हरियाणा रोडवेज की बसों का हाल, कहीं फर्स्ट एड बॉक्स में दवा ही नहीं, कहीं पूरा बॉक्स ही गायब
हरियाणा रोडवेज की बसों से फर्स्ट एड बॉक्स गायब हैं। नई बसों में दो से तीन महीने ही फर्स्ट-एड-बाॅक्स रहता है। उसके बाद कोई इनकी देखभाल करने वाला नहीं। दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार नहीं दिया जा सकता। प्रदेश में 3400 के करीब रोडवेज की बसें हैं।
कैथल, जेएनएन। हरियाणा रोडवेज की बसों में फर्स्ट एड बाॅक्स नदारद हैं। ऐसे में अगर रास्ते में कोई दुर्घटना घट जाए तो प्राथमिक उपचार भी नहीं दिया जा सकता है। रोडवेज विभाग द्वारा यात्रियों को बेहतर सुविधा देने का दावा किया जाता है। जबकि बसों में लगा फर्स्ट-एड-बाॅक्स या तो टूट चुका है या गायब है। इक्का-दुक्का बसों में लगे फर्स्ट एड बाॅक्स में दवाइयां व मरहम पट्टी नहीं है। यदि यात्रा के दौरान छोटी-मोटी दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार की आवश्यकता हो तो चालक-परिचालक के पास प्राथमिक उपचार के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
दो से तीन महीनें ही रहता है बसों में फर्स्ट-एड-बाॅक्स
विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि जब नई बस आती है तो दो से तीन माह तक फर्स्ट-एड-बाॅक्स भी रहता है और उसमें दवाइयां एंव मरहम-पट्टी भी रहती हैं। लेकिन उसके बाद गायब हो जाती हैं। कोई देखभाल नहीं की जाती है। फर्स्ट एड बाॅक्स बसाें में अनिवार्य होना चाहिए, ताकि घायलों को समय पर प्राथमिक उपचार मिल सके।
फर्स्ट एड बॉक्स रहते खाली
हरियाणा रोडवेज में परिचालक लगने से पहले फर्स्ट एड का कोर्स करना होता है। इसमें करीब दस दिन पात्रों को जख्मी व घायल लोगों को प्राथमिक उपचार देना सिखाया जाता है। इसमें मरहम व पट्टी भी शामिल हैं। इसलिए सभी रोडवेज बसों में फर्स्ट एड बॉक्स लगाए जाते हैं। इनमें चोट लगने पर मरहम पट्टी व दर्द रोधक दवाएं होती हैं। प्रदेश में 3400 के करीब रोडवेज की बसें हैं।
समय-समय पर होती है जांच ः जीएम
रोडवेज महाप्रबंधक अजय गर्ग ने बताया कि समय-समय पर फर्स्ट एड बाॅक्स की जांच करवाई जाती है। दवाई व पट्टी रखवाई जाती है। चालक व परिचालक को निर्देश दिए हुए है फर्स्ट एड बाॅक्स की समय समय पर जांच करें।
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