हुआ था, जो वर्ष 2019 तक जारी रहा। पिछले साल कोरोना संकट की वजह से कोई भी छात्रा नासा नहीं जा सका। अलबत्ता शुरूआती बैच में नासा गए विद्यार्थियों को कल्पना चावला के साथ समय व्यतीत करने का अवसर भी मिला था। इन विद्यार्थियों की यादों में आज भी कल्पना चावला रचती-बसती हैं।
एक फरवरी 2003 में अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का शटलयान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। उस हादसे में कल्पना चावला अंतरिक्ष में समां गई। कल्पना चावला ने अपनी स्कूली पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन विद्यालय से पूरी की थी। इसके बाद दयाल सिंह कॉलेज व केवीए डीएवी कॉलेज में भी शिक्षा ग्रहण की, लेकिन करनाल से उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज का रुख किया। वहां से 1982 में ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद वह अमेरिका चली गईं और 1984 टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की। 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया। अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली वह पहली भारतीय महिला थी।
स्कूल के प्रिंसिपल डा. राजन लांबा का कहना है कि कल्पना चावला का अपने स्कूल से बेहद लगाव था और सफल अंतरिक्ष यात्री बनने के बाद भी उनका नाता अपने स्कूल से जुड़ा रहा था। नासा की ओर से हर वर्ष आयोजित किए जाने यूनाइटेड स्पेस स्कूल प्रोग्राम में टैगोर बाल निकेतन स्कूल के बच्चे भाग लेने जाते हैं। कल्पना चावला के प्रयासों की वजह से ही यह संभव हो सका कि हर साल इस स्कूल के बच्चों का चयन इस प्रोग्राम के लिए होने लगा। 1998 से इस स्कूल के बच्चे नासा जाने लगे थे। तब से लेकर अब तक 36 विद्यार्थी इस अभियान में भाग ले चुके हैं।
- अब तक नासा समर कैंप में गए विद्यार्थी
- वर्ष विद्यार्थियों का नाम
- 1998 कमालिका व संचारी बोस
- 1999 गौरव गोयल व नीतिका गोगिया
- 2000 नेहा शर्मा व समृद्धि अरोड़ा
- 2001 सुशील मिततल व अमिषा सुरी
- 2002 सनप्रीत कौर व नमिता अलूंग
- 2003 सौम्या गुप्ता व दीपिका कादियान
- 2004 पतंजलि शर्मा व स्वाति मलिक
- 2005 अंकिता सुरी व राहुल गुप्ता
- 2006 माधवी सेरवाल व पारूल
- 2007 दिव्याज्योति लाहा व अंकुश बिश्नोई
- 2008 सौम्या चौारी व गुंजन बुद्धिराजा
- 2009 निवेदिता मित्तल व पलक अग्रवाल
- 2010 पल्लवी व वनिका शुक्ला
- 2011 अपूर्वा कादियान व रिया त्रिपाठी
- 2012 प्रियंका व जसनदीप कौर
- 2013 वरन शुक्ला व इशिका
- 2014 समात्रिता मंडल
- 2015 स्मृति गौतम
- 2017 आकांशा
- 2019 शीतल चौधरी
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